होली के जाते ही लोगों को चैत्र की नवारत्रि का इंतजार रहता है। इस नवारत्रि में भी दशहरे से पहले पड़ने वाली नवारत्रि की तरह नौ दिन तक मां दुर्गा की पूजा की जाती है। इस नवारत्रि में भी दुर्गा माता के लिए लोग उपवास रखते हैं। नौ दिन देवी शारदा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। उन्हें अलग-अलग भोग लगाए जाते हैं। साथ-साथ कलश स्थापना की जानी है। देवी जी के जागरण होते है। इन सभी को करने का सी मुहूर्त और तिथि होती हैं। अगर इस नवरात्रि में देवी दुर्गा की विधि विधान से पूजा की जाती है और सही मुहूर्त में पूजा आरम्भ की जाती हैं तो ही इसका लाभ मिलता है। तो चलिए हम आपको बताते हैं कि चैत्र नवरात्रि कब पड़ रही है और इसका शुभ मुहूर्त कब का है।
कब से शुरू हैं चैत्र नवरात्रि
चैत्र नवरात्रि को वसंत या वासंतिक नवरात्रि भी कहा जाता है। इस दिन घटस्थापना यानी कलश स्थापना की जाती है। इसके अगल नौ दिन तक देवी दुर्गा की उपासना की जाती है और व्रत रखे जाते हैं। इस बार चैत्र नवरात्रि 6 अप्रैल से शुरू हो कर 14 अप्रैल तक है। अगर हिंदू कलेंडर यानी पंचांग की माने तो इस बार नवरात्रि केवल 8 दिन की है। पंचांग के अनुसार इस बार देवी दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं। दैनिक जागरण को दिए एक इंटरव्यू में पंडित दीपक पांडे के अनुसार, मां दुर्गा के घोड़े पर सवार होकर आने का अर्थ है कि इसका फल छत्रभंग होगा। आपको बता दें कि चैत्र नवरात्रि के साथ ही हिंदुओं का नववर्ष भी शुरू हो जाता है।
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क्यों मनाई जाती है चैत्र नवरात्रि
ज्योतिष की माने तो चैत्र की नवारात्रि में ही मां दुर्गा का अवतरण हुआ था। ब्रह्म पुराण में भी इसका बखान मिलता है। प्रराण में लिखा है कि देवी दुर्गा ने ही सृष्टि रचयता ब्रह्मा जी को सृष्टि रचने को कहा था। चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार ने जन्म लिया था और इसी नवरात्रि में भगवान श्री राम का जन्म भी हुआ था। चैत्र नवरात्रि के आखरी दिन राम नवमी मनाई जाती है। इसदिन पुरे भारत में भगवान रामचंद्र का जन्मदिन मनाया जाता है। वेसे चैत्र नवरात्रि में नौ दिन तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। देवी के नौ शक्ति रूपों शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, और सिद्धिदात्री हैं।
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
इस बार 6 अप्रैल से शुरू होने वाले चैत्र नवरात्रि में अगर आप अपने घर कलश की स्थापना कर रही हैं तो आपको 5 अप्रैल 2019 को ही दोपहर 1 बजकर 36 मिनट पर कलश की स्थापना करनी चाहिए। कलश की स्थापना प्रतिपदा लगने पर ही की जाती है। ह प्रतिपदा अगले दिन 6 अप्रैल को 2 बजकर 58 मिनट तक ही रहेगी। मगर नवरात्रि 6 अप्रैल को सूर्योदय के बाद से ही शुरू होंगी। ज्योतिष की माने तो 6 अप्रैल को जब प्रतिपदा खत्म होगी तब से दूसरी तिथि लग जाएगी। कलश स्थापना के लिए आपको सुबह उठकर नहाधो कर साफ सुथरे वस्त्र पहनने होंगे इसके बाद आप पूजा की सभी सामग्री एकत्र कर पूजा स्थल पर लाल वस्त्र बिछाएं और श्रीगणेश जी का पूजन करें। इसके बाद मिट्टी के बर्तन में जौ बो दें। फिर उसके उपर जल से भरा कलश रखें। कलश मिट्टी या तांबे का हो सकता है। कलश पर रोली से स्वास्तिक जरूर बनाएं। इसके बाद कलश में मोली बांधें और कलश के उपर घी का दीया जलाएं। कलश की नौ दिन तक रोज पूजा करें।
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