अभिनेता विक्रांत मैसी ने रिया चक्रवर्ती के पॉडकास्ट पर अपनी पत्नी शीतल ठाकुर के साथ लिए गए एक महत्वपूर्ण फैसले का खुलासा किया है। इस जोड़े ने अपने बेटे वरदान के जन्म प्रमाणपत्र में धर्म का कॉलम खाली छोड़ दिया है। विक्रांत ने बताया कि उनके लिए धर्म की अवधारणा काफी जटिल है, लेकिन यह किसी भी व्यक्ति की निजी आस्था और पसंद का विषय है। विक्रांत मैसी का मानना है कि धर्म केवल एक निश्चित पहचान या लेबल नहीं है, बल्कि यह जीवन जीने का एक तरीका है। उनके परिवार में कई धार्मिक परंपराओं का पालन किया जाता है, जो उनके इस विचार को और मजबूती देता है।
जानकारी के लिए आपको बता दें कि No Caste और No Religion सर्टिफिकेट एक ऐसा दस्तावेज है, जो यह बताता है कि प्रमाण पत्र धारक किसी भी जाति या धर्म से संबंध नहीं रखता है। यानी इस सर्टिफिकेट को खासकर उन लोगों के लिए बनाया गया है, जो किसी विशेष जाति या धर्म से अपनी पहचान नहीं जोड़ना चाहते। हालांकि, बिना जाति और बिना धर्म वाला यह प्रमाण पत्र भारत के कुछ राज्यों में विशेष परिस्थितियों में ही उपलब्ध है। यदि आप इस सर्टिफिकेट के लिए आवेदन करना चाहते हैं, तो अपने राज्य की प्रक्रिया और पात्रता की जानकारी लेना बेहद जरूरी है। चलिए हम आपको बताते हैं कि इस सर्टिफिकेट को बनवाने के लिए आप कहां और कैसे आवेदन कर सकते हैं। साथ ही, यह भी बताएंगे कि आखिर विक्रांत मेसी ने बेटे वरदान के लिए ऐसा फैसला क्यों लिया है।
विक्रांत मैसी ने बेटे के बर्थ सर्टिफिकेट में क्यों खाली छोड़ा धर्म का कॉलम?
अभिनेता ने इस बात पर जोर दिया कि वे धर्म को एक मानव निर्मित अवधारणा मानते हैं। उनका मानना है कि हर व्यक्ति को अपना आध्यात्मिक मार्ग बिना किसी बाहरी दबाव या पूर्वाग्रह के चुनने की पूरी आजादी होनी चाहिए। इसी सोच के साथ, विक्रांत और शीतल अपने बेटे वरदान का पालन-पोषण इस तरह से कर रहे हैं कि वह किसी भी धार्मिक या जाति-आधारित पूर्वाग्रह से पूरी तरह मुक्त रहे।
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इसी कारण उन्होंने जानबूझकर यह साहसिक कदम उठाया है कि वरदान के जन्म प्रमाणपत्र पर धर्म का कोई उल्लेख न हो। यह फैसला दिखाता है कि वे अपने बेटे को एक खुले विचारों वाला और समावेशी व्यक्ति बनाना चाहते हैं, जो मानवता को सबसे ऊपर रखे। विक्रांत खुद मंदिर के पारंपरिक अनुष्ठानों में भी भाग लेते हैं और गुरुद्वारों में जाकर शांति महसूस करते हैं और दरगाहों पर भी अपनी आस्था व्यक्त करते हैं। उनके लिए हर धार्मिक स्थान और परंपरा में एक खास तरह की शांति और सुकून है।
No Caste और No Religion सर्टिफिकेट क्या है?
No Caste और No Religion Certificate भारतीय समाज में एक समानता और धर्म-निरपेक्षता का संदेश देता है। यह प्रमाण पत्र सिर्फ उन लोगों के लिए है, जो स्वेच्छा से अपनी जाति या धर्म का त्याग करते हैं। सर्टिफिकेट मिलने के बाद, इसका उपयोग सभी आधिकारिक दस्तावेजों में किया जा सकता है। जानकारी के लिए आपको बता दें कि यह सिर्फ कुछ ही राज्यों में लागू है। इसलिए आवेदन करने से पहले राज्य के नियमों की जांच करना बेहद जरूरी है।
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नो कास्ट और नो रिलिजन सर्टिफिकेट के लिए ऐसे करें आवेदन?
नो कास्ट और नो रिलिजन सर्टिफिकेट लेने के लिए जिलाधिकारी कार्यालय पर आवेदन करना होता है। कैंडिडेट को इसके लिए जिलाधिकारी कार्यालय के पास फॉर्म भरकर जमा करना होता है। इस प्रकिया के बाद जिलाधिकारी आपके सभी प्रमाण पत्रों का सत्यापन करते हैं। पुष्टि करने के बाद, आवेदक के 'नो कास्ट, नो रिलिजन' सार्टिफिकेट पर मुहर लग जाती है। इसका मतलब है कि कैंडिडेट को फिर बिना जाति और धर्म वाला सर्टिफिकेट मिल जाता है।
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नो कास्ट और नो रिलिजन सर्टिफिकेट से जुड़ी अहम बातें
- यह प्रमाण पत्र उन सभी लोगों के लिए बेहतरीन विकल्प है, जो स्वेच्छा से अपनी जाति या धर्म की पहचान नहीं रखना चाहते हैं।
- सर्टिफिकेट मिलने के बाद, उसका उपयोग सभी आधिकारिक दस्तावेजों में किया जा सकता है।
- कुछ राज्यों में यह सर्टिफिकेट लागू नहीं है, इसलिए आवेदन करने से पहले अपने राज्य के नियमों की जांच अवश्य करें।
- जो लोग जाति और धर्म की पहचान से अलग रहना चाहते हैं, उनके लिए यह एक आदर्श दस्तावेज है।
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