
हिंदू धर्म में किसी भी तिथि का विशेष महत्व होता है। ऐसे ही हर महीने के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि यह व्रत पूर्ण रूप से भगवान शिव को समर्पित होता है। वैसे तो आमतौर पर यह व्रत त्रयोदशी तिथि को पड़ता है, लेकिन यदि द्वादशी तिथि पर यदि प्रदोष काल मिल रहा होता है तो इसी दिन प्रदोष व्रत रखना शुभ होता है। इसी क्रम में मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत भी बहुत विशेष है और इसका महत्व बहुत ज्यादा है। यह प्रदोष व्रत इस साल 02 दिसंबर को रखना ही शुभ माना जा रहा है, क्योंकि इसी दिन प्रदोष काल में शिव पूजन फलदायी होगा। आइए ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से जानें दिसंबर माह के पहले प्रदोष और मार्गशीर्ष महीने के दूसरे प्रदोष व्रत की सही तिथि, पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व क्या है।
इस साल मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 2 और 3 दिसंबर दोनों दिन पड़ रही है, लेकिन पूजा के लिए शुभ समय 02 दिसंबर को ही प्राप्त हो रहा है, इसलिए इसी दिन व्रत करना फलदायी होगा।

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ऐसा कहा जाता है कि प्रदोष व्रत की पूजा हमेशा प्रदोष काल में ही करनी चाहिए, जिससे पूर्ण फलों को प्राप्ति हो सके। प्रदोष काल वह समय होता है जो सूर्यास्त से 2 घड़ी यानी 48 मिनट तक चलता है, किदवंतियों का मानना है सूर्यास्त से 2 घड़ी पूर्व व सूर्यास्त से 2 घड़ी बाद तक के समय को ही प्रदोष काल माना जाता है और इसी समय भगवान शिव की पूजा करना फलदायी होता है। मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष प्रदोष व्रत पूजा का का शुभ मुहूर्त- 02 दिसंबर को, शाम 5:33 बजे से रात्रि 8:15 बजे तक रहेगा। यदि आप व्रत करती हैं, तो इसी मुहूर्त में पूजा कर सकती हैं। यदि आप प्रदोष व्रत नहीं करती हैं तब भी इस शुभ मुहूर्त में शिवलिंग की पूजा करना और प्रदोष व्रत की कथा का पाठ करना शुभ माना जाता है।

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किसी भी प्रदोष व्रत के दिन आप यदि भगवान शिव की पूजा करती हैं तो ये आपके लिए बहुत शुभ होता है। ऐसा कहा जाता है कि यह व्रत संतान की अच्छी सेहत और भविष्य के लिए शुभ माना जाता है। यदि आप संतान प्राप्ति की इच्छा रखती हैं तब भी यह व्रत आपके लिए लाभदायक हो सकता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना करने से समस्त दुखों का नाश होता है। इस व्रत का पालन अविवाहित लड़कियां भी करती हैं, जिससे उन्हें सुयोग्य व्रत की प्राप्ति हो सके। चूंकि मार्गशीर्ष महीने का दूसरा प्रदोष व्रत मंगलवार को पड़ रहा है, इसलिए इसे भौम प्रदोष कहा जा रहा है। यदि आप इस दिन शिव जी के साथ हनुमान जी की पूजा भी करें तो व्रत का फल कई गुना बढ़ जाता है।
यदि आप मार्गशीर्ष महीने के प्रदोष व्रत का पालन नियम से करें तो आपके लिए बहुत शुभ हो सकता है और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसे ही अन्य आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
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