नई मां के लिए पोस्टपार्टम चुनौतियों का सामना करना हो सकता है कितना मुश्किल, फिटनेस एक्सपर्ट सुचेता पाल बता रही हैं एक्सपीरियंस

नई मां बनने के बाद पोस्टपार्टम चुनौतियों का सामना कितना मुश्किल होता है, फिटनेस एक्सपर्ट सुचेता पाल अपने अनुभव के साथ बताती हैं। जानें कैसे नई माताएं इन समस्याओं से लड़ सकती हैं और स्वस्थ एवं  मजबूत बन सकती हैं।
sucheta pal

हमने कई बार और कई लोगों के मुंह से यह बात सुनी होगी 'मां बनना आसान नहीं होता है।' इस बात में कितनी सच्‍चाई यह तो एक और मां बनकर ही जान सकती है। मगर मं बनने के बाद जो मानसिक और शारीरिक चुनौतियां आती हैं, उनके बारे में खुलकर बात करना बहुत जरूरी है। खासतौर पर तब जब महिला वर्किंग मॉम हो। मैं खुद एक मां और मैटर्नल फिटनेस एड्युकेटर हूं। मेरा अनुभव है कि 6 महीनी की मैटर्निटी लीव एक नई मां के लिए कई लिहाज से सफिशियंट नहीं है। खासतौर पर उसके शारीरिक और मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य की बात की जाए, तो बच्‍चा पैदा करने के 1 साल बात तक भी महिलाएं पूरी तौर पर शारीरिक और मानसिक रूप से रिकवर नहीं कर पाती हैं। पोस्टपार्टम से जुड़ी चुनौतियों का सामना उन्‍हें कई बार तो 1 वर्ष से अधिक समय तक भी करना पड़ता है। ऐसे में जब महिला अपनी वर्कप्‍लेस पर वापस लौटती है, तो लोगों की उम्‍मीद उससे वैसी ही होती है, जैसे मां बनने से पहले थी। लोग उसके एफिशियंट होने पर भी सवाल उठा देते हैं। मगर लोगों को नहीं पता होता है कि पोस्‍ट डिलिवरी एक महिला को सेहत से जुड़ी किन परिस्थितियों से गुजरा पड़ सकता है।"

मां बनने के बाद वर्कप्‍लेस पर एक नई मां को किन परिस्थितियों से गुजरना पड़ता है और उन्‍हें अपने कलीग्‍स से किस तरह के समर्थन की आवश्यकता होती है, चलिए इस पर एक छोटी सी चर्चा करते हैं।

न्‍यू मॉम की फिटनेस के बारे में समझें

यह स्‍वभाविक है कि वर्कप्‍लेस पर हमारे कलीग्‍स हमसे उसी तरह के काम और एफर्ट्स की अपेक्षा करते हैं, जैसा वो कर रहे हैं। इसमें कोई गलत बात भी नहीं है, मगर मैटरनिटी लीव के बाद जब एक महिला वापिस काप पर लौटती है, तो वापस से काम से जुड़ने में और उसे समझने में उसे थोड़ा वक्‍त लग सकता है। दरअसल, एक नई मां कई चीजों से डील कर रही होती है। शारीरिक रूप से वह पूरी तरह से स्‍वस्‍थ्‍य नहीं हो पाती है, वहीं मानसिक और भावनात्‍मक रूप से भी वह कई परिस्थितियों का सामना कर रही होती है। सभी माताओं के साथ अलग-अलग सिचुएशन होती है, ऐसे में उन्‍हें एडजस्‍ट होने के लिए थोड़ी स्‍पेस और वक्‍त मिलना बहुत ही आवश्‍यक है।

postpartum fitness tips

कमजोरी और अस्थिरता

एक मैटरनल फिटनेस एड्युकेटर होने के नाते मैंने कई ऐसी न्‍यू मॉम्‍स को देखा है, पोस्‍ट डिलिविरी डायस्‍टेसिस रेक्टि नामक परेशानी से जूझ रही होती हैं। दरअसल, प्रेग्‍नेंसी के दौरान पेट की मांसपेशियां अलग हो जाती हैं। इसे डिलिवरी के बाद ठीक होने में समय लगता है। इससे हर वक्‍त लगता है कि पेट लटक रहा है। जाहिर है, महिला का शरीर वैसा नहीं दिखता जैसा पहले दिखता था। ऐसे में लो कॉन्फिडेंस का होना न्‍यू मॉम के लिए बहुत बड़ी चुनौती होता है।

पेल्विक फ्लोर समस्याएं

जरा सोचिए कि आपको थोड़ी-थोड़ी देर में वॉशरूम जाना पड़े और आपसे 1 मिनट भी न रुका जाए। जाहिर, वर्कप्‍लेस पर यह परेशानी आपको कई बार बहुत ऑकवर्ड फील कराती है। दरअसल, ऐसा पेल्विक फ्लोर के कमजोर होने के कारण होता है। ऐसे में आपको पता भी नहीं चलता और पेशाब का रिसाव होने लगता है। कई बार आपको भारीपन महसूस होता है। पोस्‍ट डिलिवरी यह बहुत ही आम समस्‍या है। हर महिला के साथ ऐसा नहीं होता मगर 3 में से 1 महिला के साथ ऐसा हो सकता है। इस पर खुलकर चर्चा जरूरी है ताकि न्‍यू मदर के साथ जब ऐसा हो तो उसके आस-पास के लोग उसकी परेशानी को समझ पाएं।

इसे जरूर पढ़ें-डिलीवरी के बाद महिलाओं को हो सकती हैं पेल्विक हेल्थ से जुड़ी कई दिक्कतें, इन टिप्स की मदद से रखें ख्याल

पीठ दर्द का होना

प्रेग्‍नेंसी और पोस्‍ट प्रेग्‍नेंसी महिलों के शरीर में कई हार्मोनल बदलाव होते हैं। इससे उनके लिगामेंट्स ढीले हो जाते हैं, जिससे एक ही मुद्रा में बैठे रहना और बहुत अधिक चलना या खड़े रहना भी उनके लिए मुमकिन नहीं होता है। यहां भी उन्‍हें सपोर्ट की जरूरत होती है। कई बार महिलाएं इस बारे में बात नहीं कर पाती हैं। अनुशासन और ऑफिस डेकोरम के चलते वो अपनी तकलीफों को नजरअंदाज भी करती हैं, मगर कलीग्‍स का सपोर्ट मिल जाए तो मुश्किल काम भी उनके लिए आसान हो जाता है।

how to tackle postpartum issues

थकान और नींद की कमी

हर दिन एक सा नहीं होता है। लाइफ के अलग-अलग फेज होते हैं। पोस्‍ट डिलिवरी पोस्‍टापार्टम भी एक फेज ही है। मां को रात में कई बार बच्‍चे के साथ देर तक जागना होता है, कई बार नींद पूरी नहीं होती है। कई बार बच्‍चे की देखभाल करते हुए मां थक भी जाती है। ऐसे में शारीरिक और मानसिक थकान का असर भी काम पर पड़ता है। मूड स्विंग से जूझना भी एक न्‍यू मॉम के लिए जूझना बड़ी चुनौती है। इस बात को हर कोई नहीं समझ पाता है और मां के स्‍वभाव को खराब समझ लिया जाता है। जबकि, इतनी सारी चीजों को डील करते-करते किसी आम इंसान को भी चिड़चिड़ाहट और गुस्‍सा आ सकता है। ऐसी स्थिति में थोड़ी सी ब्रीडिंग स्‍पेस दी जाए, तो न्‍यू मॉम के लिए वर्कप्‍लेस पर काम करना आसान हो जाएगा

कार्यस्थल पर समर्थन की आवश्यकता

यह कड़वा सत्य है कि अधिकांश वर्कप्‍लेस पर इन चुनौतियों को लोग समझते हुए भी समर्थन नहीं करते। पूरी तरह से बॉडी के रिकवर न होने की वजह से अक्‍सर न्‍यू मॉम्‍स को वर्कप्‍लेस पर ऐसी परिस्थितियों का समना करना पड़ता है, जो काम में ध्‍यान केंद्रित करने में उन्‍हें कठिनाई देता है। इतना ही नहीं, न्‍यू मॉम भी कई बार अपनी क्षमता के अनुसार परफॉमेंस न दे पाने की वजह से तनाव में होती है। उसे आत्‍म संदेह होने लगता है, अपनी काबलियत पर जब खुद ही शक होने लग जाए, तो इससे बड़ा स्‍ट्रेस क्‍या हो सकता है। ऐसे में थोड़े सपोर्ट और अंडरस्‍टैंडिंग के साथ यदि न्‍यू मॉम को वर्कप्‍लेस पर डील किया जाए तो करियर में आगे बढ़ना उसके लिए आसान हो सकता है।

वैसे मैंने यह भी अनुभव किया है कि वक्‍त बदलने के साथ लोगों की सोच बदली है। अब कुछ कंपनीज ऐसी हैं, जहां एक न्‍यू मदर को सपोर्ट करने के लिए ऑट ऑफ द बॉक्‍स कोशिशे भी की जाती हैं, जैसे- वर्क फ्रॉम होम की सुविधा, हाइब्रिड सिस्‍टम, शिफ्ट में फ्लेक्सिबिलिटी आदि चीजें वर्किंग मॉम के लिए बहुत अधिक सपोर्टिव है। मगर इन सबके साथ यह भी जरूरी है कि अब न्‍यू मॉम्‍स के कॉन्फिडेंस को बढ़ाने के लिए वर्कप्‍लेस पर उनकी टीम एवं कलीग्‍स भी उन पर भरोसा दिखाएं। न्‍यू मॉम्‍स का मनोबल बढ़ान उनके स्‍ट्रेस को काफी हद तक कम कर सकता है और उनकी वर्क एफिसिएंसी को भी बढ़ा सकता है।

इसे जरूर पढ़ें-हर नई मां को डिलीवरी के बाद हो सकती हैं ये 6 समस्याएं, बचाव का सही तरीका एक्‍सपर्ट से जानें

उम्‍मीद है कि आपको लेख में दी गई जानकारी पसंद आई होगी। इसे ज्‍यादा से ज्‍यादा लोगों तक पहुंचाने में हमारी मदद करें। लेख अच्‍छा लगा हो तो शेयर और लाइक जरूर करें। अपने सुझाव हमें कमेंट बॉक्‍स में लिख कर दें। साथ ही ऐसे और भी यूटिलिटी से जुड़े लेख पढ़ने के लए हरजिंगदी को फॉलो करें।

HzLogo

HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!

GET APP