herzindagi
what to know about India moon landing mission

Chandrayaan 3: आदिपुरुष से कम बजट में चांद पर पहुंचा भारत, जानिए ISRO के कम खर्च का सीक्रेट

Chandrayaan 3: चंद्रयान-3 को सबसे अधिक कॉस्ट इफेक्टिव बताया जा रहा है। आज के इस आर्टिकल में हम आपको ISRO से जुड़ी कुछ खास बताने बताने वाले हैं।   
Editorial
Updated:- 2023-08-28, 12:26 IST

Chandrayaan 3: चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग के साथ भारत ने एक नया इतिहास रच दिया है। गर्व की बात यह है कि भारत ऐसा करने वाला दुनिया का एकमात्र देश है। अब आपके दिमाग में भी यह सवाल आ रहा होगा कि आखिर इस मिशन को पूरा करने में कितना खर्च हुआ होगा। खैर बता दें कि ISRO ने इस मिशन को काफी कम खर्च में बनाया है। आज के इस आर्टिकल में हम आपको इस मिशन के खर्च से जुड़ी सभी बातें बताने वाले हैं। 

कहा जा रहा है कि चंद्रयान-3 का खर्च बाकी के 2 मिशन से भी कम है। इतना ही नहीं, कई लोग इस मिशन की तुलना फिल्म आदिपुरुष से भी कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि आदिपुरुष से भी मिशन कम खर्च में किया गया है। चलिए जानते हैं भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के इस मिशन की कुल लागत कितनी हैं।

चंद्रयान-3 का बजट 

पूर्व इसरो प्रमुख के सिवन ने कहा था कि चंद्रयान-3 को करीब 615 करोड़ की लागत में तैयार किया गया है। वहीं फिल्म आदिपुरुष की बात करें तो रिपोर्ट के अनुसार इस फिल्म को बनने में करीब 700 करोड़ रुपये की लागत लगी हैं। 

चंद्रयान-2 का बजट 

chandrayaan  secret behind isro low cost missions

22 जुलाई, 2019 को चंद्रयान-2 को लॉन्च किया गया था। हालांकि यह मिशन अंतिम समय पर सही तरीके से लैड ना होने के कारण सफल नहीं हो सका था। उस दौरान इस मिशन को कंपलीट कपरे के लिए कुल 978 करोड़ रुपये दिए गए थे। बता दें कि यह बाकी के मिशन के मुकाबले चंद्रयान-3 का बजट सबसे कम था। 

चंद्रयान-1 का बजट 

चंद्रयान-1 के बजट की बात करें तो यह करीब 1,979 करोड़ या लगभग 2,000 करोड़ रुपये खर्च में बनकर तैयार हुआ था। इस मिशन के साथ ही इसरो चांद की सतह पर पहुंचने वाला पांचवां नेशनल स्पेस एजेंसी बन गया था। 

जानिए ISRO के कम खर्च का सीक्रेट 

अगर आप चंद्रयान-3 की तुलना लूना से करेंगे तो आपको समझ आ जाएगा कि आखिर कैसे चंद्रयान-3 को कम बजट में तैयार किया गया था।  रूस ने लूना-25 को पुश देने के लिए एक अतिरिक्त बूस्टर का इस्तेमाल किया। जिसके लिए उन्हें भारी खर्च करना पड़ा था। इतना ही नहीं, इसकी माध्यम से धे ट्रांस-लूनर इंसर्शन (टीएलआई) चरण में आगे बढ़ाया जा सका। बात भारत की करें तो भारत ने इसमें अपने काफी पैसे बचाएं है जिसके कारण ही भारत को चांद तक पहुंचने पर काफी समय लगा था। भारत ने  टीएलआई से पहले कई बार पृथ्वी के चक्कर लगाने पड़े जिसके बाद भारत आसानी से कम खर्च में चांद तक पहुंचा था। 

यह भी पढ़ें: Chandrayaan 3 के पीछे इन महिलाओं ने निभाई अहम भूमिका, देश को है गर्व

रॉकेट की साइज पर देते है खास ध्यान

इसरो रॉकेट को तैयार करते समय हर छोटी चीजों का ध्यान रखते है ताकि रॉकेट ना तो ज्यादा बड़ा हो ना ही उनका वजन ज्यादा हो। इसरो के पास एक "मॉड्यूलर दर्शन" है, "हम अगले रॉकेट और उपग्रहों के निर्माण के लिए विरासत के साथ सिस्टम और संरचनाओं का उपयोग करते हैं। जिसकी मदद से इसरो काफी अधिक पैसे बचाते हैं। 

यह भी पढ़ें: Chandrayaan-3 Mission ISRO: 615 करोड़ रुपये की लागत में तैयार हुआ था चंद्रयान 3, जानें कुछ खास बातें

इसरो परीक्षण के दौरान बचाते है पैसे

इसरो का कहना है कि इसरो रॉकेट के परीक्षण के दौरान काफी ज्यादा पैसे बचाते हैं। रोपीय लोग एक मोटर या इंजन को क्वालीफाई करने के लिए लगभग आठ परीक्षण करते हैं, हालांकि हम केवल 2 परीक्षण में समझ जाते हैं कि यह मोटर या इंजन सही है या नहीं। इसके जरिए भी हम करोड़ो रुपये बचाते हैं। 

अगर हमारी स्टोरी से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हर जिंदगी के साथ।  

image credit: instagram

 

Disclaimer

हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, compliant_gro@jagrannewmedia.com पर हमसे संपर्क करें।