नहाय खाय के साथ 17 नवंबर से छठ के महापर्व की शुरुआत हो चुकी है। इस पर्व में सूर्य देव की आराध्ना की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि छठी मैया सूर्य देव की बहन हैं। इसी वजह से इस पर्व पर इन दोनों की पूजा की जाती है, ताकि सूर्य देव और छठी मइया प्रसन्न हो और जो भी मन में कामना है उसे पूर्ण करें। इस पर्व को बिहार, यूपी, दिल्ली वैगरह जगह पर मनाया जाता है। घरों में सात्विक भोजन तैयार किया जाता है और ठेकुए का प्रसाद भी बनाया जाता है। विशेष बात यह है कि छठ का व्रत 36 घंटे या फिर उससे अधिक रखा जाता है। यह व्रत काफी कठीन होता है इसलिए इसके नियम भी बहुत कड़े होते हैं। ऐसे में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से जानते हैं छठ महापर्व के बारे में कुछ जरूरी बातें।
क्यों रखा जाता है छठ का व्रत (Chhath Puja Fasting Rules)
मुख्य रूप से यह पर्व सूर्य उपासना के लिए किया जाता है, ताकि पूरे परिवार पर उनका आशीर्वाद बना रहे। साथ ही यह व्रत संतान के सुखद भविष्य के लिए भी किया जाता है। मान्यता है कि छठ का व्रत करने से निसंतान को संतान की प्राप्ति होती है और सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। घर की सुख-समृद्धि के लिए भी इस व्रत को किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इससे सूर्य देव प्रसन्न होते हैं। जिससे आपके जीवन में किसी तरह का संकट नहीं आने देते। यह महापर्व चार दिन का होता है और छठ माई के लिए व्रत रखा जाता है। जिसमें पहला दिन नहाय खाय, दूसरा दिन खरना, तीसरा दिन अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य और चौथे दिन उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देते हैं।
छठ पूजा के लिए सामग्री
छठ पूजा के लिए कई सारी चीजें ऐसी होती हैं जो बेहद जरूरी होती हैं। उनके बिना यह पूजा अधूरी मानी जाती (सफलता के लिए ज्योतिष उपाय) है। इसमें बांस की टोकरी, सूप, नारियल, पत्ते लगे गन्ने, अक्षत, सिंदूर, धूप, दीप, थाली, लोटा, नए वस्त्र, नारियल पानी भरा, अदरक का हरा पौधा, मौसम के अनुकूल फल, कलश (मिट्टी या तांबे का) , कुमकुम, पान, सुपारी, चावल के लड्डू, पीला सिंदूर, केले का घौद, पान का पत्ता, केराव, कच्चे चावल, श्रृंगार का सामान, पुआ, सरसों का तेल, और ठेकुआ इन सभी चीजों को सामग्री में रखा जाता है।
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छठ पूजा की विधि (Chhath Puja Vidhi)
- इस व्रत की शुरुआत से पहले आपको अपने घर के एक-एक कोने की अच्छे से सफाई करनी पड़ती है, ताकि पूजा का सामान जब बने तो कोई भी जगह गंदी न रहे।
- छठ पूजा के पहले दिन की शुरुआत नहाय-खाय के साथ होती है। इसके लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। इसके बाद छठ व्रत का संकल्प लें और सूर्य देव एवं छठी मैया का ध्यान करें। इस दिन व्रत रखने वाली महिलाएं घर पर बने सात्विक भोजन यानि कद्दू और चावल खाती हैं ताकि वो 36 घंटे के इस व्रत के लिए तैयार हो सके।
- इसके बाद आपका निर्जला व्रत शुरु होगा। संभवत आप इस व्रत का पालन विधिवत करें। इस व्रत के (सूर्य मंत्र) पहले दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दें।
- ऐसा करने के लिए आपको सुबह जल्दी उठकर घाट पर जाकर स्नान करना है उसके बाद सूर्य को अर्घ्य देना है। आप इसके लिए तांबे के लोटे का इस्तेमाल कर सकती हैं।
- आपने जिस सूप में अपनी पूजा सामग्री रखनी है पहले उसे सिंदूर लगाएं। फिर सारे सामान में हल्दी लगाएं इसके बाद उन्हें एक-एक करके टोकरी में सजाएं और पूजा के लिए तैयार करें। इस बात का ध्यान रखें की सूर्य को अर्घ्य देते हुए टोकरी में पूजा का सारा सामान होना चाहिए।
- जब भी आप सूर्य देव को अर्घ्य देंगी तो जल के लोटे में पानी के साथ कच्चा दूध भी होना चाहिए। आप चाहे तो फूल भी डाल सकती हैं।
- इसी तरीके से आपको डूबते सूर्य को अर्घ्य देना है और छठे दिन व्रत को संपन्न करना है।
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अगर आप भी छठ पूजा मनाते हैं और इस साल भी व्रत रख रहे हैं तो यह जानकारी आपके काम आएगी।
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Image Credit- Herzindagi/ Shutterstock
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