दिमाग में अक्सर विचारों का सिलसिला चलता रहता है। किसी छोटी सी बात को लेकर घंटों सोचना, भविष्य की अनिश्चितताओं पर चिंता करना, या अतीत की घटनाओं को बार-बार याद करते रहना आदि कई महिलाओं की बड़ी परेशानी होती है। अगर आपके साथ भी ऐसा है, तो आप ओवरथिंकिंग की शिकार हो सकती हैं। यह एक ऐसी मानसिक आदत है, जो आपकी शांति छीन लेती है। साथ ही, तनाव, चिंता और अनिद्रा जैसी कई समस्याओं को भी जन्म देती है। ओवरथिंकिंग आपको वर्तमान से भटका कर एक ऐसी मानसिक भूलभुलैया में फंसा देती है, जिससे बाहर निकलना काफी मुश्किल हो जाता है।
अच्छी बात यह है कि ओवरथिंकिंग कोई लाइलाज बीमारी नहीं है। यह एक आदत है जिसे सही तकनीकों और अभ्यास से बदला जा सकता है। इस आर्टिकल में, हम आपके लिए 5 ऐसी प्रभावी और आजमाई हुई टेक्निक्स लेकर आए हैं, जो आपको इस परेशानी से बाहर निकलने में मदद कर सकते हैं। इन तकनीकों को अपनाकर आप अपने दिमाग को शांत रख सकती हैं, वर्तमान में जीना सीख सकती हैं और अपनी मानसिक शांति वापस पा सकती हैं। तो आइए, इस अनावश्यक मानसिक बोझ से मुक्ति पाने के लिए कुछ आसान टेक्निक्स के बारे में साइकोलॉजी एक्सपर्ट से जानते हैं।
ओवरथिंकिंग कम करने के लिए 5 आसान टेक्निक्स
ओवरथिंकिंग एक ऐसी आदत है जिसे तोड़ने के लिए निरंतर प्रयास और अभ्यास की आवश्यकता होती है। ये 5 तकनीकें आपको अपने विचारों पर नियंत्रण पाने में मदद करेंगी-
अपने विचारों को लिखें
यह ओवरथिंकिंग को नियंत्रित करने का सबसे प्रभावी तरीका है। जब आपके दिमाग में बहुत सारे विचार चल रहे हों, तो उन्हें अपने दिमाग से निकालकर एक नोटबुक या डायरी में लिख लें। एक नोटबुक और पेन लें। इसके बाद, आपके मन नें जो भी विचार आ रहे हैं, उन्हें बिना किसी रोक-टोक या जजमेंट के लिखते जाएं। चिंताएं, डर, योजनाएं आदि सब कुछ लिख डालें। लिखने से आपके दिमाग को विचारों से छुटकारा पाने में मदद मिलती है। आप उन्हें अपने सामने देख पाती हैं, जिससे वे कम डरावने या भ्रमित करने वाले लगते हैं। यह आपको पैटर्न पहचानने और उन विचारों को समझने में मदद करता है जो आपको परेशान कर रहे हैं।
'चिंता का समय' निर्धारित करें
यह सुनकर अजीब लग सकता है, लेकिन चिंता करने के लिए एक निश्चित समय निर्धारित करना वास्तव में ओवरथिंकिंग को कम कर सकता है। हर दिन 15-20 मिनट का एक निश्चित समय (जैसे शाम 5 से 5:20) तय करें, जिसे आप 'चिंता का समय' कहेंगी। जब भी दिन में कोई चिंताजनक विचार आए, तो उसे तुरंत छोड़ दें और खुद से कहें- मैं इस बारे में अपने चिंता के समय में सोचूंगी। जब आपका चिंता का समय आए, तो उस दौरान आप खुलकर उन सभी विचारों पर सोचें, जो आपके मन में हैं। यह आपके दिमाग को सिखाता है कि चिंता करने का एक निश्चित समय है, और बाकी समय आप मुक्त हैं। इससे धीरे-धीरे आपको महसूस होगा कि आपके चिंता के समय में भी आपके पास सोचने के लिए बहुत कम विचार बचे हैं।
खुद को रचनात्मक गतिविधियों में व्यस्त रखें
जब आप किसी ऐसी गतिविधि में पूरी तरह से लीन हो जाती हैं जिसमें एकाग्रता की आवश्यकता होती है, तो ओवरथिंकिंग के लिए जगह नहीं बचती। अपनी पसंद की कोई भी रचनात्मक गतिविधि चुनें। इनमें पेंटिंग, बुनाई, संगीत सुनना या बजाना, बागवानी, खाना बनाना, या कोई नई भाषा सीखना आदि शामिल हो सकते हैं। महत्वपूर्ण यह है कि वह गतिविधि आपको पूरी तरह से व्यस्त कर दे। ये गतिविधियां आपके दिमाग को रचनात्मक और उत्पादक चीजों पर केंद्रित करती हैं, जिससे नकारात्मक या अनावश्यक विचारों के लिए कम जगह बचती है। यह आपको खुशी और उपलब्धि का अनुभव भी कराती है।
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माइंडफुलनेस और ध्यान का अभ्यास करें
माइंडफुलनेस का मतलब है वर्तमान क्षण में पूरी तरह से मौजूद रहना और अपने विचारों को बिना किसी निर्णय के देखना। रोजाना 5-10 मिनट का समय निकालकर शांत जगह पर बैठें। अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित करें। जब विचार आएं, तो उन्हें पहचानें और फिर धीरे से अपनी सांसों पर ध्यान वापस ले आएं। शुरुआती दिनों में ध्यान भटकना सामान्य है। माइंडफुलनेस आपको अपने विचारों को दूर से देखने की क्षमता विकसित करने में मदद करती है, बजाय इसके कि आप उनमें उलझ जाएं। यह आपको यह सिखाता है कि आप अपने विचारों से अलग हैं और आप उन्हें नियंत्रित कर सकती हैं।
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सोशल कनेक्शन बढ़ाएं
अकेलापन और अलगाव ओवरथिंकिंग को बढ़ा सकते हैं। दूसरों के साथ जुड़ना आपको अपने विचारों से बाहर निकलने में मदद कर सकता है। दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताएं। अपनी भावनाओं को किसी भरोसेमंद व्यक्ति के साथ साझा करें। नए लोगों से मिलें। बातचीत करने से आपको नए दृष्टिकोण मिल सकते हैं और यह आपको एहसास कराता है कि आप अकेली नहीं हैं। यह आपके दिमाग को रचनात्मक रूप से व्यस्त भी रखता है।
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