ऑटिज्म यानी स्वलीनता बच्चों में होने वाली व्यवहार संबंधी परेशानी है। ऐसे बच्चों को लोगों से घुलने-मिलने और सामाजिक होने में समस्या का सामना करना पड़ता है। लोगों से साम्य न बना पाने के कारण ऐसे बच्चे अक्सर जिद्दी हो जाते हैं। उन्हें संभालने के लिए बहुत संभलकर कदम उठाने की जरूरत होती है। कुछ बातों का ध्यान रखें तो न केवल ऐसे बच्चों को संभालना आसान हो जाएगा, बल्कि उनके व्यवहार को बदलना भी संभव है। तो चलिए आर्टेमिस अस्पताल के चिल्ड्रेन सेंटर की बाल चिकित्सा फिजियोथेरेपिस्ट मोहिनी से इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
व्यवहार को समझें
अपने ही हाथों को काटना, चीखना, खुद को चोट पहुंचाना और लोगों से नजरें नहीं मिला पाना ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों के लक्षण होते हैं। इसके अतिरिक्त, साथ के बच्चों के प्रति हिंसक हो जाना, समूह में नहीं खेलना और कभी-कभी सामान्य से निर्देशों को भी न समझ पाना भी इसके लक्षण हैं। इन लक्षणों पर नजर रखना बच्चे को समझने में मददगार है। बच्चों के व्यवहार को समझने से आप अपनी प्रतिक्रिया को संतुलित रख पाते हैं, जिससे आप उसे संयमित रहने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।
सकारात्मक बने रहें
ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों की जिद को संभालने की पहली शर्त है आपका सकारात्मक बने रहना। बच्चों को अनुशासन सिखाने के लिए उन्हें हमेशा सकारात्मक सीख दें। साथ ही उसकी अच्छी और सकारात्मक बातों की प्रशंसा करें। उदाहरण के तौर पर, आप कहीं घूमने जाते हैं और आपका बच्चा शोर नहीं मचाता है, तो इस बात के लिए उसकी प्रशंसा करें। आप एक स्टिकर चार्ट भी रख सकते हैं। बच्चा कुछ अच्छा करे तो प्रोत्साहन के रूप में एक स्टिकर दें। सप्ताह या महीने में उसने कितने स्टिकर जमा किए, उस आधार पर उसे प्रोत्साहित करें। इससे बच्चे अच्छे व्यवहार के लिए प्रेरित होते हैं।
माहौल को संभालें
ऐसे बच्चे अक्सर कुछ चीजों या बातों से ट्रिगर होते हैं। उन ट्रिगर्स पर ध्यान दें और प्रयास करें कि उन्हें उन बातों का सामना न करना पड़े। माहौल को नियंत्रित रखकर आप बच्चे के व्यवहार को संयमित कर सकते हैं। ऐसे बच्चे अक्सर किसी खास परिस्थिति में ही जिद करते हैं। उन्हें ट्रिगर से दूर रखा जा सके तो जिद रोकने में मदद मिलती है।
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दिनचर्या का पालन करें
ऑटिज्म से पीड़ित बच्चे दिनचर्या में किसी भी बदलाव से बहुत परेशान होते हैं। जहां तक संभव हो, दिनचर्या का पालन करें। आप दिनचर्या का पालन जितनी सख्ती से करते हैं, बच्चे के जिद करने की आशंका कम हो जाती है। एक और बात, बच्चे को यह निर्देश न दें कि उसे क्या नहीं करना है। आपका प्रयास उसे यह बताने का होना चाहिए कि उसे क्या करना है और आप उससे क्या अपेक्षा रखते हैं।
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कुछ बातों की अनदेखी भी जरूरी है
ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों का व्यवहार अन्य बच्चों से थोड़ा अलग होता है। इस सच को समझना चाहिए। इसलिए उसकी हर बात पर डांटना सही नहीं है। जिन बातों और आदतों से किसी तरह का नुकसान न हो, उनकी अनदेखी भी जरूरी है। उनकी बातों पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दें और सहज तरीके से समझाएं कि उसे अपने व्यवहार में किस तरह के बदलाव लाने हैं। उस पर बदलाव का दबाव न डालें।
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Image credit- Herzindagi
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