आधुनिकता और वेस्टर्न कल्चर के प्रभाव से भारत की युवा पीढ़ी भारतीय संस्कृति और सभ्यता से दूर होती जा रही है। वहीं, कई लोग अपनी संस्कृति को संरक्षित और पुनर्जीवित करने के लिए कई तरह के प्रयास कर रहे हैं। इसी प्रयास के तहत, भोपाल में एक अजीबो-गरीब क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन किया गया, जिसकी शुरुआत 6 जनवरी से हुई है और फाइनल मैच 9 जनवरी को खेला जाएगा। आइए विस्तार से जानते हैं, इस अनोखे क्रिकेट टूर्नामेंट के बारे में-
दरअसल, मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के शिवजी नगर में स्थित अंकुर खेल मैदान में 6 जनवरी 2025 से महर्षि मैत्री मैच श्रृंखला-5 की शुरुआत हुई है, जिसमें प्रदेश की 19 टीमों ने भाग लिया है। क्रिकेट मैच खेलने के लिए कर्मकांडी ब्राह्मण जर्सी की जगह धोती-कुर्ता के साथ गले में रुद्राक्ष की माला और मस्तक पर तिलक लगाकर ग्राउंड पर उतर रहे हैं।
इस अनोखे क्रिकेट टूर्नामेंट में कमेंट्री संस्कृत भाषा में हो रही है। इस टूर्नामेंट में कमेंट्री के लिए बनारस से शास्त्री बुलाए गए हैं, जो मैच के दौरान चौके और छक्के लगने पर चतुष्कम और षट्कम बोलते नजर आते हैं। वहीं, कमेंटेटर संस्कृत में गेंद को कंदुकम, बाउंस को घातगेन्दु, बैट्समैन को वल्लक: बोलते दिखाई देते हैं। आपको बता दें कि यह पहली बार नहीं है, बल्कि पिछले 5 सालों से कंदुक क्रीड़ा यानी इस क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन किया जा रहा है।
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मैच जीतने वाली टीम को पुरस्कार की जगह पर धार्मिक ग्रन्थ और पुराण दिए जा रहे हैं। मैच में 'प्लेयर ऑफ द मैच' को वेद पुस्तक प्रदान की जा रही है, जबकि 'मैन ऑफ द सीरीज' जीतने वाले खिलाड़ी को पंचांग दिया जा रहा है।
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6 जनवरी से शुरू हुए इस टूर्नामेंट का फाइनल 9 जनवरी को होने वाला है। फाइनल मैच में जीतने वाली टीम को 21 हजार रुपये के इनाम के साथ-साथ प्रयागराज महाकुंभ में शाही स्नान करने का मौका मिलेगा। वहीं, फर्स्ट रनरअप टीम को 11 हजार रुपये का पुरस्कार दिया जाएगा।
इस क्रिकेट प्रतियोगिता के आयोजन के पीछे का उद्देश्य खेल के जरिए लोगों को संस्कृत और सनातन संस्कृति के प्रति जागरूक करना है। टूर्नामेंट का आयोजन कराने वाली महर्षि मैत्री समिति का मानना है कि सदियों से क्रिकेट खेलने की परंपरा चली आ रही है। भगवान श्रीकृष्ण भी गेंद से खेल खेलते थे। क्रिकेट सांस्कृतिक और पारंपरिक खेल है, जो आपके भीतर विचार और निर्णय लेने की क्षमता को बढ़ाता है।
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Image Credit - ANI
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