गंगा नदी को हिंदू धर्म में बहुत ही महत्व दिया जाता है और आदीकाल से ही इसे सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है, लेकिन हमारी मां गंगा असल में काफी मैली हैं। इतने सालों से उसमें नहाना, कपड़े, बर्तन धोना, फैक्ट्रियों का गंदा पानी उसमें जाना और न जाने किन-किन चीज़ों के कारण गंगा का पानी इस्तेमाल करने योग्य नहीं बचा था। वो इतना मैला हो गया था कि कई जगहों पर तो पंडितों ने भी उसमें नहाना बंद कर दिया था। गंगा के पानी को जहां प्रसाद के तौर पर दिया जाता था वहां भी इसे बंद कर दिया गया था। वाराणसी, हरिद्वार, ऋषिकेश जैसी जगहों पर उमड़ी भीड़ और इंडस्ट्रियल कचरे के कारण गंगा का पानी इतना मैला हुआ था, लेकिन भारत में कोरोना वायरस के कारण चल रहे लॉकडाउन ने इसे साफ कर दिया।
कोरोना वायरस लॉकडाउन 25 मार्च से लगाया गया है और तब से लेकर अब तक में गंगा का पानी इतना साफ हो गया है कि कई जगहों पर इसे पीने के लिए उपयुक्त माना जाने लगा है। हालांकि, इसके क्लोरिनेशन (chlorination) की जरूरत अभी भी पड़ेगी, लेकिन अब ये इतना मैला नहीं रहा कि लोग सोचें कि इसका इस्तेमाल न किया जाए। उत्तराखंड प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने हरिद्वार की 'हर की पौड़ी' से पानी लेकर उसकी टेस्टिंग की और जो नतीजे सामने आए वो चौंकाने वाले हैं।
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एक मीडिया संस्थान की रिपोर्ट के मुताबिक गंगा के पानी में अब fecal coliform (एक तरह का बैक्टीरिया जो आंतों में पाया जाता है) उसकी मौजूदगी 34 प्रतिशत तक घट गई है और बयोलॉजिकल ऑक्सीजन की मात्रा में भी 20 प्रतिशत का अंतर आया है। गंगा के प्रदूषण को टेस्ट करने के लिए ये सैम्पल अप्रैल में ही लिए गए थे।
The water of the holy river Ganges has been cleared during the lockdown.
— Saru (@Saru81589968) April 17, 2020
That bird chirping though Triveni ghat, Rishikesh , Uttarakhand
Nothing is more stronger than Mother Earth which was and being abused by human's yet recovered so soon. #ganga pic.twitter.com/m713xsVucb
कई दशकों में पहली बार इतना शुद्ध पानी-
उत्तराखंड प्रदूषण बोर्ड के चीफ ऑफिसर का कहना है कि हर की पौड़ी को पहली बार क्लास ए केटेगरी में जगह मिली है। 20 साल पहले जब से उत्तराखंड बना था तब से ही इसे क्लास बी में रखा गया था यानी सोच लीजिए कि कुछ दिनों के लॉकडाउन ने गंगा को कितना शुद्ध कर दिया है। इसका दुरुपयोग नहीं हो रहा और इसमें अब किसी भी तरह का कचरा नहीं फेंका जा रहा है। ये दो दशकों से भी ज्यादा पहले वाली अपनी स्तिथि में सिर्फ कुछ ही दिनों में आ गई है।
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कानपुर और देवप्रयाग पर भी असर-
कानपुर जहां गंगा के पानी को बहुत ही गंदा माना जाता है वहां भी बहुत असर पड़ा है और गंगा का पानी साफ दिखने लगा है।
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एक मीडिया हाउस ने कानपुर के पुजारी से बात की तो उनका कहना था कि, 'क्योंकि सभी फैक्ट्री बंद है तो गंगा नदी का पानी साफ हो गया है। उस मंदिर के पुजारी गंगा में पहले नहाने से बचते थे क्योंकि उसका पानी इतना गंदा था, लेकिन जब से लॉकडाउन के बाद पानी साफ हुआ है हम गंगा में ही स्नान कर रहे हैं।'
हालांकि, समस्या अभी भी गहरी है कि जैसे ही लॉकडाउन खत्म होता फिर से स्तिथि वैसी की वैसी ही हो जाएगी।
हज़ारों करोड़ की लागत और गंगा को साफ करने के कई प्रोजेक्ट्स के बाद भी जितना असर एक लॉकडाउन ने किया है उतना शायद ही कभी हुआ हो। कितनी कोशिशें की गईं जिसका असर अब दिख रहा है। यकीनन प्रकृति अब खुद को सुधार रही है।
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All Image Credit: travelandleisureindia.in/ Pinterest
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