ससुराल और ऑफिस के बीच ऐसे बनाएं वर्क लाइफ बैलेंस

शादी के बाद ससुराल में वर्क लाइफ बैलेंस सेट करना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। ज्वाइंट फैमिली को लेकर परेशानियां अलग होती हैं। ऐसे में आपको क्या करना चाहिए? 

How to imporve work life balance

ऑफिस के काम के साथ-साथ घर का काम करना थोड़ा मुश्किल होता है। सुबह-सुबह उठकर खाना बनाना, पति और बच्चों का टिफिन तैयार करना, बच्चों को तैयार करना, खुद के लिए जरा सा समय निकालना और फिर भागते-दौड़ते ऑफिस पहुंचना। काम करते-करते लेट हो जाए, तो घर की चिंता में परेशान हो जाना। घर पहुंचकर खाना बनाना और फिर बाकी काम निपटा कर थक हारकर सो जाना। इतना करने के बाद भी कई बार महिलाओं को सुनना पड़ता है कि वो घर या ऑफिस में पूरा ध्यान नहीं दे रही है।

शादी और बच्चों के बाद वर्क लाइफ बैलेंस बनाना बहुत मुश्किल हो जाता है। अगर आप न्यूली मैरिड हैं, तो शुरुआती एडजस्टमेंट में ही कम से कम 6 महीने निकल जाते हैं। ऐसे में कुछ छोटे-छोटे टिप्स वर्क लाइफ बैलेंस बनाने में आपकी मदद कर सकते हैं।

क्या है वर्क लाइफ बैलेंस?

वर्क लाइफ बैलेंस टर्म 1980's में सामने आई थी। महिलाओं के लिबरेशन मूवमेंट के बाद ही इसे लेकर बातें शुरू हुई। अगर हम डिक्शनरी वाली डेफिनेशन के हिसाब से जाएं, तो वर्क लाइफ बैलेंस का मतलब खुशहाल जिंदगी से होगा। अपनी जिंदगी खुशहाली से जिएं, जरूरत से ज्यादा काम ना करें, ऑफिस में बहुत ज्यादा स्ट्रेस ना हो, घर पर ऑफिस की वजह से कोई दिक्कत ना हो, आपके लिए जो जरूरी लोग हैं उन्हें आप समय दे पाएं और कुल मिलाकर स्ट्रेस फ्री रह पाएं।

वर्क लाइफ बैलेंस को बेहतर बनाने के लिए क्या करें?

1. वर्क आवर्स का ध्यान रखें

वर्क लाइफ बैलेंस अचीव करने का पहला नियम ही यह है कि आप अपने वर्क आवर्स को बहुत ज्यादा ना बढ़ने दें। ऑफिस का जितना समय है उतने में ही अपना काम खत्म करने की कोशिश करें। कभी-कभी ऑफिस में ओवरटाइम चलता है, लेकिन हमेशा ऐसा करना सही नहीं होगा।

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2. सब कुछ एक साथ करने की कोशिश ना करें

आप सब कुछ एक साथ मैनेज कर सकती हैं, तो यह बहुत अच्छी बात है, लेकिन जरूरी नहीं कि शुरुआत में ही सब कुछ एक साथ मैनेज करने की कोशिश करें। ऐसा बिल्कुल जरूरी नहीं है कि आप सुपरवुमन बनेंगी तभी काम सही होगा। अगर आपसे घर या बाहर का काम नहीं हो रहा है, तो खुद को थोड़ा सा समय दें। कुछ महिलाएं सुबह उठकर खाना बनाकर ऑफिस जाती हैं, कुछ के लिए यह काम बहुत मुश्किल हो जाता है। अगर आपको लगता है कि आपसे नहीं हो पा रहा है, तो कोई बात नहीं।

3. ना कहना सीखें

चाहे घर का काम हो या फिर ऑफिस का अगर आप ना कह रही हैं, तो बेहतर है। रिस्पॉन्सिबिलिटी लेना सही है, लेकिन हर बात पर खुद को ही रिस्पॉन्सिबल समझना गलत है। आप इंसान हैं और आपको खुद को थोड़ा समय देना चाहिए।

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4. ब्रेक लेना भी जरूरी है

अगर आप अपने शरीर के लिए ब्रेक नहीं लेंगी, तो आपका शरीर आपके लिए ब्रेक ले लेगा। हमेशा काम करते रहना भी वर्क लाइफ बैलेंस को खराब कर देता है। आपको खुद के लिए ब्रेक लेने की जरूरत है।

5. रिलेशनशिप्स पर भी ध्यान दें

करियर ओरिएंटेड होना सही है, लेकिन उसी के साथ यह भी जरूरी है कि आप खुद से जुड़े लोगों का ध्यान रख रही हैं। रिलेशनशिप्स पर ध्यान दें और अपना काम करती रहें।

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6. अपने लिए समय जरूर निकालें

आखिर में सबसे जरूरी है कि हम अपने लिए भी समय निकालें। स्ट्रेस सबसे कम तब होता है जब हम खुद पर ध्यान दें। अगर आप अपने लिए, अपनी हॉबी के लिए, अपने इंट्रेस्ट के लिए समय नहीं निकालेंगी, तो दिमाग में किसी ना किसी तरह का स्ट्रेस बना ही रहेगा।

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