भारत का सबसे बड़ा और खूबसूरत शहर लखनऊ कई वजहों से फेमस है। यह शहर अपनी संस्कृति, खानपान और अपने प्राचीन और समृद्ध इतिहास की वजह से पूरे भारत में जाना जाता है। लोग दूर-दराज से लखनऊ जैसे शहर को निहारने और यहां के खानपान का लुत्फ उठाने आते हैं। यकीनन आपने एक कहावत तो सुनी होगी 'मुस्कुराइए आप लखनऊ में हैं'। बता दें कि लखनऊ के बाजारों से लेकर यहां स्थित हर एक गलियारों की अपनी अलग कहानी है, जिसकी खूबसूरती में बहुसांस्कृतिक और नज़ाकत बखूबी आपकी मुस्कराहट हो बनाए रखने का काम करती हैं।
इसलिए इसे 'नवाबों का शहर' भी कहा जाता है। हालांकि, इसे गोल्डन सिटी और शिराज-ए-हिंद के रूप में भी जाना जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस जीवंत को नवाबों का शहर क्यों कहा जाता है और इस शहर पर राज करने वाले नवाब कौन थे। अगर नहीं, तो चलिए आज हम आपको लखनऊ के नवाबों की कहानी और उनसे जुड़ी कुछ रोचक तथ्यों के बारे में बताएंगे।
लखनऊ को नवाबों का शहर क्यों कहा जाता है?
यकीनन आपके अपने बड़ों से सुना होगा कि लखनऊ नवाबों का शहर है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस शहर को 'नवाबों के शहर' के नाम से जाना जाता है? क्योंकि इस शहर का इतिहास इसे अन्य शहर से अलग और खास बनाता है। यहां का रहन-सहन, खान-पान, भाषा, इमारतें पहनावे आदि में राजसी जीवन की झलक दिखाई देती है। क्योंकि इस शहर पर कई अरसों तक नवाबों का शासन रहा है और कहा जाता है कि इस शहर के स्वरूप की स्थापना नवाब आसफ़ुद्दौला ने की थी।
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कौन थे लखनऊ के नवाब?
वैसे तो लखनऊ का इतिहास बेहद दिलचस्प रहा है क्योंकि इसके निर्माण में अवध के कई नवाबों का हाथ रहा है जैसे- सआदत अली खान, सफदर जंग,शुजा-उद-दौला, आसफुद्दौला, वज़ीर अली, सआदत अली खान, ग्गज़िउद्दीन हैदर, नासिरुद्दीन हैदर, मुहम्मद अली शाह, वाजिद अली शाह आदि। लेकिन हम आपको कुछ नवाबों के बारे में जानकारी दे रहे हैं, आइए जानते हैं।
सआदत अली खान प्रथम
सआदत अली खान प्रथम को अवध वंश का संस्थापक माना जाता है। बता दें कि इन्हें बुरहान-उल-मुल्क के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यह उपाधि उन्हें मुगल बादशाह बहादुर शाह ने दी थी। बता दें कि 1722 में इन्होंने एक स्वायत्त राज्य की स्थापना थी। हालांकि, इससे पहले वह अवध के राज्यपाल थे, लेकिन जल्द ही उन्हें नवाब के खिताब दे दिया गया था। इस दौरान इन्होंने कई ऐतिहासिक और लखनऊ के निर्माण में एक अहम भूमिका अदा की थी।
सफदरजंग
सआदत अली खान प्रथम के बाद अवध यानि लखनऊ के दूसरे नवाब सफदरजंग थे। यह दिल्ली के मुगल बादशाह अहमद शाह बहादुर के शक्तिशाली वज़ीर-ए-आज़म थे। इन्होंने सन 1748 से लेकर 1753 तक कार्य किया था। यह अवध के सबसे शक्तिशाली और शाही नवाब थे, जिनका मकबरा आज भी दिल्ली में मौजूद है और यह सफदरजंग मकबरे के नाम से मशहूर है। इसके नवाब शुजादुल्लाह ने 1754 में बनवाया था।
नवाब आसफ़ुद्दौला
लखनऊ के नवाबों की पीढ़ी के चौथे और सबसे शक्तिशाली नवाब आसफ़ुद्दौला थे, जिनकी पैदाइश 23 सितंबर 1748 में हई थी। इन्हें शुजाउद्दौला के बाद नवाब आसफ़ुद्दौला को फ़ैज़ाबाद की गद्दी मिली थी। आसफ़ुद्दौला को आज भी कई ऐतिहासिक कार्य करवाने के लिए याद किया जाता है जैसे- इमामबाड़ा। कहा जाता है कि आसफ़ुद्दौला ने 1784 में इमामबाड़ा का निर्माण करवाया था, जो इमामबाड़ा आज अपनी कारीगरी के लिये बहुत मशहूर है।
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सआदत अली खां
अवध के सबसे खास और प्रभावशाली नवाब सआदत अली खां भी रहे हैं। क्योंकि कहां जाता है कि राजधानी में एक से बढ़कर एक खूबसूरत इमारतों का निर्माण नवाब सआदत अली खान ने ही करवाए थे। साथ ही, कहा जाता है कि इनकी ताज पोशी लखनऊ के बिबियापुर पैलेस 1798 में शानदार तरीके से की गई थी। आज भी उनका मकबरा सआदत अली खां के मकबरे के नाम से मशहूर है। बता दें कि यह मकबरा तीन मंजिला है और मुगल शैली के आखिरी दौर का बेहतरीन नमूना है।
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इन नवाबों के अलावा भी लखनऊ के और भी नवाब रहे हैं, जिनका नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज है। लेकिन कहा जाता है कि लखनऊ के आखिरी नवाब वाजिद अली शाह थे। उम्मीद है कि आपको यह जानकारी पसंद आई होगी। अगर आपको लेख अच्छा लगा हो, तो उसे लाइक और शेयर ज़रूर करें। साथ ही, जुड़े रहे हरजिन्दगी के साथ।
Image Credit- (@Wikipedia)
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