Who decides the train platform: यात्रीगण कृपया ध्यान दें, लखनऊ से दिल्ली आ रही, फला गाड़ी नंबर प्लेटफॉर्म 1 पर आने वाली पर है। ऐसे दिनभर में हजारों ट्रेन रेलवे-स्टेशन पर आती-जाती और रुकती है। अब ऐसे में जब कभी-भी हमें अपने घर जाना हो या किसी और जगह, तो हम लोग आने-जाने के लिए सबसे पहले ट्रेन चेक करते हैं। पहले जहां लोग प्लेटफॉर्म पर जाकर पूछताछ काउंटर पर जाकर इसके बारे में जानकारी लेते थे। वहीं कुछ अब डिजिटल जमाने में अब घर बैठे ट्रेन के बारे में पता लगाते हैं। इसके बाद हम ट्रेन के आने के समय से लेकर प्लेटफॉर्म नंबर चेक करते हैं। पर क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर कौन सी ट्रेन किस प्लेटफॉर्म पर रूकेंगी यह कैसे तय किया जाता है। खासतौर से जब स्पेशल ट्रेन या कोई ट्रेन लेट चल रही हो।
कहने को हम रोजाना ट्रेन में सफर करते हैं। लेकिन यकीनन इस बात पर शायद ही गौर किया हो कि आखिर किस प्लेटफार्म से कौन सी ट्रेन आएगी या जाएगी। ये कौन तय करता है? कैसे अचानक किसी ट्रेन का प्लेटफॉर्म चेंज कर दिया जाता है। अगर आप ट्रेन की टाइमिंग के खेल के बारे में नहीं जानते हैं, तो इस लेख में आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि आखिर ट्रेन के रुकने और जाने का क्रम कैसे निर्धारित किया जाता है।
ट्रेन के आने-जाने और रुकने का निर्धारण कौन करता है?
ट्रेन किस प्लेटफॉर्म पर आएगी और कब रुकेगी यह स्टेशन मास्टर या रेलवे कंट्रोल रूम द्वारा नियंत्रित किया जाता है। यह फैसला कई कारकों को ध्यान में रखकर लिया जाता है ताकि ट्रेनों की आवाजाही सुरक्षित और सुचारू रूप से चलती रहे।
ट्रेन का प्लेटफॉर्म कैसे तय किया जाता है? (How train platforms are decided)
- ट्रेन किस प्लेटफॉर्म पर रुकेगा यह ट्रेन के प्रकार पर निर्भर करता है। मेल,एक्सप्रेस ट्रेनों को अक्सर मुख्य प्लेटफॉर्म पर जगह दी जाती है क्योंकि इनमें यात्रियों की संख्या ज्यादा होती है और इनका ठहराव कम समय का होता है। वहीं पैसेंजर ट्रेनों को अक्सर ऐसे प्लेटफॉर्म पर रोका जाता है जो यात्रियों के लिए ज्यादा सुविधाजनक हों।
- प्लेटफॉर्म कौन सा खाली है- किसी ट्रेन के रुकने या आने पर प्लेटफॉर्म को डिसाइड करने के लिए पहले यह देखा जाता है कि कौन सा प्लेटफॉर्म खाली है। यह सबसे महत्वपूर्ण कारक है। अगर कोई ट्रेन तय समय से पहले या देरी से आती है, तो उसके लिए खाली प्लेटफॉर्म का इंतजाम करना पड़ता है।
- आने और जाने वाली ट्रेनों का समय- ट्रेन के आने और जाने का निर्धारण रेलवे कंट्रोल रूम तय करता है। साथ ही यह भी सुनिश्चित करता है कि एक ही समय पर एक ही ट्रैक पर दो ट्रेनें न आएं। इस पूरी प्रक्रिया को मैनेज करने के लिए ट्रेनों के आगमन और प्रस्थान के समय को बारीकी से ट्रैक किया जाता है। इसके बाद यह तय किया जाता है कि ट्रेन कौन सी प्लेटफॉर्म पर आएगी।
- यात्रियों की सुविधा- अगर कोई लंबी ट्रेन आ रही है तो उसे ऐसे प्लेटफॉर्म पर रोका जाता है जिसकी लंबाई उस ट्रेन की लंबाई को कवर कर सके। साथ ही यात्रियों के चढ़ने और उतरने की सुविधा का भी ध्यान रखा जाता है।
- गाड़ी की गति- स्टेशन मास्टर ट्रेन की गति के आधार पर भी प्लेटफॉर्म तय करता है। अगर कोई प्रीमियम ट्रेन जैसे राजधानी या शताब्दी एक्सप्रेस है तो उसे प्राथमिकता दी जाती है।
आखिरी मिनट में बदलाव कब और क्यों होता है?
कई बार आपातकालीन स्थितियों के कारण आखिरी मिनट में प्लेटफॉर्म बदलना पड़ता है। ऐसा तब होता है जब कोई ट्रेन अचानक लेट हो जाए और उसका प्लेटफॉर्म खाली न हो। किसी प्लेटफॉर्म पर तकनीकी खराबी आ जाए।
यात्रियों की सुरक्षा के लिए प्लेटफॉर्म बदलना जरूरी हो?
ऐसे में यात्रियों को तुरंत जानकारी देने के लिए अनाउंसमेंट की जाती हैं और डिजिटल डिस्प्ले बोर्ड पर भी जानकारी अपडेट की जाती है। इस तरह हर ट्रेन का प्लेटफॉर्म और ठहराव का समय एक सुनियोजित योजना का हिस्सा होता है जो रेलवे की कुशलता और सुरक्षा को बनाए रखता है।
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Image Credit- freepik
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