नए वर्ष के पहले महीने जनवरी में हर कोई उत्साहित रहता है। जनवरी माह में केवल नए साल की शुरुआत नहीं होती, बल्कि यह नया साल अपने साथ ढेरों तीज-त्यौहार भी लेकर आता है। इन तीज-त्यौहारों की झड़ी जनवरी माह से ही लग जाती है। इस वर्ष भी जनवरी का महीना अपने साथ ढेर सारे तीज-त्यौहार और व्रत लेकर आ रहा है।
इनमें से कुछ तीज-त्यौहारों पर व्रत रखने का महत्व है तो कुछ में स्नान और दान देने की परंपरा है। तो चलिए हम आपको हिंदी पंचाग के हिसाब से जनवरी महीने में पड़ने वाले महत्वपूर्ण त्यौहारों की विशेषता और महत्व के बारे में बताते हैं। साथ ही आपको इन त्यौहारों के शुरू होने का शुभ मुहूर्त भी बताते हैं।
9 जनवरी- सफला एकादशी
13 जनवरी-पौष अमावस्या
14 जनवरी-पोंगल , उत्तरायण , मकर संक्रांति
24 जनवरी-पौष पुत्रदा एकादशी
28 जनवरी-पौष पूर्णिमा व्रत
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आप नाम से ही अंदाजा लगा सकते हैं कि सफला एकादशी का अर्थ सफलता से है। यह त्यौहार जगतपिता नारायण के अच्युत स्वरूप को समर्पित है। इस दिन श्रद्धालु भगवान अच्युत की पूजा-अर्चना करते हैं और उनका व्रत भी रखते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस एकादशी पर जो विधि-विधान के साथ व्रत रखता है, उसे सभी कार्यों में सफल प्राप्त होती है। इस दिन नारियल, सुपारी, आंवला, अनार और लौंग से भगवान अच्युत की पूजा की जाती है। शास्त्रों में इस बात का जिक्र मिलता है कि इस दिन जमीन पर सोना शुभ होता है।
शुभ मुहूर्त : 07:29 से 09:40 तक
हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का बड़ा महत्व है। इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण व दान करने का विधान है। इस दिन पहले सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जता है और फिर अपने पितरों को तर्णण देकर उन्हें याद किया जता है। इस दिन आप अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए व्रत रख सकते हैं और दान-दक्षिणा भी कर सकते हैं।
शुभ मुहूर्त : 12 जनवरी को 12:29 से अमावस्या का आरम्भ होगा और 13 जनवरी को 10:38 पर अमावस्या समाप्त हो जाएगी।
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14 जनवरी का दिन हर वर्ष विशेष होता है। इस दिन अलग-अलग राज्यों में एक ही त्यौहार को अलग-अलग नाम से मनाया जाता है। जैसे उत्तर भारत में इस दिन मकर संक्रांति होती है। वहीं गुजरात में इस दिन उत्तरायण मनाया जाता है और दक्षिण भारत में इस दिन को पोंगल के रूप में मनाया जाता है। इस दिन का वैज्ञानिक महत्व भी है और धार्मिक विशेषता भी है। दरअसल, इस दिन सूर्य उत्तर की दिशा से मकर राशि में प्रवेश करता है। इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करने और दाल-चावल दान करने की परंपरा है। इतना ही नहीं, इस दिन से नई ऋतु का आगमन होता है और नई फसल भी कटती है। बिहार में इस पर्व को खिचड़ी और पंजाब में लोहड़ी कहा जाता है। गुजरात और राजस्थान में इस दिन पतंग उड़ाई जाती हैं।
नाम से ही स्पष्ट है कि यह पर्व संतान से जुड़ा हुआ है। पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पौष पुत्रदा एकादशी कहा जाता है। जिन माताओं को पुत्र चाहिए होता है वह इस व्रत को रखती हैं। इस दिन जो लोग भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस दिन व्रत करने से संतान की प्राप्ति होती है। जिन माताओं के पहले से ही पुत्र होता है, वह भी इस व्रत को रख सकती हैं। वैसे आप संतान की सलामती या संतान प्राप्ति के उद्देश्य से भी यह व्रत रख सकती हैं।
शुभ मुहूर्त : 07:49 से 09:06 तक
हिन्दू धर्म में पूर्णिमा का व्रत रखने का विशेष महत्व है। पौष माह में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को पौष पूर्णिमा कहा जाता है। इस दिन चंद्रमा अपने पूर्ण आकार में होता है। शास्त्रों में इस दिन भी दान-दक्षिणा और धार्मिक कर्मकांड करने का विधान बताया गया है। आप इस दिन पवित्र नदियों में स्नान भी कर सकते हैं। आप इस दिन भगवान मधुसूदन, जो जगतपिता नारायण का स्वरूप है उनकी पूजा कर सकते हैं।
शुभ मुहूर्त : 28 जनवरी को दोपहर 1: 18 से पूर्णिमा आरम्भ और 29 जनवरी को दोपहर 00:47 पर पूर्णिमा समाप्त
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