
सदियों से भारत में मिट्टी के चूल्हे का इस्तेमाल खाना पकाने के लिए होता रहा है। छठ पूजा में इस परंपरा को जीवित रखा जाता है। मिट्टी के चूल्हे पर पकाया गया भोजन एक अलग ही स्वाद देता है, जो इसे अन्य तरीकों से पकाए गए भोजन से अलग बनाता है। माना जाता है कि मिट्टी के बर्तन में पकाने से भोजन में कुछ खनिज तत्व मिल जाते हैं जो स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं। छठ पूजा एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जिसमें सूर्य देव और छठी माता की पूजा की जाती है। इस त्योहार में कई परंपराएं निभाई जाती हैं, जिनमें से एक है मिट्टी के चूल्हे पर प्रसाद बनाना। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि वर्तमान में जहां गैस चूल्हा का क्रेज ज्यादा है। वहां पर छठ पूजा के दौरान आखिर मिट्टी के चूल्हे पर प्रसाद क्यों पकाया जाता है। इस आर्टिकल में आज हम आपको बताने जा रहे हैं छठ पूजा में मिट्टी के चूल्हे में क्या महत्व है।
मिट्टी के चूल्हे का उपयोग आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण माना जाता है। मिट्टी को पवित्र माना जाता है और मिट्टी के चूल्हे पर पकाया गया भोजन भी पवित्र माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि मिट्टी के चूल्हे पर पकाया गया प्रसाद देवी-देवताओं को अधिक प्रिय होता है।
मिट्टी के चूल्हे का पर्यावरण पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसे जलाने के लिए कम ईंधन की आवश्यकता होती है, जिससे ऊर्जा का संरक्षण होता है। साथ ही, इससे कम कार्बन उत्सर्जन होता है, जो पर्यावरण के लिए फायदेमंद है। इस प्रकार, छठ पूजा में मिट्टी के चूल्हे का इस्तेमाल सिर्फ एक परंपरा नहीं है, बल्कि इसमें कई गहरे अर्थ छिपे हुए हैं। यह प्राकृतिक, पारंपरिक, स्वस्थ और आध्यात्मिक महत्व रखता है। साथ ही, यह पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है।

पुराने मिट्टी के चूल्हों में धूल, जमी हुई गंदगी और कीटाणु हो सकते हैं। छठ पूजा एक पवित्र त्योहार है और इस दिन पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है। इसलिए, पुराने चूल्हे का उपयोग करने से भोजन में संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है। बता दें छठ पूजा में हर चीज को साफ-सुथरा रखा जाता है। ऐसे में नया मिट्टी का चूल्हा बनाने की परंपरा है। ऐसे में कुछ लोग मानते हैं कि एक नया मिट्टी का चूल्हा शुभ होता है और इससे देवी-देवताओं का आशीर्वाद मिलता है।
Chhath Puja 2024 Date : छठ पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन से आरंभ होता है। साल 2024, में छठ पर्व का आरम्भ 5 नवंबर से शुरू होकर 8 नवंबर तक चलेगा। हो। बता दें 5 नवंबर को छठ का पहला दिन नहाय-खाय , 6 नवंबर को दूसरा दिन खरना, 7 नवंबर को तीसरे दिन डूबते हुए सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाएगा। वहीं 8 नवंबर को चौथे दिन उगते हुए सूर्य देव को अर्घ्य देकर छठ के पर्व का समापन हो जायेगा।
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