Shiv Tilak: हर देवी देवता अपने माथे पर एक तिलक धारण करते हैं। उसी प्रकार महादेव भी त्रिपुंड तिलक लगाते हैं। यहां तक कि महादेव की पूजा के दौरान कई साधु-संतों और गृहस्थों को भी त्रिपुंड तिलक लगाते देखा जाता है लेकिन क्या आप जानते हैं इस त्रिपुंड का महत्व और इसके गूढ़ में छिपा रहस्य। अगर नहीं तो आज हम आपको इस बारे में बताने जा रहे हैं कि आखिर क्यों लगाया जाता है महादेव को त्रिपुंड तिलक और क्या है इसका वैवाहिक जीवन से ताल्लुक।
त्रिपुंड का महत्व और वैवाहिक जीवन से संबंध
त्रिपुंड में देवताओं का वास
हमार एक्सपर्ट ज्योतिषाचार्य डॉ राधाकांत वत्स का कहना है कि महादेव के त्रिपुंड तिलक में 27 देवताओं का वास है। त्रिपुंड तिलक में 3 रेखाएं होती हैं और हर एक रेखा में 9 देवता स्थापित हैं। इस प्रकार तीन रेखाओं में 27 देवताओं का वास है। शिव के त्रिपुंड में स्थित ये 27 देवता व्यक्ति के भीतर 27 गुणों का संचार करते हैं। ये वही 27 गुण होते हैं जो विवाह के समय लड़का और लकड़ी के मिलाए जाते हैं।
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वैवाहिक जीवन के गुणों का निर्माण
अब आप कहेंगे कि गुण तो 36 होते हैं तो 27 का आंकड़ा गलत है। तो चलिए इसका भी तथ्य समझा देते हैं। वाल्मीकि रामायण (रामायण के दिलचस्प तथ्य) और ज्योतिष शास्त्र के आधार पर, ये माना जाता है कि इस पूरे पृथ्वी लोक पर मात्र प्रभु श्री राम और माता सीता ही ऐसे थे जिनके 36 के 36 गुण मिले थे। इसके पश्चात या इससे पूर्व ऐसा कभी नहीं हुआ है कि विवाह के समय किसी भी कन्या और कुमार के 36 गुण मिले हों।
27 गुण मिलना माना जाता है सर्वश्रेष्ठ
ज्योतिष में, हम आम व्यक्तियों के लिए अर्थात हम मनुष्यों के लिए गुणों के पैमाने तय किये गए हैं जिसके अनुसार, 36 में से 18 गुण मिलने को ठीक-ठाक, 21 गुण मिलने को मध्यम और 27 गुण मिलने को सर्वोत्तम माना गया है। इन्हीं 27 गुणों का संचार महादेव के त्रिपुंड में स्थित देवता व्यक्ति के अंदर करते हैं।
त्रिपुंड तिलक के लाभ
- महादेव के ललाट पर लगने वाला त्रिपुंड मात्र कोई तिलक नहीं है। इस त्रिपुंड में कई चमत्कारी शक्तियां छिपी हैं। माना जाता है कि जो भी व्यक्ति भगवान शिव को त्रिपुंड तिलक लगाने के बाद उसे प्रसाद रूप में अपने मस्तक पर धारण करता है उसके वैवाहिक जीवन (वैवाहिक जीवन के लिए वास्तु उपाय) में चल रही परेशानियां नष्ट हो जाती हैं।
- त्रिपुंड तिलक को प्रसाद रूप में लगाने से विवाह में हो रही देरी का भी अंत होता है। यदि किसी ग्रह दोष के कारण विवाह में अड़चन आ रही है तो त्रिपुंड तिलक के प्रभाव से वह ग्रह दोष स्वतः ही समाप्त हो जाता है। त्रिपुंड तिलक को प्रसाद में लगाने से भूत पाधा, प्रेत बाधा या किसीभी प्रकार की नकारात्मक शक्ति आपको छू भी नहीं पाती।
- त्रिपुंड तिलक लगाने से शिव कृपा हमेशा बनी रहती है और उसे जीवन में कभी कोई असफलता निराश नहीं करती। व्यक्ति कामयाब बनता है और उसके जीवन में अखंड शुभता का वास होता है। त्रिपुंड तिलक से व्यक्ति के अवगुणों में भी कमी आती है और उसका व्यक्तित्व सकारात्मक तौर पर और भी अच्छे से निखर पाता है।
त्रिपुंड तिलक लगाने का तरीका
- त्रिपुंड तिलक लगाने के कुछ नियम होते हैं। त्रिपुंड तिलक को बहुत सावधानी से और शुद्धता के साथ लगाना चाहिए।
- त्रिपुंड तिलक सबसे पहले भगवान शिव को लगाएं फिर उसके बाद ही खुद के माथे पर उसे धारण करें।
- त्रिपुंड तिलक महादेव या स्वयं को लगाते समय इस बात का ध्यान रखें की आपने स्नान किया हो और स्वच्छ वस्त्र पहने हों।
- त्रिपुंड तिलक लगाते समय आपका मुख उत्तर दिशा की ओर हो।
- त्रिपुंड तिलक शैव परंपरा से जुड़ा है। ऐसे में इसे लगाते समय अनामिका उंगली, मध्यमा उंगली और अंगूठे का प्रयोग करें।
- दो उंगली और एक अंगूठे के माध्यम से माथे पर बाईं आंख की तरफ से दाईं आंख की तरफ आड़ी रेखा खींचें।
- विशेष बात त्रिपुंड का आकार इन दोनों आंखों के बीच में ही सीमित रहना चाहिए।
तो ये था महादेव को लगाए जाने वाले त्रिपुंड का महत्त्व, इसका वैवाहिक जीवन से संबंध और इसे लगाने के लाभ व नियम। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ। आपका इस बारे में क्या ख्याल है? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
Image Credit: Herzindagi
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