Hachiko Turns 100: डॉग और इंसानों का प्यार किसी से छुपा नहीं है। हचिको की कहानी भी दिल छू लेने वाली है। हचिको के मालिक टोक्यो यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर थे। दोनों के बीच का रिश्ता इतना खूबसूरत और गहरा था हचिको रोज अपने मालिक को छोड़ने और लेने के लिए स्टेशन तक जाता था।
जानें हचिको के बारे में
टोक्यो यूनिवर्सिटी में एक प्रोफेसर थे, जिनका नाम एजाबुरो यूनो था। उन्होंने एक लंबी खोज के बाद हचिको को गोद लिया और दोनों का रिश्ता गहरा होता चला गया। हचिको रोजाना अपने मालिक को स्टेशन तक छोड़ने और वहां से लेने जाता था। साल 1925 में 21 मई के दिन भी हचिको को रोजाना ही तरह अपने मालिक को लेने गया, लेकिन उस दिन एजाबुरो यूनो नहीं लौटे।
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10 साल तक किया इंतजार
दरअसल एजाबुरो सेरेब्रल हेमरेज से जूझ रहे थे, इसी वजह से उनकी अचानक मृत्यु हुई। हालांकि, हचिको ने शिबुआ स्टेशन जाना नहीं छोड़ा। वो लगातार रोजाना सुबह और शाम स्टेशन जाता था। हचिको ने अपने मालिक का जिस तरह 10 साल तक इंतजार किया, उसी को देखते हुए यह कहा जाता है कि वो सबसे वफादार डॉग है।
हचिको का स्टैचू
1948 से टोक्यो के शिबुया स्टेशन के बाहर हचिको की कांस्य प्रतिमा बनाई गई। यह स्टैचू उनकी वफादारी और मालिक के प्रति प्यार को दर्शाता है। इस साल हचिको 100 साल के हो गए हैं और उन्हे आज भी वफादारी के लिए याद किया जाता है। हचिको पर एक फिल्म भी बन चुकी है, जो उनकी कहानी दर्शाती है। यह फिल्म बहुत इमोशनल है।
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