क्या आपको पता है जज, जस्टिस और मजिस्ट्रेट के बीच का फर्क?

अक्सर लोगों को न्यायपालिका से जुड़े पदों को लेकर कंफ्यूजन रहती है। कई लोग जज, जस्टिस और मजिस्ट्रेट को एक समझते हैं। लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है। चलिए एक्सपर्ट से जानते हैं इन पदों के बीच का अंतर।

 
What is the difference between a judge and a Magistrate

हम सभी में बहुत से लोग अक्सर जज, जस्टिस और मजिस्ट्रेट के बारे में सुनते रहते हैं। जब भी किसी पर कोई मामला बनता हो या किसी से किसी प्रकार का झगड़ा होता है, वे गुस्से में कह देते हैं कि अब कोर्ट में मिलेंगे। लेकिन क्या आपको पता है कि इसकी सुनवाई कौन करता है। अक्सर लोगों में इन तीन पद नामों के बीच का अंतर नहीं पता होता है। उन्हें ये लगता है कि ये तीन एक ही है बस नाम अलग-अलग है। लेकिन आपको बता कि इन तीनों नामों के बीच काफी अंतर है। इस विषय को लेकर हमने इलाहाबाद हाइकोर्ट के अधिवक्ता नीतेश पटेल से बात की।

जज, जस्टिस और मजिस्ट्रेट के काम करने से लेकर इनकी नियुक्ति प्रक्रियां में भी काफी अंतर है। इस लेख में आज हम आपको इस पदों के कार्य और उनके बीच का अंतर बताने जा रहे हैं।

समझिए जज, जस्टिस और मजिस्ट्रेट के बीच का अंतर

Who is more powerful judge and Magistrate

भारत विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देशों में से एक है। यहां न्यायपालिका संविधान का अंग है। न्यायपालिका का कार्य नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा करना होता है। सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट और जिला स्तर न्यायालय देश के कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए काम करते हैं।

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कोर्ट में आते हैं दो तरह के केस

न्यायालय में दो तरह के मामले आते हैं। पहला सिविल मामले, दूसरा क्रिमिनल मामले। सिविल मामले के अंतर्गत अधिकार और नुकसान की मांग की जाती है। वहीं क्रिमिनल मामले को हिंदी में दांडिक मामले या फौजदारी मामला भी कहते हैं। इन केस के अंतर्गत दंड की मांग की जाती है।

मजिस्ट्रेट क्या होता है

Who is more powerful judge  Magistrate

मजिस्ट्रेट एक न्यायाधीश की तरह केवल एक जिले के कानूनी मामलों में संभालने का काम करते हैं। लेकिन न्यायाधीश के पास इतनी पावर नहीं होती है। वहीं मजिस्ट्रेट उम्रकैद व फांसी का दंड नहीं दे सकते हैं। अगर बात करें मजिस्ट्रेट के सबसे ऊंचे पद की तो वह चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट (CJM)होता है। ये मजिस्ट्रेट रेवेन्यू मामलों की सुनवाई करते हैं। इसके अलावा छोटे-मोटे सिविल मामलों की सुनवाई डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट व सब डिवीजनल मजिस्ट्रेट करता है। मजिस्ट्रेट की नियुक्ति राज्य सरकार और हाई कोर्ट के द्वारा की जाती है। इसके लिए लॉ की डिग्री होनी जरूरी नहीं है।

समझिए जस्टिस क्या होता है

न्यायपालिका में जस्टिस सबसे ऊंचा पद होता है। ये हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई करते हैं। इनका प्रथम कर्तव्य आम नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करना होता है। मौलिक अधिकारों के हनन के मामले में सीधे हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होती है। इसकी सुनवाई जस्टिस करता है।

जानिए कौन होते हैं जज

Diffrence Between Judge And Magistrate

जज की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति और राज्यपाल द्वारा की जाती है। जज बनने के लिए लॉ की डिग्री होनी जरूरी है। एक जज क्रिमिनल को फांसी व उम्र कैद की सजा दे सकता है। अगर बात अधिकार क्षेत्र की करें तो इनके अंडर में नेशनल लेवल होता है। जज जटिल मामलों को संभालने का काम करते हैं।

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Image credit- Freepik, Shutterstock

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