Devi Katyayani Puja Vidhi or Shubh Muhurat: जानें देवी कात्‍यायनी की पूजा की विधि और शुभ मुहूर्त

देवी कात्‍यायनी की पूजा के दौरान आपको किन बातों का ध्‍यान रखना चाहिए। जानने के लिए जरूर पढ़ें यह आर्टिकल।

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देवी कात्‍यायनी को देवी पार्वती जी का छठा स्‍वरूप माना जाता है। देवी की पूजा करने से आपको न केवल आर्थिकल मजबूती मिलती है बल्कि आप आधि क्रियाशील बनते हैं और आपको बल भी प्राप्‍त होता है। नवरात्रि के 6वें दिन आपको देवी कात्‍यायानी की पूजा जरूर करनी चाहिए।

देवी कात्‍यायनी पूजा शुभ मुहूर्त (Devi Katyayani Puja Shubh Muhurat)

छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा आराधना की जाती। इस बार 28 मार्च को देवी कात्‍यायानी की पूजा की जाएगी और यह पूजा सुबह से लेकर शाम 5:27 बजे तक की जा सकता है।

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देवी कात्‍यायनी जी की आरती (Devi Katyayani Aarti)

जय जय अंबे जय कात्यायनी ।

जय जगमाता जग की महारानी ।।

बैजनाथ स्थान तुम्हारा।

वहां वरदाती नाम पुकारा ।।

कई नाम हैं कई धाम हैं।

यह स्थान भी तो सुखधाम है।।

हर मंदिर में जोत तुम्हारी।

कहीं योगेश्वरी महिमा न्यारी।।

हर जगह उत्सव होते रहते।

र मंदिर में भक्त हैं कहते।।

कात्यायनी रक्षक काया की।

ग्रंथि काटे मोह माया की ।।

झूठे मोह से छुड़ानेवाली।

अपना नाम जपानेवाली।।

बृहस्पतिवार को पूजा करियो।

ध्यान कात्यायनी का धरियो।।

हर संकट को दूर करेगी।

भंडारे भरपूर करेगी ।।

जो भी मां को भक्त पुकारे।

कात्यायनी सब कष्ट निवारे।।

देवी कात्‍यायनी का बीज मंत्र

ॐ देवी कात्यायन्यै नमः॥

इस मंत्र को कम से कम 108 बार दोहराएं। सबसे अच्‍छा समय इस मंत्र के जाप का शाम के वक्‍त होता है।

देवी कात्‍यायनी जी की पूजा विधि (Devi Katyayani Puja Vidhi)

हिंदू मान्‍यता के अनुसार देवी दुर्गा का छठा रूप देवी कात्‍यायानी हैं और इन्‍ळें भगवान ब्रह्मा की मानस पुत्री कहा गया है। यही छठ मैया का भी स्‍वरूप हैं। देवी दुर्गा ने माता कात्‍यायिनी का रूप धारण करके ही महिषासुर का वध किया था। देवी कात्‍यानी की पूजा में सोल्‍ह श्रृंगार चढ़ता है और अस्‍त्र-शस्‍त्र एंव वाहन की पूजा की जाती है।

अगर अविवाहित कन्‍याओं की शादी में मुसीबत आ रही है, तो उन्‍हें बाधा दूर करने के लिए देवी कात्‍यानी की पूजा करनी चाहिए। भगवान श्री राम ने भी रावण से युद्ध से पहले माता कात्‍यायिनी की पूजा की थी। महाभारत के युद्ध से पूर्व श्री कृष्‍ण ने भी देवी कात्‍यायिनी की पूजा की थी।

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किन राशि के जातकों को करनी चाहिए देवी कात्‍यायनी की पूजा

मकर राशि के जातकों को मां कात्यायनी की पूजा जरूर करनी चाहिए और साथ ही नारियल की बर्फी का भोग लगाना चाहिए।

देवी कात्‍यायनी शुभ रंग

देवी कात्‍यायनी को पीला और ग्रे कलर अति प्रिय है। आप जब भी देवी की पूजा करें तो आपको इसी रंग के वस्‍त्र धारण करने चाहिए। इससे आपको बहुत ही अच्‍छा फल भी प्राप्‍त होता है।

देवी कात्‍यायनी जी के मंदिर

वृंदानवन के निकट भूतेश्‍वर स्‍थान पर देवी शक्ति के केश गिरे थे। यहां पर शक्तिपीठ बनी है। और ऐसा कहा जाता है कि यहा देवी शक्ति की पूजा कात्‍यायनी देवी के रूप में होती है। यह 51 शक्ति पीठ में से एक है और पर नवरात्रि के समय पर भक्‍तों की अत्‍यंत भीड़ लगी होती है।

देवी कात्‍यायनी की पूजा का फल

जो भक्‍त देवी कात्‍यायनी की विधि विधान से पूजा करते हैं, तो अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष की उन्‍हें प्राप्ति होती है और जिन कन्‍याओं के विवाह में दिक्‍कत आ रही होती है, उनका विवाह हो जाता है।

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