दिवाली का त्योहार नजदीक है। इस त्याेहार के मौके पर पूरे देश की रौनक देखते ही बनती है। महीनों पहले इसके तैयारियाें की शुरुआत हो जाती हैं। लोग घर की रंगाई पुताई से लेकर साफ-सफाई तक में जुट जाते हैं। दिवाली का नाम आते ही हर किसी के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है। रोशनी, मिठाइयों और सजावट के बीच बच्चों को कुछ ज्यादा ही एक्साइटमेंट होती है। उन्हें बस जल्दी से जल्दी पटाखे जलाने का इंतजार होता है।
फुलझड़ी, अनार, चरखी, रॉकेट और बम, लेकिन यही मजा कई बार खतरे में भी बदल जाता है। हर साल दिवाली के दौरान बच्चों के हाथ जलने, कपड़ों में आग लगने या हादसे की खबरें सामने आती हैं। ऐसे में माता-पिता की जिम्मेदारी है कि वे अपने बच्चों को न सिर्फ पटाखों का मजा लेने दें, बल्कि उन्हें सुरक्षित तरीके से पटाखे जलाना भी सिखाएं। हम आपको अपने इस लेख में बताएंगे कि दिवाली के समय किन 5 बातों का खास ध्यान रखना जरूरी है ताकि त्योहार खुशियों के साथ बीते। आइए जानते हैं -
बच्चे पटाखे जलाने को लेकर काफी एक्साइटेड होते हैं और अक्सर बिना सोचे-समझे पटाखे जलाने लगते हैं। यही लापरवाही चोट का कारण बन जाती है। पेरेंट्स को चाहिए कि वे बच्चों को कभी भी अकेले पटाखे न जलाने दें। हमेशा किसी बड़े की निगरानी में ही पटाखे जलाएं। इससे न सिर्फ बच्चे सेफ रहेंगे, बल्कि उन्हें सही तरीका भी सिखाया जा सकेगा।
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बच्चों को बताएं कि पटाखे हमेशा खुली और हवादार जगह पर ही जलाने चाहिए, जहां आसपास कोई आग लगने वाली चीज न हो। साथ ही उन्हें सिंथेटिक कपड़े न पहनाएं, क्योंकि ये आग जल्दी पकड़ लेते हैं। कॉटन या सूती कपड़े पहनना सबसे सेफ माना जाता है।
अक्सर बच्चे जल्दबाजी में पटाखे हाथ में पकड़कर जला देते हैं, जो कि खतरनाक तरीका है। ऐसा करने से हाथ और चेहरा, दोनों के जलने का खतरा होता है। बच्चों को सिखाएं कि वे पटाखे हमेशा जमीन पर रखें और लंबी अगरबत्ती या मोमबत्ती से दूरी बनाकर ही जलाएं।
कार, बाइक या बिजली के मीटर, वायर जैसी जगहों के पास पटाखे जलाना खतरे से खाली नहीं है। पटाखे की चिंगारी से आग फैल सकती है।
कई बार बारिश या ठंड के कारण लोग घर या बालकनी में पटाखे जलाने लगते हैं, लेकिन ये बहुत खतरनाक होता है। घर के अंदर रखे पर्दे, फर्नीचर या सजावट की चीजें तुरंत आग पकड़ सकती हैं। बच्चों को सिखाएं कि अगर बाहर जगह नहीं है, तो छत या खुले ग्राउंड में जाएं, लेकिन घर के अंदर कभी नहीं।
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दिवाली रोशनी, हंसी और परिवार के साथ बिताने का त्योहार है, न कि अस्पतालों की दौड़ का। थोड़ी सी सावधानी और सही गाइडेंस बच्चों को सुरक्षित रख सकती है। दिवाली पर बच्चों को सिर्फ पटाखे जलाना ही नहीं, सुरक्षित तरीके से त्योहार मनाना भी सिखाइए।
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