बजट 2025 आने से पहले, आम तौर पर इस्तेमाल होने वाले Budget Terms को जान लीजिए

1 फरवरी 2025 को केंद्रीय बजट पेश होने वाला है। बजट भाषण के दौरान कई बार कुछ ऐसे शब्द होते हैं, जिनका हम मतलब नहीं समझ पाते हैं। आइए जानते हैं बजट से जुड़े कुछ शब्दों के बारे में - 
Key Terms About Budget

इस साल 01 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण केंद्रीय बजट 2025 का ऐलान करने वाली हैं। आम तौर पर वार्षिक बजट का आम जनता की लाइफस्टाइल पर गहरा असर पड़ता है। हर साल बजट पास होने के बाद, कुछ चीजें महंगी और कुछ सस्ती हो जाती हैं। वहीं टैक्स को लेकर भी बड़ी घोषणाएं की जाती हैं। हालांकि, बजट में इस्तेमाल होने वाले कुछ टर्म्स या Jargons को समझना कई बार मुश्किल हो जाता है।

बजट को बेहतर ढंग से समझने में आपकी मदद करने के लिए हम बजट 2025 से पहले बजट में इस्तेमाल होने वाले फाइनेंशियल टर्म्स की लिस्ट लेकर आए हैं, जिन्हें आप बजट की घोषणा के दौरान सुन सकते हैं।

Blue Sheet

आम तौर पर बजट बनाने के प्रोसेस के दौरान, तैयार किए गए सीक्रेट डॉक्यूमेंट्स या इंटरनल वर्किंग सीट को ब्लू सीट कहते हैं। इसमें क्रिटिकल फाइनेंशियल डिटेल्स, प्रोजेक्शन या पॉलिसी प्रपोजल शामिल होते हैं, जो सरकारी अधिकारियों, पॉलसीमेकर्स या बजट प्लैनर्स के लिए रिफ्रेंस के तौर पर काम करते हैं। ब्लू सीट को वित्त मंत्री से भी गुप्त रखा जाता है।

Union Budget

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 के तहत, केंद्रीय बजट भारत सरकार द्वारा किसी स्पेसिफिक साल के लिए प्रस्तुत किया जाने वाला एनुअल फाइनेंशियल स्टेटमेंट है। जिसमें, आने वाले वित्तीय वर्ष में टैक्सेशन और खर्च के लिए सरकार की योजना की डिटेलिंग होती हैं। बजट, 1 अप्रैल से 31 मार्च तक के लिए एक फाइनेंशियल प्लान होता है। 1 फरवरी को हर साल वित्त मंत्री केंद्रीय बजट पेश करती हैं।

Interim Budget

अंतरिम बजट तब पेश किया जाता है, जब सरकार के पास पूरा बजट पेश करने के लिए समय नहीं होता है या देश में लोकसभा चुनाव आने वाले होते हैं। आपको बता दें कि साल 2024 में केंद्र सरकार द्वारा अंतरिम बजट पेश किया गया था और जुलाई 2024 में मोदी सरकार ने पूर्ण बजट पेश किया था।

Gross Domestic Product (GDP)

budget 2025

सकल घरेलू उत्पाद यानी GDP बजट टर्म में से एक है। जीडीपी, एक स्पेसिफिक पीरियड में किसी देश के भीतर बनने वाली सभी वस्तुओं और सेवाओं का टोटल मार्केट वैल्यू है।

कई देशों में जीडीपी इकोनॉमिक कंडीशन्स को मापने का स्टैंडर्ड है। जीडीपी की गणना सालाना या तिमाही आधार पर की जा सकती है। भारत में, सेंट्रल स्टैटिकल ऑफिस(CSO) केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा संचालित एजेंसियों से डेटा इकट्ठा करके देश की GDP की गणना करता है।

Direct and Indirect Taxes

टैक्स सरकार की इनकम का प्राइमरी सोर्स है। भारत में दो तरह के टैक्स होते हैं- डायरेक्ट टैक्स और इन-डायरेक्ट टैक्स। डायरेक्टर टैक्स होता है, जो आम जनता द्वारा सीधे सरकार को दिया जाता है। इसमें इनकम टैक्स और कॉर्पोरेट टैक्स शामिल है।

इनडायरेक्ट टैक्स वह टैक्स है, जो आम जनता द्वारा किसी व्यक्ति या संस्था को दिया जाता है, जिस पर सरकार को टैक्स चुकाने का भार होता है। सबसे अच्छा उदाहरण GST है। जब आप कोई प्रोडक्ट खरीदते हैं, तो वेंडर सामान बेचने पर सरकार को टैक्स-पे करने के लिए उत्तरदायी होता है। वेंडर आपसे टैक्स लेता है और उसे इकट्ठा करके टैक्स का भुगतान करता है, जिससे आप एक इनडायरेक्ट टैक्सपेयर बन जाते हैं।

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Goods and Services Tax (GST)

जीएसटी या वस्तु एवं सेवा कर, जो भारत में बेची जाने वाली ज्यादातर वस्तुओं और सर्विसेज पर लगाया जाता है। यह एक इनडायरेक्ट टैक्स का रूप है,जिसमें कंज्यूमर टैक्स का पेमेंट करता है, लेकिन टैक्स किसी ऑर्गनाइजेशन या कंपनी द्वारा सरकार को भेजा जाता है। आपको बता दें कि GST सरकार की इनकम में बढ़ोत्तरी करता है।

Customs Duty

जब आप भारत से माल इम्पोर्ट या एक्सपोर्ट करते हैं, तो सरकार ट्रांजेक्शन अमाउंट पर टैक्स लगाती है। जबकि इस अमाउंट का पेमेंट करने का आर्थिक बोझ इम्पोर्टर या एक्सपोर्टर पर पड़ता है, यह आमतौर पर कन्ज्यूमर पर भी डाला जाता है। इसलिए, भारत में यह भी इनडायरेक्ट टैक्स का एक रूप है।

Fiscal Deficit

फिस्कल डेफिसिट (राजकोषीय घाटा) का मतलब सरकार का रैवेन्यू है। जब किसी सरकार के कुल खर्चे उसके कुल राजस्व से अधिक हो जाते हैं। तब सरकार को अपने खर्चों को पूरा करने के लिए उधार लेने की जरूरत पड़ती है। भारत में फिस्कल डेफिसिट को कंट्रोल करने के लिए नियम बनाए गए हैं।

Fiscal Policy

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राजकोषीय नीति यानी फिस्कल पॉलिसी, वह नीति है जिसका इस्तेमाल सरकार देश की इकोनॉमी को कंट्रोल और मैनेज करने के लिए करती है। इसके तहत, सरकार अपने रैवेन्यू और एक्सपेंडिचर की रूपरेखा तैयार करती है ताकि आर्थिक विकास को बढ़ावा मिल सके।

Monetary Policy

मौद्रिक नीति यानि मॉनिट्री पॉलिसी, वह नीति है जिसके जरिए रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया (RBI) अर्थव्यवस्था में मनी सप्लाई और इंटरेस्ट रेट्स को कंट्रोल करती है। इसका उद्देश्य मुद्रास्फीति (Inflation) को कंट्रोल करना और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है।

Inflation

मुद्रास्फीति यानि इन्फ़्लेशन एक ऐसी फाइनेंशियल सिचुएशन है, जिसमें समय के साथ वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें लगातार बढ़ती हैं, जिसकी वजह से समय के साथ मुद्रा की क्रय शक्ति (Purchasing Power) में गिरावट होती है।

उदाहरण के लिए अगर आपके पास आज 1000 रुपये हैं, तो आप कुछ सामान और सर्विस ले सकते हैं। हालांकि, 10 साल बाद उतने ही पैसों में आप कम सामान और सर्विस ले पाएंगे। जिस दर से Purchasing Power घटती है, वह देश की मुद्रास्फीति दर (inflation rate) है। 10 फीसदी इन्फ़्लेशन रेट का मतलब है कि आज 1000 रुपये एक साल बाद 90 रुपये के बराबर हो जाएगा।

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Capital Budget

कैपिटल बजट में कैपिटल रिसिप्ट और कैपिटल एक्सपेंडिचर्स शामिल होते हैं। कैपिटल बजट में शेयरों में इन्वेस्टमेंट, केंद्र सरकार द्वारा राज्य सरकारों, सरकारी कंपनियों, निगमों और अन्य को दिए गए लोन और एडवांस शामिल हैं।

Revenue Budget

बजट के कॉन्टैक्स्ट में, रैवेन्यू बजट देश की वृद्धि, विकास और बुनियादी ढांचे के लिए आवश्यक अनुमानित राशि है।

Finance Bill

यह एक विधेयक होता है, जिसे केंद्र सरकार संसद में प्रस्तुत करती है ताकि वह फाइनेंशियल ईयर के लिए बजट से संबंधित बदलावों को लागू कर सके। इस विधेयक में न्यू टैक्स पॉलिसी, Borrowing and Debt Policy, सरकारी सब्सिडी और बिजनेस पॉलिसी शामिल की जाती हैं।

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Image Credit - freepik

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