नमाज पढ़ना इस्लाम धर्म की पांच दुनिया में से एक है। इस इबादत को पूरा हर मुसलमान पर फर्ज है, जिसे दिन में 5 बार पढ़ा जाता है। यह सिलसिला सूरज निकलने से पहले शुरू होता है और सूरज निकलते तक खत्म होता है। अल्लाह और उसके रसूल पर ईमान लाने के बाद सभी लोगों पर नमाज वाजिब हो जाती है। इसमें मर्द, औरत और बच्चे सभी तरह के लोग शामिल हैं। हालांकि, इसके बाद भी कई लोग नमाज अदा नहीं करते और अपनी दिनचर्या में बिजी रहते हैं।
हालांकि, ऐसा करना नहीं चाहिए क्योंकि मुसलमान पर हर हाल में नमाज वाजिब है। आपको हर रोज 5 वक्त ही नमाज अदा करनी ही है, ऐसे में अगर आप नमाज अपने दिन का हिस्सा बनाना चाहते हैं तो हम आपको कुछ शुरुआत में नमाज को सही तरह से अदा करने के तरीके बताएंगे। नमाज में बहुत छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखना जरूरी है। अगर आप ऐसा नहीं करेंगी तो आपकी सलाह कबूल नहीं होगी।
नमाज किसे कहते हैं?
नमाज पढ़ने से पहले इसे समझना जरूरी है। नमाज इस्लाम धर्म का एक अहम हिस्सा है, जिसे सलाह के नाम से भी जाना जाता है। इसमें अल्लाह की इबादत की जाती है और कुरान के कुछ हिस्सों को पढ़ा जाता है। नमाज पोजीशन के हिसाब से अदा की जाती है, जो मन को शांति देने के साथ-साथ कई तरह के शारीरिक फायदे भी पहुंचाने का काम करती है।
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नमाज में सबसे पहले क्या पढ़ा जाता है?
नमाज में सबसे पहले नियत की जाती है, जिसमें अल्लाह की बारगाह में खड़ा हुआ जाता है। इसमें अगर मुसलमान काबे की तरफ मुंह करके खड़ा होता है और नियत के लिए कुछ शब्द कहता है जैसे- नियत करती हूं मैं 2 रकात नमाज नफिल की, मुंह मेरा मक्के काबे की तरफ अल्लाहु अकबर..। इसके बाद दोनों हाथों को ऊपर करके सीने की तरफ ले जाया जाता है।
नमाज में कौन-कौन सी आयत पढ़ी जाती है?
नमाज में सूरह फातिहा कुरान की पहली सूरह को पढ़ा जाता है। इसके बाद सूरह इखलास, सूरह फातिहा, सूरह अल कहफ, सूरह काफिरून, सूरह नसर, सूरह माऊन आदि जैसी सूरत पढ़ी जाती हैं। अगर आप पहली बार नमाज अदा कर रहे हैं, तो पहले इनको अच्छी तरह से याद कर लें।
नमाज के रुकू में क्या पढ़ा जाता है?
जब नियत बांधकर 90 डिग्री के एंगल पर झुका जाता है, तो इस पोजीशन को नमाज का रुकू कहा जाता है। इस दौरान सुब्हान रब्बिल अजीम कहा जाता है, जिसका मतलब होता है कि मेरा रब पाक है और अजमत वाला है। इसे तीन बार कहा जाता है और यह कहकर सीधा खड़ा होना होता है।
दो सजदे कर झुकायाजाता है सिर
रुकू के बाद सीधे सजदे में जाया जाता है। सजदे दो किए जाते हैं, इसमें सुबहाना रब्बी अल अलाकहा जाता है। यह भी हमें तीन बार कहने होते हैं, ताकि दिल को अच्छी तरह से सुकून मिल पाए। इसके बाद सलाम फेरने के लिए उठा जाता है।
सलाम फेरने से पहले क्या पढ़ा जाता है?
सलाम फेरने से पहले अत्ताहियात, दरूदे इब्राहिम और दुआ-ए-मासूरा पढ़ी जाती है। अत्ताहियात नमाज के आखिरी हिस्से में पढ़ा जाता है, उसके बाद दरूदे इब्राहिम और फिर दुआ ए मासूरा पढ़कर सलाम फेरते हैं। सलाम फेरने के लिए हमें पहले अपना सीधा कंधा यानी इसपर बैठे फरिशमे को किया जाता है। फिर दूसरा सलाम उल्टे कंधे पर बैठे फरिशते को कहा जाता है।
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इस तरह आप नमाज अदा कर सकती हैं। अगर हमारी स्टोरी से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो आप हमें आर्टिकल के ऊपर दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।
Image Credit- (@freepik and shutterstock)
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