Eid-Ul-Adha Kab Hai 2025: 6 या 7 जून...भारत में किस दिन मनाई जाएगी बकरीद? यहां जानें कुर्बानी से लेकर ईद-उल अजहा का दिलचस्प किस्सा

बकरीद हर साल धुल हिज्जा की 10वीं तारीख को मनाई जाती है। इस बार जून के महीने में यह त्योहार सेलिब्रेट किया जाएगा, लेकिन किस दिन शुक्रवार या शनिवार? आइए इस लेख में विस्तार के जानते हैं सही तारीख और इससे रोचक तथ्यों के बारे में- 
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हर साल धुल हिज्जा महीने की 10वीं तारीख को मनाई जाने वाली इस ईद की शुरुआत चांद के दीदार से होती है। हालांकि, सऊदी अरब और दूसरे देशों में बकरीद का चांद पहले ही नजर आ जाता है। भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे देशों में सऊदी में चांद की तारीख से एक दिन आगे ईद का त्योहार मनाया जाता है। यही वजह है कि हर साल लोगों के मन में यह सवाल बना रहता है कि बकरीद कब है?

इस बार बकरीद किस दिन सेलिब्रेट की जाएगी अगर आप भी इसी सवाल का जवाब ढूंढ रहे हैं, तो यह लेख आपकी मदद कर सकता है। इस लेख में हम न सिर्फ आपको बकरीद की तारीख बताएंगे, बल्कि हम इससे जुड़े इतिहास को भी जानेंगे कि आखिर क्यों ईद का यह त्योहार सेलिब्रेट किया जाता है। साथ ही साथ कुछ ऐसी दिलचस्प बातें जो इस त्योहार को और खास बनाती हैं।

भारत में किस दिन है बकरीद?

eid ul adha kab hai bakrid 2025 date and history

भारत में बकरीद सऊदी अरब में चांद दिखने के बाद होती है। अरब में चांद के हिसाब से ईद 7 जून को भारत में मनाई जाएगी। इस दिन शनिवार होगा और यही दिन धुल हिज्जा महीने का दसवां दिन होता है।

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हालांकि, सऊदी अरब और कुछ दूसरे देशों में यह त्योहार शुक्रवार यानी 6 जून 2025 को मनाया जाएगा, क्योंकि वहां चांद का दीदार एक दिन पहले हो गया था। इसलिए आप बिल्कुल भी कंफ्यूज न हों क्योंकि भारत में ईद 7 जून को मनाई जाएगी।

आखिर क्यों मनाई जाती है बकरीद?

बकरीद का इतिहास पैगंबर इब्राहीम अलैहिस्सलाम से जुड़ा हुआ है। इन्होंने अल्लाह के एक आदेश पर अपने बेटे को कुर्बान करने की इच्छा जताई थी। अल्लाह ने उनकी सच्ची नीयत देखकर उनके बेटे की जगह एक जानवर भेज दिया और तब से ही यह त्योहार कुर्बानी की याद में मनाया जाने लगा।

अल्लाह से इस इम्तेहान इब्राहीम पास हो गए और पूरी कॉम के लिए एक मिसाल बन गए। यह किस्सा हमें बताता है कि अल्लाह की रजा में सब कुछ कुर्बान है, क्योंकि बेशक वोही बेहतरीन अता करने वाला है।

कुर्बानी करने का सही तरीका

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कुर्बानी करना बहुत ही अफजल माना जाता है। इस दौरान किसी एक जानवर जैसे बकरी, भेड़, गाय या ऊंट की हलाल तरीके से कुर्बानी दी जाती है। इसके बाद, जानवर को तीन हिस्सों में बांटा जाता है, जिसमें से एक हिस्सा परिवार के लिए, दूसरा रिश्तेदारों और दोस्तों के लिए और तीसरा जरूरतमंदों और गरीबों के लिए होता है।

कुर्बानी किन पर वाजिब है?

कुर्बानी हर मुसलमान पर वाजिब नहीं है, सिर्फ उस शख्स पर जो इस्लाम में बताए गए नियम के अंदर आता है।

  • पास कुर्बानी के लिए पैसा हो और साढ़े सात तोला सोना या साढ़े बावन तोला चांदी जिनता पैसा जमा हो।
  • कुर्बानी केवल उस व्यक्ति पर वाजिब होती है, जो अक्लमंद और बालिग होता है।
  • कुर्बानी मुसाफिर पर वाजिब नहीं होती, यह केवल मुकीम पर वाजिब होती है।
  • कुर्बानी सिर्फ मर्दों पर नहीं, बल्कि औरतों पर भी वाजिब है, बशर्ते वो मालदार और समझदार हो।

बेहद खास है धुल हिज्जा का महीना

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बकरीद धुल हिज्जा की 10वीं तारीख को आती है। यह महीना वैसे ही बहुत खास और पाक माना जाता है। इसी महीने में मुसलमान हज करने के लिए मक्का-मदीना जाते हैं, जो हर उस मुसलमान पर फर्ज है जो आर्थिक तौर मजबूत है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह सबसे महंगी यात्रा में से एक है।

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Image Credit- (@Freepik and shutterstock)

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