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धू-अल-हिज्जा के दिनों में करें ये काम, होंगी सारी दुआएं कुबूल

बकरीद से 10 मिनट पहले धू-अल-हिज्जा के दिन शुरू हो जाते हैं। कहा जाता है कि इन दिनों अल्लाह की इबादत करने का दोगुना सवाब मिलता है। ऐसे में कुछ ऐसी चीजें हैं जिन्हें आप भी अपने रूटीन में शामिल कर सकते हैं।&nbsp; <div>&nbsp;</div>
Editorial
Updated:- 2023-06-21, 16:08 IST

यह तो हम सभी जानते ही हैं कि बकरा ईद मुसलमानों का त्यौहार है, जिसका बड़ी बेसब्री से इंतजार किया जाता है। इसे ईद-उल-अजहा के नाम से भी जाता है। बकरा ईद के दिन उस लम्हे का जश्न मनाया जाता है जब मुहम्मद साहब का खुदा ने इम्तिहान लिया था और उनके खुद के बेटे की जगह एक बकरे की कुर्बानी दी थी। तभी से इस दिन मुस्लिम समुदाय बकरा ईद का जश्न मनाता है।

पर क्या आपको पता है इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक यह साल का आखिरी महीना यानी 12वां महीना है। इस महीने में न सिर्फ बकरीद आती है बल्कि धू-अल-हिज्जा के दिन भी आते हैं। यह दिन मुस्लिम समुदाय के लिए काफी मायने रखते हैं। यह तो हम सभी को मालूम है कि हज इस्लाम का एक अहम हिस्सा है, जिससे करने के लिए लोग मक्का-मदीना जाते हैं। आइए जानते हैं धू- अल-हिज्जा के बारे में- 

दान करें

give cherity in hindi

इस्लाम में वैसे को ज़कात वाजिब कर दी गई है, जिसे साल में किसी भी दिन दिया जा सकता है। मगर कहा जाता है कि अगर आप धू-अल-हिज्जा के दौरान दान करते हैं, तो आपको दोगुना सवाब मिलता है। इसलिए बेहतर है कि आप ज्यादा से ज्यादा दान करें।

अगर आपकी आमदनी अच्छी है, तो कोशिश करें गरीबों की ज्यादा से ज्यादा मदद करने की। दान करने के बाद किसी को इस बात की जानकारी न करें। (पैगंबर मुहम्मद की कितनी बेटियां थीं?)

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कुर्बानी करें

मुस्लिम ग्रंथ के अनुसार इस दिन हलाल जानवर की कुर्बानी दी जाती है। इसके पीछे की कहानी यह है कि हज़रत इब्राहिम को अल्लाह ने आदेश दिया था कि वो अपने बेटे हज़रत इस्माइल को कुर्बान कर दें। हज़रत इब्राहिम अल्लाह का यह हुक्म माना और अपने बेटे की कुर्बानी देने के लिए तैयार हो गए। 

पर जब हज़रत इब्राहिम कुर्बानी दे रहे थे तब बीच में बकरा आ गया और कुर्बान हो गया। इस वाक्य के बाद इस दिन बकरे की कुर्बानी दी जाती है। अगर आपका हिसाब अच्छा है, तो कुर्बानी जरूरत करें। अगर हो सके, तो कुर्बानी के गोश्त को गरीबों में बांट दें।   

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हज या उमराह पर जाएं

Hajj during dhu al hijjah

अगर आपका हिसाब है, तो मक्का-मदीना हज करने जरूर जाएं। अगर आपका हिसाब है, तो मक्का-मदीना हज करने जरूर जाएं। बता दें कि हज यात्रा इस्लामी कैलेंडर के मुताबिक अंतिम महीना माना जाता है और धू अल-हिज्जा के 8वें दिन पड़ता है। (आखिर क्या है ‘उमराह’)

इस साल हज  7 जुलाई से शुरू हुआ था। अगर आप हज का प्लान कर रहे हैं, तो इस वक्त उमराह करना बेस्ट रहेगा। बकरीद से पहले हज करने का प्लान बनाएं और अपनी मगफिरत की दुआएं मांगें। 

रोज़ा रखें

 days of dhu al hijjah in hindi ()

कुरान के मुताबिक धू-अल- हिज्जा के नौवें दिन रोज़ा रखना काफी सुन्नत है। पैगम्बर मोहम्मद भी नौवीं तारीख को रोज़ा रखा करते थे। नौवीं तारीख को रोज़ा रखकर जो भी दुआ मांगी जाती है कुबूल होती है। रोज़ा रखने के लिए सिर्फ भूखा रहना नहीं पड़ता बल्कि कुछ दुआएं भी हैं, जिनकी कसरत से तिलावत करनी पड़ती है। 

इसे जरूर पढ़ें- Roza Rakhne or Kholne Ki Dua: रोज़ा रखने से लेकर रोज़ा खोलने की दुआ यहां जानें

कहते हैं कि अल्लाह रोज़ेदार की सबसे पहले नियत देखता है और फिर दुआ, नमाज़ या फिर रोज़ा कबूल करता है। अगर हम सच्चे दिल से रोज़ा रखने का इरादा किया जाता है, तो रोज़े रखने का दोगुना सवाब मिलता है।

 

इसके अलावा, कुरान की तिलावत करें और पांच वक्त की नमाज़ अदा करें। अगर आपको कोई और दुआ पूछनी है, तो हमें नीचे कमेंट करके बताएं। यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।

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