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kitne saal tak rakhna chahiye ekadashi vrat

कितने साल तक रखना चाहिए एकादशी और प्रदोष व्रत? जानें व्रत उद्यापन करने का सही समय

आप में से बहुत से लोग एकादशी या प्रदोष व्रत करते होंगे या फिर बहुत से लोग दोनों व्रत रखते होंगे, लेकिन क्या आप जानते हैं कि एकादशी और प्रदोष व्रत कब से शुरू करना चाहिए और कितने साल का रखना चाहिए।
Editorial
Updated:- 2024-12-06, 12:30 IST

हिन्दू पंचांग के अनुसार, साल में 24 एकादशी तिथियां पड़ती हैं। वहीं, 24 ही प्रदोष व्रत आते हैं। यानी कि माह में 2 कृष्ण एवं शुक्ल पक्ष की दो एकादशी और प्रदोष व्रत। आप में से बहुत से लोग एकादशी या प्रदोष व्रत करते होंगे या फिर बहुत से लोग दोनों व्रत रखते होंगे, लेकिन क्या आप जानते हैं कि एकादशी और प्रदोष व्रत कब से शुरू करना चाहिए। कितने साल का रखना चाहिए और कब इन दोनों व्रतों का समापन करना चाहिए। आइये जानते हैं इस बारे में विस्तार से ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से।

कब से शुरू करें एकादशी व्रत?

मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी से एकादशी व्रत का आरंभ करना चाहिए क्योंकि मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की उत्पन्ना एकादशी के दिन माता एकादशी का जन्म हुआ था और उसी के बाद से एकादशी के व्रत का आरंभ हुआ।

kab ekadashi vrat ka samapan kare

कितने साल तक रखें एकादशी व्रत?

एकादशी व्रत का पालन कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 वर्षों तक करना चाहिए। इस बात का भी ध्यान रखें कि एकादशी का व्रत रखना 12 साल की उम्र के बाद से शुरू करना चाहिए। इससे पहले एकादशी का व्रत न रखें।

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कब करें एकादशी व्रत का समापन?

समय के अनुसार, एकादशी व्रत का समापन अगले दिन द्वादशी तिथि पर करना शुभ माना जाता है तभी व्रत का पूर्ण फल मिलता है। वहीं, अवधि के अनुसार, एकादशी व्रत का समापन 11 साल तक व्रत करने के बाद 12वे साल में करें।

kab se shuru kare pradosh vrat

कब से शुरू करें प्रदोष व्रत?

शास्त्रों के अनुसार, प्रदोष व्रत का शुभारंभ किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि से करना चाहिए। वहीं, महीने के अनुसार प्रदोष व्रत रखने का सबसे उत्तम माह है श्रावण या फिर कार्तिक। इन दोनों माह से कोई एक चुनें।

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कितने साल तक रखें प्रदोष व्रत?

प्रदोष व्रत को आप अपनी श्रद्धा अनुसार जितने चाहें उतने साल तक रख सकते हैं, लेकिन शास्त्रों में बताया गया है कि 11 या 26 त्रयोदशी तिथियों तक प्रदोष व्रत रखना अच्छा होता है। भगवान शिव की विशेष कृपा व्यक्ति को प्राप्त होती है।

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कब करें प्रदोष व्रत का समापन?

तिथि अनुसार, प्रदोष व्रत का समापन त्रयोदशी के दिन ही किया जाता है, लेकिन अगर अवधि की बात करें तो 11 या 26 प्रदोष व्रत पूरे होते ही आप इसका उद्यापन कर सकते हैं। तभी आपके द्वारा रखे गए प्रदोष व्रत पूर्ण माने जाते हैं।

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