लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा का आरंभ नहाय-खाय के साथ हो चुका है और आज महापर्व का दूसरा दिन है। जिसे खरना कहा जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं व्रत रखती हैं और छठ व्रत का संकल्प लेते हैं। आज से ही खरना के बाद 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाएगा।
आज पंचांग के हिसाब से व्रती कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के सुकर्मा योग में खरना करेंगे। खरना के दिन पहले व्रती माता को रसियाव और रोटी का भोग लगाती हैं और फिर स्वयं ग्रहण करती हैं। अब ऐसे में आज खरना पूजा किस विधि से करें। किन नियमों का पालन करें और खरना पूजा में रसियाव-रोटी प्रसाद का महत्व क्या है। इसके बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
छठ महापर्व के दूसरे दिन खरना पूजा कैसे करें? (Kharna Puja Vidhi 2024)
छठ महापर्व के दूसरे दिन यानी कि आज खरना के दौरान सबसे पहले घर को अच्छी तरह से साफ कर लें। खरने के दिन पूजा करने वाले जातकों को साफ-सुथरे वस्त्र पहनने चाहिए। इस दिन पूजा के स्थान पर गन्ने का प्रयोग किया जाता है। इस दिन गन्ने के टुकड़े और फिर उसके रस से महाप्रसाद बनाया जाता है।
आज शाम से लगभग 36 घंटे तक का निर्जला व्रत आरंभ हो जाएगा। इस दिन रोटी और गुड़ की खीर के साथ-साथ फल का भोग छठी माता को लगाया जाता है।
खरना के दिन ही ठेकुआ और खजूर बनाना आरंभ हो जाता है। उसके बाद शाम के समय छठी माता को अर्पित करने के बाद ही व्रती प्रसाद ग्रहण करते हैं।
खरना से व्रत रखना आरंभ होता है और सप्तमी तिथि के दिन अर्घ्य देने के साथ इसका समापन होता है।
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खरना व्रत के दौरान किन नियमों का पालन करें?
खरना के दिन मिट्टी के चूल्हे पर खीर यानी कि रसीयाव और रोटी बनाई जाती है। इसके लिए पीतल का बर्तन उपयोग करें। भोग बनाने के लिए शुद्धता और पवित्रता का विशेष ध्यान रखें।
खरना के दिन गुड़ से संबंधित मिठाई, ठेकुआ और लड्डू आदि बनाएं।
खरना का खीर केवल व्रती ही बनाता है। पूरे दिन व्रती रखी जाती है और फिर शाम को छठी माता का ध्यान करके भोग लगाते हैं। व्रती स्वयं खीर का सेवन करते हैं।
खरना का दिन पूरा परिवार व्रती का आशीर्वाद लेता है। साथ ही इस दिन सुहागिन महिलाएं व्रती से मांग में सिंदूर लगवाती हैं।
खरना के दिन शाम के समय केले के पत्ते पर खीर को कई भागों में करके अलग-अलग देवी-देवताओं, छठी माता और सूर्यदेव का हिस्सा निकाला जाता है। इसके बाद केला दूध और ऊपर से पकवान रखना जाता है। उसके बाद छठी माता का ध्यान करते हुए व्रती महिलाएं प्रसाद ग्रहण करती हैं। यह प्रसाद व्रती कमरा बंद करके ही खाती हैं।
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खरना पूजा में छठी माता को रसियाव-रोटी भोग लगाने का महत्व क्या है?
छठ महापर्व का दूसरा दिन खरना किया जाता है। जिसका अर्थ है पवित्रता। खरना छठ पूजा का सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। इस दिन व्रती महिलाएं शारीरिक और मानिसक शुद्धि करने के लिए व्रत रखती हैं और छठी माता की आराधना करती हैं। इसके बाद से ही 36 घंटे का निर्जला व्रत आरंभ हो जाता है।
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