हवाई जहाज की सर्विसिंग कितने दिन में की जाती है? जानिए कितना आता है खर्च

How Often Do Planes Have To Be Serviced: क्या आप जानते हैं कि जिस तरह से हर वाहन को सर्विसिंग की जरूरत पड़ती है, उसी तरह से हवाई जहाज की भी सर्विसिंग होती है। आइए जानें, हवाई जहाज की सर्विसिंग कितने दिन पर होती है और इसमें कितना खर्च आता है?
  • Nikki Rai
  • Editorial
  • Updated - 2025-03-05, 17:35 IST
How Often Do Planes Have To Be Serviced

How often do planes need to be serviced: आजकल लगभग सभी घरों में कोई ना कोई वाहन मिल ही जाता है। अब चाहे बाइक हो या कार सभी को एक समय पर सर्विसिंग की जरूरत पड़ ही जाती है। ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या हर वक्त सेवा देने वाले हवाई विमानों को भी क्या सर्विसिंग की जरूरत होती है? क्या आपने कभी सोचा है कि एक हवाई जहाज की सर्विस कैसे की जाती होगी और इसमें कितना खर्च आता होगा? अगर आपके मन में भी यही सवाल है, तो इसका जवाब जानकर आपका भी माथा चकरा जाएगा। हवाई जहाज का रखरखाव और उसका खर्च कोई आसान काम नहीं है। आइए जानें, एक हवाई जहाज की सर्विसिंग कितने दिन में होती है?

कहां होती है हवाई जहाज की सर्विसिंग?

Where is airplane servicing done

किसी भी हवाई जहाज की सर्विस एयरलाइन के मेंटेनेंस हैंगर में की जाती है। बड़े एयरपोर्ट्स पर लगभग सभी एयरलाइंस के अपने पर्सनल हैंगर होते हैं, जहां उनके विमानों की सर्विसिंग, रखरखाव और रिपेयरिंग का काम किया जाता है। इसके साथ, ही हवाई जहाज की सर्विस के लिए MRO (Maintenance, Repair & Overhaul) फैसिलिटी भी होती है। यहां पर स्पेशल मेंटेनेंस सेंटर होते हैं, जहां एयरक्राफ्ट की डीप इंस्पेक्शन और रिपेयरिंग का काम होता है। मुंबई, हैदराबाद, नागपुर और बेंगलुरु जैसे बड़े शहरों में बड़े MRO हब हैं।

लाइन मेंटेनेंस स्टेशन

Line maintenance station

इसके अलावा, भी हवाई जहाज के मेंटेनेंस के लिए लाइन मेंटेनेंस स्टेशन भी होते हैं। दरअसल, ये एयरपोर्ट के रनवे के पास बने छोटे मेंटेनेंस स्टेशन होते हैं। इस जगह पर उड़ान भरने से पहले जहाज की छोटी-मोटी चेकिंग और रिपेयर का काम होता है।

हवाई जहाज की सर्विसिंग में कितना आता है खर्च

किसी भी हवाई जहाज की सर्विसिंग का पूरा खर्च उसके साइज, फ्लाइट ऑवर और सर्विस टाइप पर ही निर्भर करता है। हवाई जहाज की सर्विसिंग के कई स्तर होते हैं। इसमें A Check, C Check और D Check होता है, जो हर थोड़े अंतराल में किया जाता है।

अलग-अलग तरह की होती है जांच

There are different types of investigations

ए-चेक से पहले कुछ छोटी-मोटी जांच की जाती है, जो उड़ान भरने से पहले होती है। इसमें लगभग 5 से 10 लाख रुपये प्रति उड़ान का खर्च आता है। ए चेक हमेशा 500 से 800 घंटे के अंतराल में किया जाता है, जिसका खर्च करीब 20 से 50 लाख रुपये तक आता है। वहीं, सी-चेक 18 से 24 महीने के अंतराल में किया जाता है। इसमें करीब 2 से 5 करोड़ रुपये का खर्च आता है। वहीं, डी चेक की बात करें, तो यह 6 से 10 साल में एक बार होता है, जिसमें करीब 15 से 50 करोड़ रुपये तक का खर्च आ सकता है। इस दौरान पूरे जहाज को खोला जाता है।

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Image Credit:Instagram/her zindagi

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