हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत यानी कि त्रयोदशी तिथि का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन भगवान शिव का पूरे श्रद्धा भाव से व्रत करना विशेष रूप से फलदायी होता है। प्रत्येक माह में दोनों पक्षों कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है।
हर एक प्रदोष व्रत का अपना अलग महत्त्व होता है और इस दिन शिव पूजन मुख्य रूप से फलदायी होता है। महीने में 2 बार और साल में पूरे 24 प्रदोष व्रत होते हैं। आइए नई दिल्ली के जाने माने पंडित, एस्ट्रोलॉजी, कर्मकांड,पितृदोष और वास्तु विशेषज्ञ प्रशांत मिश्रा जी से जानें ज्येष्ठ के महीने यानी कि जून में पड़ रहा है प्रदोष व्रत और इसका क्या महत्त्व है।
जून प्रदोष व्रत की तिथि
इस बार ज्येष्ठ माह की कृष्ण पक्ष त्रयोदशी का प्रदोष व्रत 07 जून 2021 दिन सोमवार को किया जाएगा। सोमवार के दिन पड़ने की वजह से इसे सोम प्रदोष व्रत कहा जाएगा। इस बार का प्रदोष व्रत बहुत लाभकारी होगा क्योंकि सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित माना जाता है।
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प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त
- ज्येष्ठ माह का प्रदोष व्रत 07 जून दिन सोमवार को किया जाएगा।
- ज्येष्ठ माह कृष्ण पक्ष त्रयोदशी तिथि आरंभ- 07 जून सुबह 08 बजकर 48 मिनट से
- ज्येष्ठ माह कृष्ण पक्ष त्रयोदशी तिथि समाप्त- 08 जून सुबह 11 बजकर 24 मिनट तक
- 7 जून को ही प्रदोष काल प्राप्त हो रहा है इसलिए इसी दिन प्रदोष व्रत करना शुभ होगा।
क्या होता है प्रदोष काल
प्रदोष व्रत के दिन भगवान शंकर की पूजा प्रदोष काल में करनी चाहिए। शास्त्रों के अनुसार, सूर्यास्त से 45 मिनट पूर्व और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक का समय प्रदोष काल कहा जाता है। कहा जाता है कि प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
कैसे करें पूजन
- प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर सर्वप्रथम स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- एक चौकी में सफ़ेद कपड़ा बिछाकर शिव मूर्ति या शिवलिंग स्थापित करें।
- भगवान शिव को चंदन लगाएं और नए वस्त्रों से सुसज्जित करें।
- प्रातः काल का पूजन करने के पश्चात पूरे दिन व्रत का पालन करें और फलाहर ग्रहण करें।
- प्रदोष काल में शुभ मुहूर्त के अनुसार शिव पूजन करें, प्रदोष व्रत की कथा सुनें व पढ़ें।
- शिव जी की आरती करने के बाद भोग सभी को वितरित करें और स्वयं भी ग्रहण करें।
- इस दिन भगवान् शिव का माता पार्वती समेत पूजन करना लाभकारी होता है।
प्रदोष व्रत का महत्त्व
प्रदोष व्रत पूरी तरह से भगवान शिव को समर्पित होता है। ज्येष्ठ के महीने में यह तिथि सोमवार को पड़ने के कारण इसका महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है। सोमवार को शिव जी का दिन माना जाता है और इस दिन का व्रत विशेष फलदायी है। सोम प्रदोष व्रत में भगवान् शिव का माता पारवती समेत पूजन करें। ऐसा करने से सभी कष्टों और बाधाओं से मुक्ति मिलेगी और संतान के स्वास्थ्य अच्छा बना रहेगा। इसके अलावा संतान इच्छा रखने वाले दम्पति के लिए भी यह व्रत विशेष फलदायी है।
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