Gangaur 2023 Ke Bare Mein: हिन्दू धर्म में महिलाएं पति की लंबी आयु और संतान के अच्छे स्वास्थ्य के लिए अनेकों व्रतों का पालन करती हैं जिनमें से कुछ नियमित होते हैं तो कुछ विशेष स्थान रखते हैं। खास व्रतों की इसी सूची में से एक है गणगौर का व्रत। ज्योतिष एक्सपर्ट डॉ राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं गणगौर के बारे में विस्तार से।
गणगौर 2023 की डेट
इस साल गणगौर 24 मार्च, दिन शुक्रवार को मनाया जाएगा। गणगौर के दिन चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पड़ रही है। तृतीया तिथि का शुभारंभ 23 मार्च, दिन गुरुवार (गुरुवार के दिन न करें इन चीजों का दान) को शाम 6 बजकर 20 मिनट से होगा वहीं, इसका समापन 24 मार्च को शाम 4 बजकर 59 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, इस साल गणगौर का व्रत मार्च की 24 तारीख को रखा जाना है।
इस जरूर पढ़ें:Chaitra Navratri 2023: चैत्र नवरात्रि में इस बार ये होगा मां का वाहन, जानें महत्व और संकेत
गणगौर 2023 का महत्व
गणगौर शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है। गण का अर्थ है भगवान शिव और गौर का अर्थ है माता गौरा अर्थात मां पार्वती। गणगौर के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विधान है। खास बात यह है कि इस दिन महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की मिट्टी की प्रतिमाएं अपने हाथों से बनाती हैं और फिर उनका श्रृंगार कर उनकी पूजा करती हैं।
गणगौर के व्रत से जुड़ी एक अजीब मान्यता यह भी है कि इस व्रत का पालन महिलाएं अपने पति से छुपकर करती हैं। गणगौर का व्रत सिर्फ विवाहित ही नहीं बल्कि कुंवारी कन्याएं भी करती हैं। गणगौर का पर्व मुख्य तौर पर मध्य प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा में मनाया जाता है। मान्यता है कि गणगौर का व्रत रखने से मन चाहा वर प्राप्त होता है और शादीशुदा महिलाओं को अखंड सौभग्य मिलता है।
गणगौर 2023 की पूजा सामग्री
गणगौर की पूजा में लकड़ी का साफ़ पटरा, कलश, काली मिट्टी, होलिका की राख, गोबर या फिर मिट्टी के उपले, दीपक, गमले, कुमकुम (कुमकुम को पैरों में लगाने के लाभ), अक्षत, सुहाग से जुड़ी चीज़ें जैसे: मेहंदी, बिंदी, सिंदूर, काजल, रंग, शुद्ध और साफ़ घी, ताजे फूल, आम के पत्ते, पानी से भरा हुआ कलश, नारियल, सुपारी, गणगौर के कपड़े, गेंहू और बांस की टोकरी, चुनरी, कौड़ी, सिक्के, घेवर, हलवा, चांदी की अंगुठी, पूड़ी आदि का प्रयोग किया जाता है।
इस जरूर पढ़ें: Chaitra Navratri 2023: नवरात्रि के दौरान क्यों रखा जाता है व्रत? जानें क्या है इसका महत्व और नियम
गणगौर 2023 की पूजा विधि
- प्रातः जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
- स्नान के पश्चात अगर आप विवाहिता हैं तो अपना पूर्ण श्रृंगार करें।
- अगर आप अविवाहित हैं तो बस स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- श्रृंगार कर एक लोटे में ताजा जल भरें। उस जल में फूल और दूब मिलाएं।
- साथ ही किसी स्वच्छ बगीचे से कंकड़-पत्थर रहित मिट्टी घर लाएं।
- उस साफ मिट्टी से भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा बनाएं।
- भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्तियों को साथ में स्थापित करें।
- अब गणगौर को सुंदर वस्त्र पहनाकर रोली, मोली, हल्दी, काजल, मेहंदी आदि सुहाग की चीजें अर्पित करें।
- गणगौर का को वस्तुएं अर्पित करते हुए गीत गाएं।
- घर की दीवार पर सोलह-सोलह बिंदियां रोली, मेहंदी व काजल की लगाएं।
- एक थाली में जल, दूध-दही, हल्दी, कुमकुम घोलकर सुहागजल तैयार करें।
- दोनों हाथों में दूब लेकर सुहागजल से गणगौर को छींटे लगाएं।
- बाद में महिलाएं खुद के ऊपर भी इस जल को छिड़कें।
- आखिर में मीठे गुने या चूरमे का भोग लगाकर गणगौर माता की कहानी सुनें।
- शाम के समय गणगौर को पानी पिलाकर किसी पवित्र सरोवर या कुंड आदि में विसर्जित कर दें।
तो ये थी गणगौर से जुड़ी समस्त जानकारी। अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
Image Credit: freepik, social media
HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों