Budget 2020: सेक्शन 80C के तहत बढ़ाई जाए कर में छूट की सीमा

बजट 2020 में उम्मीद की जा रही है कि 1.5 लाख तक की रकम की निवेश की सीमा को बढ़ाया जाए, ताकि महिलाओं को इसका लाभ मिले और वे बचत के लिए इंस्पायर हों। 

Budget  expectations to get rebate on tax main
Budget  expectations to get rebate on tax main

आज के समय में बढ़ती महंगाई की वजह से बचत कर पाना काफी मुश्किल हो गया है। ऐसे में केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण से यही उम्मीद लगाई जा रही है कि वह केंद्रीय बजट 2020 पेश करते हुए व्यक्तिगत तौर पर भरे जाने वाले इनकम टैक्स की दरों में छूट की घोषणा करेंगी। इस बार उम्मीद लगाई जा रही है कि इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80C के तहत निवेश करने, फैमिली पेंशन पर छूट पाने, सेक्शन 80TTA के तहत छूट पाने और प्रीवेंटिव हेल्थ चेकअप्स जैसी चीजों पर खर्च किए जाने पर छूट की सीमा बढ़ाई जाए।

80C के तहत बढ़े निवेश की सीमा

Budget  expectations raise standard deduction limit under  c

Image Courtesy: Pexels

फिलहाल बचत के लिए 80C के तहत निवेश किए जाने की स्थिति में कुल आय पर एक निश्चित सीमा तक छूट का दावा किया जा सकता है। इसके तहत अधिकतम 1.5 लाख तक के निवेश पर छूट मिलती है और यह सीमा 2014 में तय की गई थी। चूंकि अलग-अलग तरह की स्कीम्स में निवेश करके इसके तहत छूट पाई जा सकती है, इसीलिए बहुत जल्दी यह लिमिट एक्जॉस्ट हो जाती है। ऐसे में यह उम्मीद की जा रही है कि 1.5 लाख रुपये की सीमा को बढ़ाकर 2.5 लाख तक कर दिया जाए।

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बढ़ाई जाए फैमिली पेंशन पर छूट की सीमा

फैमिली पेंशन के तहत कुछ हद तक आय पर छूट पाई जा सकती है। वर्तमान में कुल आय के एक तिहाई या 15000 रुपये तक, जो भी कम हो, उस पर छूट पाई जा सकती है। 15,000 रुपये की सीमा को बढ़ाकर 50,000 रुपये तक किया जाना चाहिए, ताकि पेंशन पाने वालों को इसका उचित लाभ मिल सके। फैमिली पेंशन की रकम पर income from other sources के तहत टैक्स लगाया जाता है और इसी की वजह से स्टेंडर्ड डिडक्शन का लाभ पाने वाले नौकरीपेशा लोगों को जैसा लाभ मिलता है, वैसा फैमिली पेंशन वालों को नहीं मिल पाता।

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80TTA के तहत बढ़ाई जाए छूट की सीमा

सामान्य नागरिक होने की स्थिति में सेविंग्स अकाउंट पर 10,000 रुपये तक का स्टेंडर्ड डिडक्शन का लाभ मिलता है। इस सीमा को बढ़ाकर 10,000 से 20,000 रुपये किए जाने की जरूरत है। साथ ही इस समय में एफडी की रकम पर टैक्स लगाया जाता है, जिस पर कर में छूट मिलनी चाहिए। सेविंग्स अकाउंट की तुलना में एफडी पर ब्याज की रकम ज्यादा होती है और इसीलिए महिलाएं एफडी में निवेश करना ज्यादा बेहतर समझती हैं। लेकिन इस इनकम पर टैक्स कैल्कुलेट किए जाने की वजह से उन्हें उचित लाभ नहीं मिल पाता।

प्रीवेंटिव हेल्थ चेकअप पर बढ़े खर्च की सीमा

आज के समय में प्रदूषण और बदलते लाइफस्टाइल की वजह से स्वास्थ्य समस्याएं ज्यादा बढ़ गई हैं। लेकिन अगर समय-समय पर प्रीवेंटिव हेल्थ चेकअप कराए जाएं तो गंभीर बीमारियों का समय रहते पता लगाया जा सकता है और महिलाएं स्वस्थ जीवन बिता सकती हैं। लेकिन इस तरह के हेल्थ चेकअप पर छूट की सीमा फिलहाल 5000 रुपये तक की है। इस बार के बजट में उम्मीद की जा रही है कि इस सीमा को बढ़ाकर 10,000 रुपये तक कर दिया जाए ताकि महिलाएं कर में मिलने वाली छूट का फायदा उठा सकें।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट

Optima Money Managers के सीईओ और सर्टीफाइड फाइनेंशियल प्लानर पंकज मठपाल बताते हैं,

'इस समय में महिलाएं कई तरह की स्कीम्स में निवेश कर रही हैं जैसे कि एसआईपी, सुकन्य समृद्धि स्कीम, एलआईसी, पीपीएफ आदि। होम लोन का प्रिंसिपल रकम चुकाने, बच्चों की फीस भरने और अलग-अलग योजनाओं में निवेश करते हुए कर में छूट सिर्फ 1.5 लाख की रकम के निवेश पर ही मिलती है। अगर डेढ़ लाख तक के स्टेंडर्ड डिडक्शन को बढ़ाकर दो लाख रुपये तक भी किया जाए तो इसका विशेष लाभ नहीं मिल पाएगा। ऐसे में टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड्स पर अलग से टैक्स में छूट मिलनी चाहिए। इससे महिलाएं इक्विटी में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित होंगी।'

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