New Initiative: इंडियन आर्मी ने प्लास्टिक कचरे से बनाया रोड

इंडियन आर्मी ने प्लास्टिक के कचरे के निपटारे के लिए की अनूठी पहल। आप भी लें इंस्पिरेशन और वातावरण को साफ-सुथरा बनाने के लिए उठाएं कदम।

initiative todeal with plastic waste main
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पिछले एक दशक में हमारे देश में प्लास्टिक के कचरे की समस्या विकराल रूप ले चुकी है। एक समय में जो शहर बिल्कुल साफ-सुथरे नजर आते थे, वहां आज प्लास्टिक का कचरा नजर आता है। प्लास्टिक के कचरे के बड़े-बड़े ढेर और उनसे आती दुर्गंध के कारण ज्यादातर शहरों की खूबसूरती बिगड़ रही है। खासतौर पर महानगरों में ज्यादा आबादी की वजह से इस समस्या से निपटना और भी ज्यादा चैलेंजिंग हो गया है। प्लास्टिक का कचरा अक्सर जगह-जगह पड़ा दिखाई देता है और उसे आवारा पशु खाकर मौत के शिकार हो जाते हैं। प्लास्टिक से होने वाले दुष्प्रभाव के बारे में आज के समय में ज्यादातर लोग जागरूक हैं, लेकिन इसके लिए क्या विकल्प अपनाएं जाएं, इस बारे में कम ही लोग पहल करते नजर आते हैं। ऐसी स्थितियों के मद्देनजर इंडियन आर्मी ने एक नई पहल की है, जिसका स्वागत किया जाना चाहिए। इंडियन आर्मी की Military Engineer Services विंग ने नारंगी मिलिट्री स्टेशन पर एक नए प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया है, जिसमें bitumen की वजह प्लास्टिक इस्तेमाल किया जा रहा है। यहां टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके 1.24 मीट्रिक टन प्लास्टिक को खपाया जा रहा है।

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सबसे ज्यादा प्लास्टिक कचरा पैदा करने वाले देशों में शामिल है भारत

कुछ दिनों पहले आई खबर में कहा गया था कि भारत दुनिया का प्लास्टिक कचरा पैदा करने वाला 15वां सबसे बड़ा देश है। यहां हर दिन लगभग 25940 टन प्लास्टिक का कचरा पैदा होता है। बेकार प्लास्टिक सड़कों, नदियों, खुले मैदानों, खेतों और डंपिंग ग्राउंड, हर जगह नजर आती है।

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केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने लोकसभा में 22 नवंबर को कहा था, 'Central Pollution Control Board के दिए आंकड़े के अनुसार भारत के 60 शहर 4,059 मिलियन टन प्लास्टिक हर दिन पैदा करते हैं। देश में प्लास्टिक कचरा साल 2014-15 के 1591 मिलियन टन से बढ़कर साल 2017-18 में 1719 मीट्रिक टन हो गया है। हालांकि साल 2018-19 में प्लास्टिक का उत्पादन 1589 मिलियन टन रहा है।

प्लास्टिक कचरे की समस्या से निपटने में मददगार बैक्टीरिया

इस समय पूरी दुनिया के लिए प्लास्टिक के कचरे से निपटना एक बड़ी चुनौती बन गया है और वैज्ञानिक इस समस्या से निपटने के लिए लगातार समाधान निकालने के प्रयास कर रहे हैं। पिछले महीने रिसर्चर्स ने ग्रेटर नोएडा से प्लास्टिक खाने वाले बैक्टीरिया की खोज की थी। इसे एक महत्वपूर्ण खोज माना जा रहा है, जिससे प्लास्टिक को कम करने और वातावरण को साफ करने में मदद मिल सकती है।

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बैक्टीरिया खोजे जाने से मिल सकती है बड़ी कामयाबी

शिव नादर यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के अनुसार इस बैक्टीरिया के जरिए पॉलीस्ट्रीन को decompose किया जा सकता है, जो डिस्पोजेबल कप, कटलरी, खिलौनों और पैकेजिंग मटीरियल में बड़ी मात्रा में इस्तेमाल किया जाता है।

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इंडियन आर्मी की इस पहल को देखते हुए महिलाएं भी अपने स्तर पर प्लास्टिक का कचरा कम करने की पहल कर सकती हैं। प्लास्टिक की जगह कपड़े के थैलों का इस्तेमाल, बाहर सामान लेने जाते हुए अपने घर से बैग कैरी करने की आदत और ईको फ्रेंडली चीजों का इस्तेमाल हमारे पर्यावरण को बेहतर बनाने में मदद करता है। इन छोटे-छोटे उपायों को अपनाने से महिलाएं अपने स्तर पर वातावरण को साफ-सुथरा बनाने में अहम योगदान दे सकती हैं। इससे प्लास्टिक से होने वाले पॉल्यूशन को कंट्रोल करने में भी बड़ी मदद मिलेगी।

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