शादी में आ रही हैं अड़चनें तो नवरात्रि में करें मां कात्यायनी की पूजा, जानें कब और कैसे करें

नवरात्रि का छठवां दिन मां कात्यायनी का होता है और इस दिन लोग अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए उनकी अराधना करते हैं।

maa katyayani puja mantra
maa katyayani puja mantra

जिन लड़कियों के विवाह में अड़चने आती हैं वह देवी कात्यायनी की पूजा करती हैं। माना जाता है कि मां कात्यायनी न सिर्फ़ विवाह में आ रहीं उनकी अड़चनों को दूर करती हैं बल्कि उन्हें माता के आशीर्वाद से उत्तम वर प्राप्त होता है। शास्त्रों के अनुसार द्वापर युग में गोपियों ने श्रीकृष्ण को पति के रूप में पाने के लिए माता कात्यायनी की पूजा की थी। वहीं अक्सर जब लड़कियों के विवाह में देरी होती है तो माता-पिता काफ़ी परेशान हो जाते हैं। हालांकि उनके विवाह में देरी होने के पीछे कई और वजह भी हो सकती हैं।

इसलिए माता-पिता को अपनी बेटी की कुंडली किसी अच्छे ज्योतिषी को दिखानी चाहिए। हो सकता है, यह किसी ग्रह की दृष्टि, महादशा या अन्तर्दशा के कारण हो रहा है। आप चाहें तो इसका उपाय कर सकते हैं। वहीं शादी के लिए वर तलाश रहीं कन्याएं अगर मां कात्यायनी की पूजा करें तो उन्हें मानचाहा वर मिल सकता है। हालांकि माता कात्यायनी की पूजा थोड़ी कठिन है, लेकिन अत्यंत लाभकारी भी है। आइये, जानें कब और कैसे करें माता कात्यायनी की पूजा।

कब करें पूजा शुरू

puja vidhi for marriage

वैसे तो किसी भी शुभ तिथि या मुहूर्त में यह पूजा प्रारंभ कर सकते हैं, किन्तु अब नवरात्रि आने वाली है, तो उत्तम रहेगा यदि नवरात्रि में इस पूजा को आरंभ किया जाए। नवरात्रि में नवदुर्गा की पूजा होती है, अर्थात् नौ दिनों में प्रत्येक दिन दुर्गा जी के अलग-अलग स्वरूप की पूजा की जाती है, जिसमें छठवें दिन माता कात्यायनी की पूजा की जाती है। अतः नवरात्रि के छठवें दिन से इस पूजा को प्रारंभ करें, और एक वर्ष तक नित्य यह पूजा करें। यदि इस बीच विवाह हो जाता है, तब भी इस पूजा को न रोकें, इस अनुष्ठान को पूर्ण करें। कोशिश यह करें कि जब तक अनुष्ठान चले अपने घर पर ही रहें, किसी दूसरे के घर यदि जाएं तो शाम को अपने घर आ जाएं, किन्तु यदि कोई विशेष परिस्थिति हो, तो माता से प्रार्थना करें, उसके बाद ही जाएं।

इसे भी पढ़ें:जानें कब है पापमोचनी एकादशी, पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्त्व

कैसे करें पूजा

maa katyayani puja time

  • सबसे पहले स्नान आदि से निवृत्त होकर, लाल या पीले वस्त्र धारण करें। पूजा के स्थान को साफ करें। और एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछायें।
  • तीन बार आचमन करें, आचमन करते समय- ''ऊँ केशवाय नमः, ऊँ माधवाय नमः, ऊँ नारायणाय नमः'', इन तीन मंत्रों से आचमन करें, फिर ''ऊँ हृशीकेशाय नमः'', इस मंत्र से हाथ धोलें। थोड़ा सा जल अपने सिर पर प्रोक्षण कर लें।
  • सीधे हाथ में थोड़ा जल लेकर पृथ्वी पर छोडें, पुनः हाथ में जल लेकर अपने आसन पर छोडें और पृथ्वी माता से प्रार्थना करें, कि वे आपका आसन पवित्र करें।
  • चौकी पर माता कात्यायनी या फिर दुर्गा माता का चित्र स्थापित करें। अपने मस्तक पर तिलक लगाएं।
  • घी का दीपक व धूप जलाकर रोली, चावल, पुष्प से उनका पूजन करें। हाथ में अक्षत (चावल), पुष्प लेकर गणेश जी से प्रार्थना करें, कि वे हमारा अनुष्ठान निर्विघ्न रूप से संपन्न कराएं- ''वक्रतुण्ड महाकाय, कोटि सूर्य सम प्रभा, निर्विघ्नं कुरु मे देव, सर्वकार्येषु सर्वदा।''
  • हाथ में अक्षत (चावल), पुष्प लेकर संकल्प करें, ''हे माता, मैं अमुक गोत्र, अमुक नाम (अमुक के स्थान पर अपने गोत्र व नाम का उच्चारण करें) आज अमुक माह, अमुक तिथि, अमुक दिन से एक वर्ष तक अपने ज्ञान, अपने सामर्थ्य के अनुसार आपके मंत्र का जाप करने का संकल्प ले रही हूँ, आप मुझे मनोवांछित फल प्रदान करें, अपनी कृपा मुझ पर सदैव बनाये रखें, और मुझे शक्ति दें, की मैं इस अनुष्ठान को पूर्ण कर सकूं''।
  • ऐसा कह कर अक्षत, और पुष्प माता को अर्पित कर दें। पुनः अक्षत, और पुष्प ले कर माता कात्यायनी का ध्यान करें। ध्यान करते समय ये मंत्र बोलें-''देवी कात्यायन्यै नमः॥ ॐ चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना। कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी।''
  • अक्षत, और पुष्प माता को अर्पित करें। चार बार माता के सामने जल छोडें। लाल चुनरी या-वस्त्र माता को पहनाएं। रोली, चन्दन, अक्षत, लाल पुष्प या माला माता को अर्पित करें। सिंदूर, और इत्र अर्पित करें। धूप, दीप दिखाएं, फिर हाथ धोकर भोग लगाएं, भोग में कोई भी मिष्ठान या मेवा दे सकते हैं, किन्तु शहद अवश्य अर्पित करें, माता कात्यायनी को शहद अतिप्रिय है। यदि संभव हो, तो अनार या शरीफा अन्यथा कोई भी फल अर्पित करें। पुनः चार बार जल छोडें।
maa katyayani
  • बिना चूने का मीठा पान अर्पित करें, कुछ दक्षिणा चढाएं। ध्यान रखें जब भी कुछ अर्पित करें तो ''श्री कात्यायन्यै नम: ''बोलें। पुनः हाथ में पुष्प ले कर प्रार्थना करें। ''या देवी सर्वभूतेषु, कात्यायनी रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नमः।''
  • पुष्प माता को अर्पित कर दें। लाल चंदन की माला से निम्न मंत्र का जाप करें- ''कात्यायनी महामाये, महायोगिन्यधीश्वरि, नन्दगोपसुतं देवी पति मे कुरुते नमः।''
  • जप के बाद हाथ में जल लेकर बोलें- ''माता, मैंने जो जप किया वह मैं आपको अर्पित करती हूँ'', ऐसा कह कर जल माता के सामने छोडें।
  • हाथ जोड़ कर क्षमा याचना करें, प्रणाम करके आरती करें और उठने से पहले थोड़ा जल आसन के नीचे छोडते हुए- शक्राय नमः बोलकर जल मस्तक से लगाएं, आसन को प्रणाम करें, और आसन को तत्काल उठाएं। भोग लगा हुआ प्रसाद गृहण करलें।।
  • जप की संख्या बराबर रखें, कम या अधिक ना करें, अर्थात जितनी माला पहले दिन करें, उतनी ही प्रतिदिन करें। संकल्प की आवश्यकता रोज नहीं है, पहले दिन ही करें, अन्य सभी क्रियाएं प्रतिदिन करें।
  • अन्तिम दिन अनुष्ठान पूर्ण कर के इसी मंत्र से थोड़ा सा हवन करें। जो दक्षिणा माता को चढ़ाई जाएगी वो किसी ब्राह्मण को या मंदिर में दान कर दें। इसके बाद कन्या भोजन कराएं।
  • विशेष सूतक में या मासिकधर्म के समय इसे न करें, उसके बाद फिर से पुन: प्रारंभ करें।
  • अनुष्ठान के दौरान मांस, मदिरा का सेवन न करें, ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  • हम माता से प्रार्थना करते हैं कि वे आपकी मनोकामना पूर्ण करें।
  • नमः पार्वती पतये हर- हर महादेव।

Recommended Video

अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।

HerZindagi Video

HzLogo

HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!

GET APP