Lata Mangeshkar Death Anniversary: लता मंगेशकर के लिए सिंगिंग में करियर बनाना नहीं था आसान

लता मंगेशकर को किसी पहचान की जरूरत नहीं है उनकी आवाज से आज दुनियाभर में उन्हें पहचाना जाता है लेकिन एक समय ऐसा भी था जब उनके काफी गाने रिजेक्ट हुआ करते थे। 

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स्वर कोकिला लता मंगेशकर की आज पहली पुण्यतिथि है। लता जी को एक साल गुजर गया लेकिन उनकी यादें आज भी ताजा हैं।लता मंगेशकर जी को किसी भी पहचान की जरुरत नहीं है। उन्होंने अपने करियर में कई हिंदी फिल्मों के लिए मजेदार गाना गाए थे। 92 साल की उम्र में करोना संक्रमित होने के कारण मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में उनका निर्धन हो गया था।

आज भले हमारे साथ लता मंगेशकर जी नहीं है लेकिन उनकी कई गाने हैं जो आज भी दर्शक सुनना काफी ज्यादा पसंद करते हैं। बेहद कम लोग जानते हैं लेकिन इंडस्ट्री में आठ हजार से ज्यादा गानों को अपनी आवाज दे चुकी हैं लता मंगेशकर जी।

पतली आवाज के कारण लता जी हुई थीं रिजेक्ट

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आज भले लता जी को किसी पहचान की जरूरत ना हो लेकिन एक समय ऐसा भी था जब उनके काफी गाने रिजेक्ट हुआ करते थे। इसके बावजूद भी अभिनेत्री ने हार नहीं माना। उनकी आवाज काफी ज्यादा पतली थी जिसके कारण उन्हें कई बार रिजेक्ट का सामना करना पड़ा था। इसके बावजूद भी स्वर कोकिला लता मंगेशकर जी ने हार नहीं माना और कोशिश करते रहा करती थीं।

मशहूर फिल्मकार एस मुखर्जी ने रिजेक्ट किया था

करियर की शुरुआत में कई बार उनकी पतली आवाज होने के कारण उन्हें रिजेक्शन का सामना करना पड़ा। लता जी को उनकी आवाज के लिए किसी और ने नहीं बल्कि मशहूर फिल्मकार एस मुखर्जी ने रिजेक्ट किया था। कामिनी कौशल की फिल्म 'शहीद' के लिए जब लता जी की आवाज सुनाई गई तो एस मुखर्जी ने उन्हें अपनी फिल्म में काम देने से साफ मना कर दिया था। उनका कहना था कि लता की आवाज काफी ज्यादा पतली है इसलिए वह अपनी फिल्म में उन्हें काम नहीं दे सकते हैं।

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दिलीप कुमार ने कहा मराठियों की आवाज से दाल भात का गंध आती है

हैदर साहब ने लता जी की करियर के शुरुआती दिनों में उनकी काफी ज्यादा मदद की है। एक दफा जब लता मंगेशकर और दिलीप कुमार के साथ हैदर साहब मुंबई की लोकल ट्रेन से सफर कर रहे थे, तभी हैदर साहब ने सोचा कि वह दिलीप जी को लता का गाना सुनाते हैं शायद इससे लता जी को काम मिल जाएं। जिसके बाद लता जी जैसे ही दिलीप कुमार के सामने गाना गाती है तुरंत दिलीप कहतै हैं कि मराठियों की आवाज से दाल भात का गंध आती है।

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हिंदी और उर्दू के उच्चारण सीखना पड़ा था लता जी को

आपको बता दे कि दिलीप कुमार लता जी को उनके उच्चारण के कारण उन्हें ऐसा कहते हैं। जिसके बाद लता जी ने हिंदी और उर्दू सीखने के लिए एक टीचर रखा और अपनी उच्चारण को सही किया। वहीं आज की बात करें तो आज भले ही लता जी हमारें बीच नहीं हैं लेकिन उनके गाने आज भी दर्शक सुनना काफी ज्यादा पसंद करते हैं।

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Pic Credit: Instagram

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