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हमारे यहां भारत में ज्यादातर ऑफिसों में 5 डेज वर्किंग चल रहा है। कुछ ऑफिस ऐसे भी हैं जहां हफ्ते में छह दिन काम करना पड़ता है, लेकिन अब कर्मचारियों के बीच ये चर्चा तेज हो गई है कि क्या भारत में भी हफ्ते में सिर्फ 4 दिन काम और 3 दिन छुट्टी का नियम लागू हो सकता है। ज्यादा काम का प्रेशर, स्ट्रेस और वर्क-लाइफ बैलेंस की जरूरत इसकी सबसे बड़ी वजह मानी जा रही है।
सोचिए अगर भारत में ऐसा सिस्टम लागू हो जाए तो लोगों की लाइफ कितनी आसान हो जाएगी। आज हम आपको इसके बारे में विस्तार से जानकारी दे रहे हैं। आइए जानते हैं-
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आपको बता दें कि दुनिया के कई देशों में 4-Days Working वाला सिस्टम चल रहा है। इन जगहों पर देखा गया कि जो लोग चार दिन काम कर रहे हैं उनकी प्रोडक्टिविटी में कोई कमी नहीं आई। वो और ज्यादा क्रिएटिव तरीके से काम करने लगे। इसी वजह से भारत में भी लोग जानना चाहते हैं कि क्या यहां ऐसा सिस्टम आ सकता है।
The Labour Codes allow flexibility of 12 hours for 4 workdays only, with the remaining 3 days as paid holidays.
— Ministry of Labour & Employment, GoI (@LabourMinistry) December 12, 2025
Weekly work hours remain fixed at 48 hours and overtime beyond daily hours must be paid at double the wage rate.#ShramevJayate pic.twitter.com/5udPMqRXbg
श्रम और रोजगार मंत्रालय ने नए लेबर कोड्स को लेकर साफ किया है कि हफ्ते में काम के कुल घंटे 48 ही रहेंगे। यानी काम के घंटे कम नहीं किए गए हैं, बल्कि उन्हें बांट दिया गया है। अगर कोई कंपनी चाहे तो एंप्लॉई चार दिनों तक काम कर सकता है। ऐसे में उसकी शिफ्ट आठ या 9 घंटे के बजाया 12 घंटे की होगी। इससे उसे तीन दिन की छुट्टी मिलेगी। ये पूरी तरह से कंपनी की पॉलिसी पर निर्भर करेगा। हालांकि सरकार ने इसे अनिवार्य नहीं किया है।
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श्रम मंत्रालय ने साफ कहा है कि 12 घंटे की शिफ्ट में ब्रेक और इंटरवल भी शामिल होंगे। यानी बीच में खाना, चाय और आराम का समय मिलेगा। लगातार 12 घंटे काम नहीं करना पड़ेगा। अगर काेई वर्कर 12 घंटे से ज्यादा काम करता है तो उसे ओवरटाइम का पैसा दोगुनी दर से देना होगा। ये नियम 4 दिन वाले सिस्टम में भी लागू रहेगा।
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सरकार ने पुराने 29 लेबर कानूनों को खत्म करके 4 नए लेबर कोड बनाए हैं, जिनका मकसद नियमों को आसान और साफ करना है-
इन कोड्स के तहत फ्लेक्सिबल वर्किंग, शिफ्ट सिस्टम और सेफ्टी पर ज्यादा ध्यान दिया गया है।
भारत में ये ऑप्शन मौजूद है, लेकिन ये जरूरी नहीं कि हर कंपनी इसे फॉलो ही करे। जहां काम की नेचर और सिस्टम इजाजत देगा, वहां कंपनियां इसे लागू कर सकती हैं। कुछ सेक्टर में 5 दिन का सिस्टम ही ज्यादा सही माना जाएगा।
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अगर कोई कंपनी 4 दिन वाला सिस्टम लागू करती है, तो वर्कर्स को 3 दिन का लंबा वीकेंड, फैमिली और खुद के लिए ज्यादा समय मिलेगा, पढ़ाई करने के साथ-साथ स्किल सुधारने के लिए भी ये सुनहरा माैका हो सकता है।
फिल्हाल भारत में 4 Day Working Rule अभी जरूरी नहीं किया गया है, लेकिन नए लेबर कोड्स के तहत ये संभव जरूर हाे सकता है। फैसला पूरी तरह कंपनी पर ही निर्भर करेगा। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
Image Credit- Freepik
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