यह तो हम सभी जानते ही हैं कि बकरा ईद मुसलमानों का त्यौहार है, जिसका बड़ी बेसब्री से इंतजार किया जाता है। इसे ईद-उल-अजहा के नाम से भी जाता है। बकरा ईद के दिन उस लम्हे का जश्न मनाया जाता है जब मुहम्मद साहब का खुदा ने इम्तिहान लिया था और उनके खुद के बेटे की जगह एक बकरे की कुर्बानी दी थी।
तभी से इस दिन मुस्लिम समुदाय बकरा ईद का जश्न मनाता है। वैसे तो बकरा ईद कई वजहों से खास है, लेकिन सबसे बड़ी वजह यह है कि इस दिन बकरे की कुर्बानी दी जाती है। पर क्या आपको पता है कुर्बानी करने का सही तरीका क्या है? इस दौरान पढ़े जाने वाली दुआ क्या है? अगर नहीं, तो आइए जानते हैं।
मुस्लिम ग्रंथ के अनुसार इस दिन हलाल जानवर की कुर्बानी दी जाती है। इसके पीछे की कहानी यह है कि हज़रत इब्राहिम को अल्लाह ने आदेश दिया था कि वो अपने बेटे हज़रत इस्माइल को कुर्बान कर दें।
हज़रत इब्राहिम अल्लाह का यह हुक्म माना और अपने बेटे की कुर्बानी देने के लिए तैयार हो गए। पर जब हज़रत इब्राहिम कुर्बानी दे रहे थे तब बीच में बकरा आ गया और कुर्बान हो गया। इस वाक्य के बाद इस दिन बकरे की कुर्बानी दी जाती है।
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कई लोग जानवर कुर्बानी की नियत से खरीदकर तो ले आते हैं, पर कुर्बानी करने का सही तरीका नहीं मालूम होता जैसे कुर्बानी के बकरे या जानवर को कैसे लिटाया जाए? किस तरह ज़िबह किया जाए। जानवर का रुख किस तरफ हो या इस दौरान इसके पैर किस तरफ हों। (मक्का से मदीना के बीच महिलाएं चलाएंगी बुलेट ट्रेन)
पर सुन्नत तरीका यह है कि ज़िबह करने वाला और ज़िबह होने वाला जानवर दोनों का रुख किब्ले की तरफ हो। मतलब साफ है कि जब कुर्बानी के लिए जानवर को जमीन पर लिटाया जाए, तो इसका मुंह काबा शरीफ की तरफ हो।
इस दौरान कोई गलती हो जाए तो कोई बात नहीं। अल्लाह नियत देखता है और हमारी कुर्बानी को कबूल करना है या नहीं यह सिर्फ अल्लाह को पता है।
जब जानवर को सही तरीके से लिटा दिया जाए तब ज़िबह करने से पहले कुर्बानी की दुआ पढ़ी जाती है। यह दुआ ज़बह करने वाला खुद अगर ना पढ़ सके तो अपने साथ वाले इंसान से पढ़ सकते हैं। (मक्का-मदीना में हिंदुओं का जाना क्यों मना है)
इन्नी वज्जहतु वजहि य लिल्लज़ी फ त रस्मावाति वल अर्दा हनीफंव व् मा अ न मिनल मुशरिकीन इन न सलाती व नुसुकी मह्या य व ममाती लिल्लाहि रब्बिल आलमीन ला शरी क लहू व बि ज़ालि क उमिरतु व अ न मिनल मुस्लिमीन अल्लाहुम्मा ल क व मिन क बिस्मिल्लाहि अल्लाहु अकबर।
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अल्लाहुम्मा तकब्बल मिन्नी कमा तकब्बलता मिन खलीलिक इब्राहीम अलैहिस्सलाम व हबीबिक मुहम्मदिन सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम।
INNI WAJJAHTU WAJHIA LILLAZI FATARAS SAMAWATI WL ARZ HANEEFA W MA ANA MINAL MUSHRIKEEN, INNA SALATI W NUSUKI W MAHYAYA WMAMATI LILLAHI RABBIL AALMEEN, LA SHARIKA LAHU, W BIJALIKA UMIRTU, W ANA AWWAL UL MUSLIMEEN, BISMILLAH ALLAHU AKBAR.
कुर्बानी करने से पहले इस दुआ को जरूर पढ़ें। हमें उम्मीद है कि आपको कुर्बानी करने का तरीका और दुआ समझ में आ गई होगी। अगर आपको कोई और दुआ पूछनी है, तो हमें नीचे कमेंट करके बताएं।
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