
भारत एक ऐसा देश है जिसका भूगोल उतना ही प्राचीन है जितना कि इसकी संस्कृति। जब हम पहाड़ों की बात करते हैं तो अक्सर हमारे दिमाग में सिर्फ हिमालय का नाम आता है जो बर्फ से ढकी ऊंची चोटियों के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि हिमालय तो 'युवा' पहाड़ हैं। भारत की भूमि पर कुछ ऐसे पहाड़ भी मौजूद हैं जो हिमालय से करोड़ों साल पुराने हैं और तब से खड़े हैं जब पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत ही हो रही थी। अरावली से लेकर पश्चिमी घाट तक, ये पर्वत श्रृंखलाएं न केवल हमारे देश की जलवायु को नियंत्रित करती हैं बल्कि इनका इतिहास और बनावट दुनिया के सबसे पुराने भौगोलिक रहस्यों में से एक है।
अरावली को भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया की सबसे प्राचीन पर्वत श्रेणियों में गिना जाता है। इसका इतिहास लगभग 350 करोड़ साल पुराना है। यह श्रृंखला राजस्थान से शुरू होकर हरियाणा और दिल्ली तक फैली हुई है। कभी ये पहाड़ हिमालय से भी ऊंचे हुआ करते थे, लेकिन करोड़ों वर्षों की हवा और बारिश के कटाव के कारण अब इनकी ऊंचाई काफी कम हो गई है। अरावली का सबसे ऊंचा शिखर 'गुरु शिखर' है जो माउंट आबू में स्थित है। यह पहाड़ उत्तर भारत के रेगिस्तान को फैलने से रोकने में एक दीवार की तरह काम करते हैं।

विंध्याचल और सतपुड़ा पर्वत श्रृंखलाएं भारत के मध्य भाग में स्थित हैं और उत्तर भारत को दक्षिण भारत से अलग करती हैं। विंध्याचल का उल्लेख हमारे पौराणिक ग्रंथों और राष्ट्रगान में भी मिलता है। यह पर्वत मुख्य रूप से मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में फैले हुए हैं। वहीं सतपुड़ा की पहाड़ियां घने जंगलों और अपनी सात श्रेणियों (सत-पुड़ा) के लिए जानी जाती हैं। इन पहाड़ों का इतिहास ज्वालामुखी गतिविधियों और धरती के भीतर होने वाली हलचलों से जुड़ा है। नर्मदा और ताप्ती जैसी महान नदियां इन्हीं पहाड़ों के बीच से होकर बहती हैं।
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पश्चिमी घाट, जिन्हें 'सह्याद्रि' भी कहा जाता है, भारत के पश्चिमी तट के साथ-साथ चलते हैं। ये पहाड़ हिमालय से भी पुराने माने जाते हैं और इन्हें यूनेस्को (UNESCO) द्वारा विश्व धरोहर घोषित किया गया है। दूसरी ओर, पूर्वी घाट बंगाल की खाड़ी के समांतर स्थित हैं। ये पर्वत श्रृंखलाएं करोड़ों सालों से मानसून की हवाओं को रोककर भारत में बारिश कराती आ रही हैं। पश्चिमी घाट अपने दुर्लभ जीव-जंतुओं और औषधीय पौधों के लिए प्रसिद्ध हैं, जो दुनिया में कहीं और नहीं पाए जाते।

इन पुराने पहाड़ों का इतिहास हमें बताता है कि कैसे करोड़ों साल पहले 'गोंडवाना लैंड' नाम के एक विशाल महाद्वीप से टूटकर भारत का हिस्सा बना था। हिमालय का निर्माण तो बाद में भारतीय प्लेट के यूरेशियन प्लेट से टकराने पर हुआ, लेकिन अरावली और घाट जैसे पहाड़ उस टक्कर से बहुत पहले ही वजूद में थे। ये पहाड़ हमारे लिए खनिजों का सबसे बड़ा स्रोत हैं। अरावली से निकलने वाला संगमरमर और विंध्याचल से मिलने वाले पत्थर ही हमारे ऐतिहासिक किलों और मंदिरों के निर्माण में इस्तेमाल हुए हैं।
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