जब भी बात रामायण काल की आती है प्रभु श्री राम का नाम ही लिया जाता है। श्री राम के साथ उनके भाइयों का जिक्र भी हमेशा होता है। जब राम वनवास के लिए गए थे उस समय उनके साथ भ्राता लक्ष्मण भी गए थे। यूं कहा जाए कि श्री राम के साथ उनके भाइयों का अटूट रिश्ता था। आप सबने राम जी के सभी भाइयों का जिक्र जरूर सुना होगा लेकिन शायद ही आपमें से किसी को भी पता हो कि श्री राम की एक बहन थीं।
ऐसा माना जाता है कि भगवान राम की सबसे बड़ी बहन शांता थीं। जब रामायण की बात आती है तब शांता का जिक्र लगभग न के बराबर होता है। लोग इस बात से अंजान हैं कि महाराजा दशरथ और रानी कौशल्या की सबसे बड़ी बेटी शांता थीं। आपको बता दें कि देवी शांता की कुछ स्थानों पर पूजा भी होती है। आइए जानें राम जी की बहन शांता के जीवन से जुड़ी कुछ ख़ास बातों के बारे में।
महाराजा दशरथ की पुत्री थीं शांता
भगवान राम की सबसे बड़ी बहन जिनका नाम शांता था वो महाराजा दशरथ और कौशल्या की पुत्री थीं। ऐसा माना जाता है कि शांता सर्वगुण संपन्न थीं और सभी क्षेत्रों में निपुण थीं। ऐसा माना जाता है कि राजा दशरथ में अपनी पुत्री शांता को अपने एक घनिष्ठ मित्र अंगदेश के राजा रोमपद को गोद दे दिया था। पौराणिक कथाओं में इस बात का जिक्र है कि एक बार राजा रोमपद अपनी पत्नी वर्षिणी के साथ दशरथ और कौशल्या से मिलने आए। दरअसल यानी वर्षिणी कौशल्या जी की बहन और श्री राम और देवी शांता की मौसी थीं। उस समय वर्षिणी ने अपनी बहन से देवी शांता को गोद लेने की इच्छा जताई और कौशल्या ने शांता को अपनी बहन को सौंप दिया। इस प्रकार शांता अंगदेश की राजकुमारी बन गयीं।
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शांता वेद, कला और शिल्प कला में निपुण थीं
ऐसा माना जाता है कि देवी शांता वेद, कला और शिल्प कला में निपुण थीं। शांता बहुत ही सुन्दर थीं। एक दिन राजा रोमपद अपनी पुत्री शांता से वार्तालाप में व्यस्त थे और उसी समय एक ब्राह्मण अपनी व्यथा सुनाने राजा के पास पहुंच गया। राजा उस गरीब ब्राह्मण की याचना नहीं सुन पाए और ब्राह्मण रुष्ट होकर उन्हें श्राप देकर चले गए। उस समय इंद्र देव भी अपने भक्त का यह अपमान सहन न कर पाए और उन्होंने धरती पर सूखा कर दिया। उस समय राजा रोमपद एक ऋषि श्रृंग के पास गए जिससे उन ऋषि श्रृंग ने सूखे से धरती को मुक्ति दिलाई।
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शांता और ऋषि श्रृंग का हुआ विवाह
राजा रोमपद ने ऋषि श्रृंग के कार्यों से प्रसन्न होकर अपनी बेटी शांता का विवाह उनसे कर दिया। ऐसा माना जाता है कि शांता और ऋषि श्रृंग के पूर्वज सेंगर राजपूत हैं जिन्हें एक मात्र ऋषि वंशी राजपूत कहा जाता है।
रामायण काल में शांता का वर्णन विस्तार से क्यों नहीं मिलता है
ऐसा माना जाता है कि सबसे पहले राजा दशरथ की पुत्री का जन्म हुआ। लेकिन पुत्री होने की वजह से वो सिंहासन पर नहीं बैठ सकती थीं , इसलिए उन्होंने शांता को गोद दे दिया। जब कई सालों बाद राजा दशरथ को पुत्र रत्न की प्राप्ति नहीं हुई उस समय ऋषि श्रृंगी ने पुत्र की प्राप्ति हेतु यज्ञ करवाया जिसमें शांता भी शामिल हुईं। उस यज्ञ के बाद दशरथ को 4 पुत्रों श्री राम, लक्ष्मण, भारत और शत्रुघ्न की प्राप्ति हुई। रामायण में शांता का विस्तार से विवरण इसलिए नहीं है क्योंकि उन्होंने बचपन में भी राजा दशरथ का महल छोड़ दिया था और वो पुत्री होने की वजह से सिंघासन न संभाल सकीं थीं। लेकिन आज के समय में दक्षिण के कई मंदिरों में देवी शांता और ऋषि श्रृंगी की पूजा की जाती है।
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Image Credit:wallpapercave.com
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