हमारे देश में अक्सर जब महिलाएं घर के बाहर कदम रखती हैं तो परिवार वाले उनकी सेफ्टी के लिए फिक्रमंद रहते हैं। लेकिन यूएन की एक नई स्टडी में यह बात सामने आई है कि महिलाएं सबसे ज्यादा अनसेफ अपने घर में ही हैं। अफ्रीका में हुई एक स्टडी में यह बात सामने आई कि अफ्रीका और अमेरिका ऐसी जगहें हैं, जहां महिलाओं को अपने पार्टनर्स या फैमिली मेंबर्स से सबसे ज्यादा खतरा है। अफ्रीका में 1 लाख महिलाओं में 3.1 फीसदी और अमेरिका में 1.6 फीसदी महिलाएं इस जोखिम की शिकार होती हैं। ओशनिया में यह आंकड़ा प्रति 1 लाख महिलाओं में 1.3 फीसदी और एशिया में 0.9 फीसदी है।
हमारे देश में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर केंद्र सरकार ने तरह-तरह के कदम उठाएं। लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति को बेहतर करने के साथ-साथ महिलाओं को संरक्षण देने वाले कानून भी मजबूत किए गए हैं। केंद्र सरकार ने हाल ही में रेप के दोषियों के लिए मृत्युदंड का प्रावधान किया है। लेकिन इन कदमों को उठाए जाने के बाद भी देश में आए दिन महिलाओं के साथ होने वाली ज्यादती के मामले सामने आते हैं। देश ही नहीं, दुनिया में भी महिलाओं की सेफ्टी एक अहम मुद्दा बन गया है। एक नई स्टडी में चौंकाने वाले नतीजे सामने आए हैं। इंटरनेशनल डे फॉर द एलिमिनेशन ऑफ वॉयलेंस अगेंस्ट वुमन को रिलीज हुए आंकड़ों में यह यूनाइटेड नेशन्स ऑफिस ऑन ड्रग्स एंड क्राइम (यूएनओडीसी) ने गणना की कि साल 2017 में कुछ 87,000 महिलाओं की हत्या के मामले सामने आए। इनमें 50,000 या 58,000 महिलाओं के मर्डर उनके इंटिमेट पार्टनर या फैमिली मेंबर्स ने किए थे। वहीं 30,000 या 34 फीसदी मर्डर सिर्फ इंटिमेट पार्टनर ने किए थे।
घर में महिलाओं को सबसे ज्यादा खतरा
वियना स्थित इस संगठन ने जो आंकड़े दिए हैं, उसके हिसाब से हर घंटे 6 महिलाओं को मारा जा रहा है। यूएनओडीसी ने चीफ यूरी फेदोतोव ने कहा, 'दुनियाभर में घर में होने वाली हत्याओं में सबसे ज्यादा पुरुष शिकार होते हैं, जिनका आंकड़ा 80 फीसदी है, लेकिन महिलाएं लैंगिग असमानता, भेदभाव और नेगेटिव स्टीरियोटाइप्स की एक बड़ी कीमत चुका रही हैं। महिलाओं को सबसे ज्यादा खतरा अपने ही इंटिमेट पार्टनर और फैमिली से है। इन आंकड़ों के हिसाब से घर महिलाओं के लिए सबसे ज्यादा असुरक्षित जगह है।
अफ्रीका और अमेरिका में महिलाएं सबसे ज्यादा असुरक्षित
स्टडी में यह बात सामने आई कि अफ्रीका और अमेरिका में महिलाएं सबसे ज्यादा असुरक्षित हैं। महिलाए घर में हिंसा की शिकार हो रही हैं, यह इस बात की ओर संकेत करता है कि पुरुष और महिलाओं के बीच घरों में संबंध संतुलित नहीं हैं। यूएनओडीसी की गणना के अनुसार महिलाओं की हत्या का ग्लोबल रेट प्रति एक लाख महिलाओं में 1.3 फीसदी है। वहीं इस मामले में सबसे नीचे यूरोप रहा, जहां प्रति एक लाख महिलाओं में हिंसा की शिकार होने वाली महिलाओं की संख्या 0.7 फीसदी है।
स्थिति में नहीं आया है बदलाव
यूएनओडीसी के अनुसार महिलाओं को घर में हिंसा से बचाने के लिए पिछले कुछ सालों में कानून बनाए गए हैं और कई तरह के सुधार कार्यक्रम लाए गए हैं, लेकिन स्थिति में बहुत सुधार नहीं आया है। इस रिपोर्ट में महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा और ज्यादती से बचाव के लिए ठोस कदम उठाए जाने की बात भी कही गई है। साथ ही महिलाओं की सुरक्षा बढ़ाने और शिकार की संभावित महिलाओं को संरक्षण देने और दोषियों पर कार्रवाई किए जाने पर भी बल दिया गया है। यह स्टडी पुलिस और न्याय व्यवस्था के बेहतर कोऑर्डिनेशन के साथ महिलाओं के लिए स्वास्थ्य और सामाजिक सेवाओं की आवश्यकता पर भी बल देती है।
Recommended Video
HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों