"दौड़ा-दौड़ा भागा-भागा सा, वक्त यह सख्त है थोड़ा-थोड़ा-सा"...क्या आपको यह लाइन याद आई? साउथ के सुपर स्टार कमल हासन की फिल्म 'चाची 420' के एक गाने की यह लाइन हाल के सिनेरियो में परफेक्ट बैठती है। आपने फिल्म में देखा होगा कमल हासन द्वारा निभाया गया केयर टेकर का किरदार इस गाने पर काम के चक्कर में इधर-उधर भागता नजर आता है।
बस...बस, यही महिलाओं की हालत है जो अब और भी ज्यादा बिजी होने वाली हैं। कर्नाटक सरकार ने बीते दिनों जो 12 घंटे काम करने का प्रपोजल जारी किया है, उसने कॉर्पोरेट जगत में हाहाकार मचा दी है। जी हां, सरकार ने एक नया प्रस्ताव पेश किया है जिसमें काम के घंटे बढ़ाने और ओवरटाइम को लेकर नया नियम लाने के बारे में बात हो रही है।
यह फैसला वैसे तो हर इंसान के जीव को उथल-पुथल कर सकता है, लेकिन महिलाओं को इससे ज्यादा स्ट्रगल करने पड़ सकते हैं। एक वर्किंग वुमन जो घर और बच्चे संभालने के साथ काम भी कर रही है, इस फैसले से उसकी दुनिया उलटी दिशा में घूम सकती है।
टाइम मैनेजमेंट से लेकर मेंटल हेल्थ पर यह प्रपोजल अत्याचार जैसा है। चलिए इस लेख में आपको बताऊं कि इससे एक वर्किंग वुमेन के जीवन में क्या बदलाव आएंगे?
क्या है कर्नाटक सरकार का फैसला?
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की सरकार की ओर से यह नया प्रपोजल पेश किया गया है। इसके मुताबिक, सरकार शॉप्स एंड कमर्शियल एस्टेब्लिशमेंट्स एक्ट, 1961 में बदलाव करने की सोच रही है। कहा जा रहा है कि 1963 के नियमों में भी बदलाव होगा। इससे रोजाना काम करने के घंटे 9 से बढ़कर 10 हो जाएंगे। ओवरटाइम की सीमा भी 12 घंटे तक बढ़ जाएगी। वहीं, 3 महीने में ओवरटाइम करने की सीमा 50 घंटे से बढ़कर 144 घंटे हो जाएगी।
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टाइम मैनेजमेंट का बढ़ जाएगा प्रेशर
एक कामकाजी महिला का रूटीन वैसे ही टाइम-बाउंड होता है। सुबह उठते ही चाय से लेकर टिफिन बनाने तक, बच्चों को स्कूल भेजने से लेकर खुद को ऑफिस के लिए तैयार करने तक, सब कुछ सेकंड्स में मैनेज होता है।
अब अगर ऑफिस की शिफ्ट ही 12 घंटे की हो गई, तो बाकी चीजों के लिए टाइम कहां से आएगा? इससे प्रेशर ज्यादा बढ़ जाएगा।
मेंटल हेल्थ की बजेगी बैंड
किसी ने ठीक ही कहा है कि थकावट शरीर से ज्यादा दिमाग को खाती है। काम का प्रेशर इतना है कि मेंटल हेल्थ वैसे ही खराब रहती है। अब 12 घंटे की शिफ्ट के बाद दिमाग न तो रिलैक्स होगा, न खुद को रिचार्ज कर पाएगा। वर्किंग वुमन के लिए अब 'मी टाइम' एक सपना बन जाएगा। ट्रैफिक के बाद जब ऑफिस पहुंचकर 12 घंटे एक ही जगह पर बिताने होंगे, तो मानसिक संतुलन बिगड़ना तो लाजमी है न!
गणित भी हो जाएगी फेल
इस वर्क-डे प्लान का गणित महिलाओं के लिए कतई मेल नहीं खाता। एक महिला के लिए पहले से ही 24 घंटे का दिन अपनी सभी जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए कम पड़ जाता है। ऑफिस के 12 घंटे, नींद के 8 घंटे, ट्रैफिक के 3 घंटे, खाना बनाने और बर्तन धोने के 2 घंटे, टीवी देखने के 2 घंटे और सोशल मीडिया पर 2 घंटे मिलाकर ही कुल 29 घंटे हो जाते हैं!
ऐसे में, यदि काम के घंटे बढ़ा दिए जाएं, तो महिलाओं के लिए अपनी निजी जिंदगी को संभालना लगभग असंभव हो जाएगा। घर और परिवार की दोहरी जिम्मेदारी अक्सर उन्हीं पर होती है और उन्हें बच्चों, बड़ों और घरेलू कामों के लिए भी समय निकालना पड़ता है। यह न केवल उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा, बल्कि उन्हें एक कभी न खत्म होने वाले स्ट्रेस और थकान की साइकिल में धकेल देगा।
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कर्नाटक सरकार के फैसले पर बनने लगे मीम
Karnataka govt is proposing to extend working hours to 12 hours for IT sector.
— Ray Stings (@Purba_Ray) June 18, 2025
They should call it Narayan Murthy hours
कर्नाटक सरकार की इस योजना से सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है। वहीं, नारायण मूर्ति एक बार फिर इस बहस का हिस्सा बन गए हैं। लोगों का कहना है कि नारायण मूर्ति ने कुछ समय पहले युवाओं को 70 घंटे काम करने की सलाह दी थी, इस फैसले से वह खुश हो गए होंगे।
Karnataka Govt proposes 12 hr workdays for IT employees.
— Shilpa (@shilpa_cn) June 18, 2025
Meanwhile Narayana Murthy Sir.. pic.twitter.com/XAgAd4EHdh
किसी ने कहा मूर्ति साहब का सपना पूरा हो गया है, तो किसी ने बताया कि यह प्लान तय करने में उनका ही हाथ है। इस तरह से अन्य कई मीम्स सोशल मीडिया पर देखे जा सकते हैं।
हमारे समाज में घर और परिवार की जिम्मेदारी अक्सर महिलाओं पर ही होती है। काम से लौटने के बाद भी उन्हें खाना बनाना, बच्चों की देखभाल करना, घर की सफाई और अन्य घरेलू कार्यों को संभालना होता है। वहीं, लगातार काम का दबाव, नींद की कमी और व्यक्तिगत देखभाल के लिए समय न मिलना महिलाओं के स्वास्थ्य पर बुरा असर डालेगा। ऐसे में जरूरी है कि सरकार इस पॉलिसी को लागू करने से पहले एक बार जरूर सोचे।
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Image Credit: Freepik and imgflip generater
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