What is the New Parliament Dress Code: क्या आपने देखा है कि संसद में सभी लोग ज्यादातर इंडियन कपड़ों में ही नजर आते हैं। संसद में एंट्री होते ही एक्ट्रेस से सांसद बनी कंगना रनौत भी हमेशा देसी कपड़ों में ही संसद में दिखती हैं। हेमा मालिनी, जया बच्चन, किरण खेर और कंगना रनौत को आपने संसद के बाहर अक्सर सूट या साड़ी पहने ही देखा होगा, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये सभी लोग हमेशा ट्रेडिशनल आउटफिट में ही क्यों दिखते हैं? क्या भारतीय संसद में किसी तरह का ड्रेस कोड लागू है? अगर आपके मन में भी यही सवाल आ रहा है, तो आइए जानें, क्या भारतीय संसद में आधिकारिक ड्रेस कोड लागू है?
क्या भारतीय संसद में कोई ड्रेस कोड है?
साड़ी को भारतीय संस्कृति का गौरव माना जाता है, जो सदियों से हमारी पहचान रही है। संसद में भी यह महिला सांसदों की पहली पसंद बनी हुई है। साड़ी सिर्फ एक पारंपरिक परिधान नहीं, बल्कि शक्ति और आत्मविश्वास का प्रतीक भी है, जो भारतीय नारी की गरिमा को बखूबी दर्शाता है। तो क्या हमारी संसद का कोई खास ड्रेस कोड है?
जवाब है, नहीं। संसद में सांसदों के लिए कोई लिखित ड्रेस कोड निर्धारित नहीं है। हालांकि, एक अलिखित परंपरा जरूर है। इस परंपरा के तहत, संसद की गरिमा और सादगी को बनाए रखने के लिए, महिला सांसद ज्यादातर साड़ी या सलवार-कमीज जैसे पारंपरिक परिधान पहनना पसंद करती हैं। वहीं, पुरुष सांसद आमतौर पर कुर्ता-पायजामा, धोती या सूट में नजर आते हैं।
यह परंपरा तब चर्चा में आई जब 2019 में टीएमसी सांसद नुसरत जहां को उनके वेस्टर्न परिधान पहनने के कारण सोशल मीडिया पर काफी आलोचना झेलनी पड़ी थी। बहुत से लोगों ने इसे संसद की गरिमा के खिलाफ माना था। इसके बाद से ही बिना किसी नियम के सभी सांसद भारतीय परिधानों में ही नजर आते हैं।
संसद में गरिमा बनाए रखना है जरूरी
सांसद सिर्फ कानून नहीं बनाते, बल्कि वे अपने मतदाताओं का भी प्रतिनिधित्व करते हैं। भारत में आज भी पारंपरिक पहनावे को बहुत महत्व दिया जाता है। यही वजह है कि जब सांसद धोती-कुर्ता या साड़ी पहनकर संसद में आते हैं, तो वे सिर्फ कपड़े नहीं पहन रहे होते, बल्कि अपने क्षेत्र की संस्कृति और जनता की भावनाओं से गहरा जुड़ाव भी दिखाते हैं।
यह पहनावा उनकी स्थानीय पहचान का प्रतीक बन जाता है। उदाहरण के लिए, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सादगी भरी सूती साड़ी उनकी जनता के बीच खासी लोकप्रिय है। यह उनकी सरलता और लोगों से जुड़ाव को दर्शाती है। इसी तरह, बिहार और उत्तर प्रदेश से आने वाले सांसद जब धोती-कुर्ता पहनते हैं, तो वे अपने राज्यों की सांस्कृतिक विरासत को गर्व से प्रदर्शित करते हैं।
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