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the story of Death Railway

वह रेलवे ट्रैक जिसको बनाने के दौरान गयी थीं लाखों की जान, जानें इससे जुड़ा किस्सा

आज हम आपको वह रेलवे ट्रैक के बारें में बताने वाले हैं जो लाखों की जान जानें के बाद बना था। चलिए जानते हैं इसके बारें में कुछ खास बातें।
Editorial
Updated:- 2023-03-13, 15:39 IST

हर देश का इतिहास अलग होता है। हर देश में कई ऐसी चीजें हुई है जो शायद काफी कम लोग जानते हैं। विश्व युद्ध के दौरान कई ऐसी घटना हुई थी जो कि दिल दहलाने वाली थी। उन दर्दनाक हादसे को भुला पाना काफी ज्यादा मुश्किल हो जाता है। ऐसे में आज के इस आर्टिकल में हम आपको कुछ मुख्य घटना के बारें में विस्तार से बताने वाले हैं। चलिए जानें

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हुआ था

What is the Death Railway

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान एक ऐसी घटना हुई थी जिसे सुनकर आप भी हैरान हो जाएंगी। उस दौरान थाईलैंड और बर्मा के रंगून जोड़ने वाली रेलवे लाइन के निर्माण कराया गया था। इस रेलवे लाइन को बर्मा रेलवे लाइन कहा जाता है। 415 किमी लम्बाई वाली रेलवे लाइन के निर्माण के दौरान क़रीब एक लाख 20 हजार लोगों जानें गई थीं। आप भी इस बात को सुनकर हैरान हो रही होगी लेकिन यह बात पूरे तरीके से सच है। चलिए जानते हैं इस पूल के पिछे की पूरी सच्चाई।

डेथ रेलवे नाम दिया था

20 हजार लोगों की जान लेने वाला पूल को लोग अब डेथ रेलवे के नाम से कहते हैं। इस भयानक रूट पर क्वाई नदी पड़ती है। इस पूल को काफी ज्यादा भयानक माना जाता है। बता दें कि इस पूल को डेविड लियान के देखभाल में बनाया गया था।(रेलवे के पांच नियम जानें)

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रेलवे ट्रैक बनाने में मारे गए थे लाखों लोग

थाईलैंड, चीन, इंडोनेशिया, बर्मा, मलेशिया और सिंगापुर सहित एशियाई देशों से 180,000 लोग और लगभग 60,000 मित्र देशों के कैदियों (पीओडब्ल्यू) को इस रेलवे रूट पर काम करने के लिए लगाया गया था। जापानी सेना ने काफी क्रूर व्यवहार किया गया था।

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हजारों की गई थी जान

आपको बता दें, रेलवे ट्रैक का काम पूरे 15 महीनों यानि 17 अक्टूबर 1943 तक चला था। वही इस दौरान काम करने वाले कर्मचारी के साथ काफी बदसलूकी के साथ व्यवहार किया था। हैजा, मलेरिया, पेचिश, भुखमरी या थकावट से मरने वाले 16,000 कैदियों के अलावा कम से कम 90,000 मजदूरों की मौत हो गई थी।

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