दिवाली के 6 दिन के बाद छठ पूजा का महापर्व बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। बता दें कि बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखण्ड, दिल्ली आदि शहरों में छठ पूजा बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। छठ करीब आते- आते छठ में यूज होने वाले सारें सामान भी महंगे हो जाते हैं। कई बार लोग छठ महंगाई के कारण भी नहीं कर पाते हैं। ऐसे में चलिए जानते है इस छठ आप कैसे अपनी टोकरी को सजा सकते हैं।
इस साल 28 अक्टूबर से लेकर 31 अक्टूबर तक यह पर्व मनाया जाएगा। जो लोग भी यह पूजा और व्रत करते हैं, वे उगते सूर्य और अस्त होते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। अर्घ्य देने के लिए हम छठ की टोकरी का इस्तेमाल करते है ऐसे में चलिए जानते है कैसे महज 500 में छठ की टोकरी को सजा सकते हैं।
छठ की टोकरी में क्या- क्या रखा जाता है
- सूप
- दौरा
- नारियल
- सुथनी
- शकरकंदी
- शहद की डिब्बी
- सुपारी
- कैराव
- धूप
- आंवला
- नींबू बड़ा
- डगरा
- लाल धान चावल
- हल्दी
कैसे सजाएं टोकरी
- आपको सबसे पहले टोकरी खरीदना होगा, यह करीब 50 से 60 रुपये में मिलेगा।
- दौरा आपको बाजार में आसानी से मिल जाएगा इसकी कीमत करीब 150 रुपये होगी।
- नारियल आप 60 रुपये में खरीद सकते हैं।
- सुथनी 5 रुपये पीस मिलेगी।
- शकरकंदी 2 रुपये पीस मिलती हैं।
- शहद की डिब्बी 10 रुपये में मिल जाएंगा।
- सुपारी 2 रुपये पीस मिल जाएंगा।
- कैराव 5 रुपये में मिल जाएंगी।
- धूप 20 रुपये की 100 ग्राम मिलता है।
- आंवला 3 रुपये में मिल जाएंगा।
- नींबू बड़ा 20 रुपये का ले सकते हैं।
- डगरा 100 रुपये का मिलेगा।
- लाल धान चावल 50 रुपये के 250 ग्राम मिलेगे।
- हल्दी 5 रुपये पीस मिल जाएंगी।
पहले खरीदें सामान
आप भी इसी प्रकार आसानी से छठ के लिए टोकरी सजा सकते हैं। कोशिश करें की सभी सामानों को एक जगह से ही खरीदें ऐसा करने पर आपको काफी अच्छा डिस्काउंट मिल सकता है। बता दें कि आप पहले भी छठ की टोकरी का सामान खरीद सकते हैं। ऐसा करने से आपको सारे सामान काफी सस्ता मिल सकता हैं।
कब है छठ पूजा
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, छठ पूजा इस वर्ष 30 अक्टूबर 2022 को मनाई जाएगी। 30 अक्टूबर रविवार का दिन है। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ पूजा मनाते हैं। यह पर्व पूरे चार दिनों तक बेहद धूमधाम से लोग मानते हैं।
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कब और कैसे होता है छठ
पर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है। उसके बाद खरना होता है और फिर तीसरे दिन शाम को सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और फिर आखिरी दिन सुबह को लोग सूर्य को अर्घ्य देकर इस पर्व का समापन करते हैं। इस त्योहार पर नदी, तालाब, घाट पर गजब की रौनक देखने को मिलती है।
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