
प्यार , इश्क, मोहब्बत, उल्फत एक एहसास के न जानें कितने नाम हैं। इस एहसास को भी कई रिश्तों में बांटा गया है, जैसे भाई-बहन का प्यार और माता पिता के लिए प्यार, लेकिन जब यह प्यार एक पुरुष और महिला के बीच होता है तो इसमें लोग पहाड़ खोदकर रास्ता बना देते है, तो कोई महबूब की याद में तेरे नाम फिल्म का सलमान खान बन जाता है। खैर प्यार में कसीदे तो मैं भी पढ़ दूं, उसमें क्या है? 4 गजल और शायरी पढ़कर तो प्यार को मैं भी परिभाषित कर सकती हूं।
अब प्यार करने और दिखाने के लिए हमने एक महीने का सहारा ले लिया है, जिसे सो कोल्ड 'वैलेंटाइन डे कहा जाता है। इस दिन तक पहुंचने के लिए़कई चोचले किए जाते हैं। आज महबूब को गुलाब देना है तो कल चॉकलेट। अगले दिन गले मिलना है तो फिर थप्पड़ भी मरना है। अरे भई जिसका महबूब उससे कोसों दूर रहता हो, वह क्या ही गले मिलेगी और क्या ही प्यार से झापड़ लगाएगी।
आपने भी दो लोगों के बीच यह बात सुनी होगी कि वैलेंटाइन आ रहा है तुम मुझे गिफ्ट में क्या दे रहे हो? लोग ऐसा क्यों कहते हैं? क्या कुछ देने के लिए हमारा महबूब केवल इस महीने का मोहताज है? ये वेस्टर्न कल्चर की बातें, न जानें कब हमारे दिल-दिमाग में घर कर गईं, किसी को पता भी नहीं चला। कई लोग यानी मुझ जैसे लोगों को तो यह पता भी नहीं है कि इस दिन की शुरुआत क्यों हुई थी।
प्यार में फूल देने की परंपरा बेहद पुरानी है, लेकिन जब प्यार को मॉर्डनाइज किया गया तो इसमें असल चीजों को भूलकर सभी मटेरियलिस्टिक चीज़ें जोड़ दी गई और फिर कहा गया की ये लो तुम्हारे लिए। यह सब मैनें तुम्हें इसलिए दिया क्योंकि में तुमसे प्यार करता हूं।
मेरे प्यार को लेकर ख्यालात काफी अलग हैं। सच कहूं तो मैनें इश्क किया भी है और नहीं भी, लेकिन इस सब चीजों के बावजूद मैं बस इतना जानती हूं कि यह सब मॉर्डन जमाने के दिखावे हैं। अगर प्यार करने और जताने के लिए किसी महीने की जरूरत पड़ने लगे तो क्या आपका और मेरा प्यार सच्चा नहीं है? मैं फरवरी महीने के बदले मार्च में अपने प्रेमी को गुलाब दे दूं तो क्या मेरा प्यार स्वीकार किया जाएगा? मैं तो भई इस मॉडर्न प्यार के चक्कर में नहीं पड़ती, क्योंकि मुझे ऐसा लगता है की अपने साथी को भला फूल देने के लिए क्यों मैं किसी महीने का इंतजार करूं?(प्यार का इजहार कैसे करें)
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यह सब कहने की बातें हैं कि फरवरी का महीना आते ही मुझे महबूब की याद आने लगती है। ऐसा लगने लगता है कि किसी की जरूरत है। यह सब सोशल मीडिया के meme द्वारा लोगों के दिमाग में बिठाई गई बातें हैं। प्यार किसी महीने, फूल, चॉकलेट, महंगी गाड़ियों, समाज की रजामंदी का मोहताज नहीं है। अगर होता तो शायद हमें हीर-रांझा के किस्से नहीं सुनाए जाते। (पॉलिटिशियन्स की लव स्टोरी)
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प्यार जताने का कोई वक्त नहीं होता, हम हर लम्हे में अपने तरीके से अपने महबूब को यह दिखा सकते हैं कि आप मेरे लिए कितने अजीज़ हैं। कोई यह कहकर प्यार जता देता है कि तुम पर बिंदी बहुत अच्छी लगती है तो कोई घंटो हाथ पकड़कर बस एक टूक लगाकर अपने दिमाग में कुछ सोचता है।
प्यार सिर्फ महबूब से ही नहीं किसी से भी किया जा सकता है, चाहे वह पत्थर की बनी एक मूर्ति हो या कुदरत का बनाया हुआ कोई हसीन चेहरा। अगर फरवरी के महीने में ही प्यार जताना है तो उन तमाम लोगों को जताएं जिन्होंने कभी न कभी आपकी मदद की हो। आपके उदास चेहरे पर मुस्कान लाई हो।
अंत में आजकल के इस दौर में प्यार के दो बोल कम पड़ गए हैं, इसलिए बिना महीने के भी आप किसी के लिए गुलाब ले सकते हैं और उनके हाथों में थमाकर यह कह सकते हैं कि छोड़ों ये दुनिया की दकियानुसी बातें और चलो फिर से तुम और मैं मिलकर इस जहान को मोहब्बत करना सिखाएं।
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