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डिलीवरी के बाद नई मां को करना पड़ता है कई चुनौतियों का सामना, पति अपनी पत्नी को कैसे करें सपोर्ट...एक्सपर्ट से जानें

एक नई मां के जीवन में बच्चे की परवरिश के साथ कई ऐसी चुनौतियां आ सकती हैं जो उसे मानसिक और शारीरिक रूप से परेशान कर सकती हैं। ऐसे में उन्हें पति के सपोर्ट की ज्यादा जरूरत होती है। आइए जानें कैसे पति अपने पति को सहयोग दे सकते हैं।
Editorial
Updated:- 2025-05-06, 10:53 IST

बच्चे को नौ महीने पेट में रखने से लेकर बच्चे के जन्म तक ही नहीं, बल्कि उसके बाद के कई महीने भी नई मां के लिए चुनौतीभरे हो सकते हैं। एक तरफ जहां नई मां अपने शरीर की कुछ समस्याओं जैसे बढ़ता वजन, हाथों-पैरों में दर्द और कमजोरी का सामना करती है। वहीं रात की नींद पूरी न होने की वजह से वो मानसिक रूप से भी खुद को परेशान महसूस कर सकती है। अक्सर जन्म के तुरंत बाद से लेकर कुछ महीनों तक नवजात बच्चे पूरी रात जगते हैं और दिन में सोते हैं। ऐसे में बच्चे तो अपनी नींद पूरी कर लेते हैं, लेकिन मां ठीक से सो भी नहीं पाती है। जिसका सीधा असर उनकी सेहत और दिमाग पर हो सकता है।
आमतौर पर यह सिलसिला बच्चे के जन्म के शुरूआती छह सप्ताह तक चलता है, लेकिन भावनात्मक और शारीरिक परिवर्तन इससे भी लंबे समय तक चल सकते हैं। वास्तव में यह नई मां के लिए महत्वपूर्ण समायोजन का समय होता है, जिसमें शारीरिक रिकवरी, हार्मोनल परिवर्तन और मनोवैज्ञानिक बदलाव शामिल होते हैं।

नई माएं जिन चुनौतियों का सामना करती हैं उसमें शारीरिक, भावनात्मक या मनोवैज्ञानिक और सामाजिक कारकों के रूप में आने वाली समस्याएं हो सकती हैं। ऐसे में सबसे बड़ा सपोर्ट बच्चे के पिता यानी कि उनके पति से ही मिल सकता है। दरअसल हर एक पति को इस बारे में जरूर जान लेना चाहिए कि बच्चे के जन्म के बाद उनकी पत्नियों को किस तरह के सपोर्ट की जरूरत पड़ सकती है। आइए Dr. Riya Gupta (MBBS, MD, DNB Psychiatry), Consultant Psychiatrist, Fortis Hospital से जानें इसके बारे में विस्तार से।

नई मां के लिए शारीरिक चुनौतियां

challenges for new mon

जब कोई महिला मां बनती है तब उसके जीवन में बहुत से बदलाव आते हैं। इनमें से सबसे ज्यादा परेशान करती हैं शारीरिक चुनौतियां। डिलीवरी के बाद नवजात शिशु की देखभाल करने से होने वाली थकावट, शरीर की रिकवरी में लगने वाले समय की वजह से बेचैनी, हार्मोनल बदलाव के कारण मूड स्विंग जैसी समस्याएं, ब्रेस्ट से जुड़ी समस्याएं जैसे ब्रेस्ट फीडिंग में होने वाला दर्द, ब्रेस्ट में सूजन और निप्पल में दर्द। बालों का तेजी से झड़ना और त्वचा में बदलाव। ऐसी न जानें कितनी समस्याएं नई मां को होती हैं और ये उसके लिए चुनौती की तरह सामने आती हैं।

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how husbands can support to new mom

भावनात्मक या मनोवैज्ञानिक चुनौतियां

मूड में उतार-चढ़ाव, आक्रामकता, छोटी-छोटी बातों पर चिड़चिड़ापन सहित कई बार भावनाओं का गुस्से के रूप में बाहर निकलना, नींद के शेड्यूल में बदलाव, मुख्य रूप से नवजात शिशु की चौबीसों घंटे देखभाल करने के कारण नींद की कमी, शिशु के स्वास्थ्य के बारे में अत्यधिक चिंता, शिशु से संबंधित अवांछित विचार, अकेलेपन की भावना, शिशु की देखभाल न कर पाने का अपराध बोध। ऐसी न जानें कितनी भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक चुनौतियां एक नई मां को बच्चे के जन्म के तुरंत बाद परेशान कर सकती हैं।                                                        

नई मां के लिए सामाजिक चुनौतियां

new mom challenges

नई मां को अक्सर अलगाव और अकेलापन महसूस होने लगता है क्योंकि उन्हें साथी या परिवार से सहयोग नहीं मिल पाता है। व्यक्तिगत समय की कमी क्योंकि मां अपने शौक या खुद की देखभाल के लिए खुद के लिए समय नहीं निकाल पाती है।

नई मां तनाव या दोस्तों से कटा हुआ महसूस करती है

एक मां के रूप में अपनी नई पहचान के लिए संघर्ष करना एक चुनौती हो सकती है, जिससे उसकी खुद की पहचान का संकट पैदा होता है, ऐसे में पति अपनी पत्नी के लिए इन सभी चुनौतियों के दौरान मदद कर सकते हैं।

वास्तव में नई मां और नवजात शिशु दोनों की भलाई के लिए बच्चे के पिता को भी कई जिम्मेदारियों को समझने की आवश्यकता है। उनका प्यार, सहानुभूति और सक्रिय भागीदारी माता-पिता के जीवन को काफी आसान बना सकती है। डिलीवरी के बाद आने वाली चुनौतियों के दौरान अपनी पत्नी का सपोर्ट करने के लिए पति अपने दैनिक जीवन में कई तरीके अपना सकते हैं। आइए जानें उनके बारे में-

पति अपनी पत्नी को दें भावनात्मक समर्थन

बस धैर्य और प्यार के साथ रहना आपकी पत्नी को भावनात्मक समर्थन प्रदान करने का एक शक्तिशाली साधन है। सक्रिय रूप से उसकी बात सुनने की कोशिश करें। इसके अलावा, उसे बिना किसी निर्णय के डर, निराशा या संदेह व्यक्त करने की अनुमति दें। इस बात को स्वीकार करें कि वह जिस स्थिति से गुजर रही है वह वास्तविक और महत्वपूर्ण है और आप हमेशा उसके सपोर्ट के लिए मौजूद हैं। डिलीवरी के बाद आने वाले तनाव या चिंता के लक्षणों के प्रति सचेत रहें और अपनी पत्नी को प्रोफेशनल सपोर्ट लेने के लिए धीरे से प्रोत्साहित करें।

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पति अपनी पत्नी का सपोर्ट कैसे कर सकते हैं?  

डिलीवरी के बाद की अवधि का मतलब बच्चे के जन्म के बाद की अवधि से है। पोस्टपार्टम आमतौर पर पहले छह सप्ताह, लेकिन भावनात्मक और शारीरिक परिवर्तन इससे भी अधिक समय तक रह सकते हैं। यह माताओं के लिए महत्वपूर्ण समायोजन का समय है, जिसमें शारीरिक सुधार, हार्मोनल परिवर्तन और मनोवैज्ञानिक बदलाव शामिल हैं।

पत्नी को दें शारीरिक सहायता

नवजात शिशु के साथ मां के काम को बांटने का प्रयास करें, बारी-बारी से बच्चे को फीड कराएं। यदि बोतल से दूध पिला रहे हैं या पंप से दूध पिला रहे हैं तो साथ में आप डकार दिलाएं, डायपर बदलें या बच्चे के कपड़े बदलें तथा उसे शांत कराएं। बच्चे के शारीरिक उपचार में सहयोग करें। मां को आराम करने के लिए प्रोत्साहित करें और दवाओं में उनकी मदद करें। जब भी संभव हो, रात की शिफ्ट में काम करें, ताकि मां को बिना किसी बाधा के सोने का मौका मिले।

पति उठाएं कुछ घरेलू जिम्मेदारियां

how husband can support their wife

यदि संभव हो तो पति घर के कामों में भी पत्नी की मदद करें जैसे खाना बनाना, घर की सफाई करना, कपड़े धोना आदि। किसी भी तरह के तनाव को कम करने के लिए शांतिपूर्ण वातावरण बनाएं और अनावश्यक कार्यों को आने से रोकें। पत्नी को नींद पूरी करने का समय दें और उन्हें मी टाइम एन्जॉय करने का मौका दें। यही नहीं उन्हें आत्म-देखभाल और आराम के लिए कुछ समय देने का प्रयास करें।
यही नहीं आप अपनी पत्नी के साथ पोस्टपार्टम देखभाल में शामिल हों। स्तनपान परामर्श में हिस्सा लें यदि पत्नी को स्तनपान कराने में कठिनाई हो रही है तो बच्चे को फार्मूला मिल्क देने की कोशश करें। इससे मां को अपने लिए थोड़ा समय मिल सकता है।

एक कपल के रूप में कैसे करें सहयोग  

छोटी-छोटी बातचीत, साथ खाना खाने के लिए भी उसके साथ जुड़े रहें, इससे आपका आपसी प्रेम बना रहे। इस बात को समझें कि शारीरिक अंतरंगता में समय लग सकता है। आपके लिए भावनात्मक निकटता महत्वपूर्ण है, इसलिए धैर्य बनाए रखें। पत्नी की किसी भी काम में सराहना करें, एक मां  के रूप में उसके प्रयासों को स्वीकार करें और उसे बताएं कि आप उनका महत्व समझते हैं।

अपना भी ख्याल रखें

अपने तनाव को पहचानें, मानसिक रूप से स्वस्थ रहें और आवश्यकता पड़ने पर सहायता लें। स्थिर रहने का प्रयास करें, आपकी शांति और विश्वसनीयता पत्नी  को सुरक्षित और समर्थित महसूस कराने में मदद करेगी।

आपके जीवन में पति की भूमिका एक सहायक साथी, एक सक्रिय अभिभावक, एक दयालु श्रोता की होती है। आपकी भागीदारी से पारिवारिक बंधन मजबूत होता है और बच्चे के विकास के लिए स्वस्थ, प्रेमपूर्ण वातावरण को बढ़ावा मिलता है। आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से। अपने विचार हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

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