800 सालों में पहली बार सबरीमाला मंदिर में प्रवेश करने वाली महिलाएं बनीं बिंदु और कनकदुर्गा

800 साल के इतिहास को पीछे छोड़ते हुए बिंदु और कनकदुर्गा सबरीमाला मंदिर में प्रवेश करने वाली पहली महिलाएं बन गईं। तड़के इन दोनों महिलाओं ने भगवान अयप्पा के दर्शन किए।

 
bindu kanakdurga entered sabrimala temple in eight hundred years prayed to lord ayappa made history main
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भगवान हर किसी के लिए समान है और महिलाओं को भी उनके दर्शन करने का पूरा हक है। बिंदु और कनकदुर्गा ने अपनी इसी धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का इस्तेमाल करते हुए केरल के सबरीमाला मंदिर में तड़के भगवान अयप्पा के दर्शन किए। यहां 10 से 50 साल की उम्र की महिलाओं के जाने पर पाबंदी थी, जिसे हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था। इन दोनों महिलाओं की उम्र 50 से कम है। सूत्रों के अनुसार इनके प्रवेश करने के बाद मंदिर की शुद्धि की गई। गौरतलब है कि पिछले 800 सालों से इस मंदिर में किसी भी महिला ने प्रवेश नहीं किया था। ऐसे में बिंदु और कनकदुर्गा यहां पूजा-अर्चना करने वाली पहली दो महिलाएं बन गई हैं। न्यूज एजेंसी के मुताबिक, इन दोनों महिलाओं ने पुलिसकर्मियों के साथ मंदिर में प्रवेश किया और सुबह 3:45 बजे पूजा-अर्चना की। पिछले महीने भी इन दोनों ने मंदिर में प्रवेश करने की कोशिश की थी, लेकिन तब ये नाकाम हो गई थीं।

पुलिस ने दिया था मदद का आश्वासन

bindu kanakdurga entered sabrimala temple in eight hundred years prayed to lord ayappa made history inside

दोनों महिलाओं के मंदिर में जाने की सीसीटीवी फुटेज सामने आई है, जिसमें ये मंदिर के अंदर दौड़ती हुए नजर आ रही हैं। दोनों महिलाएं उत्तरी केरल की रहने वाली हैं और अहतियातन उनके परिवारों को सुरक्षित जगहों पर शिफ्ट कर दिया गया है। मंदिर में प्रवेश को लेकर लोगों में स्वीकार्यता बनने में अभी काफी वक्त लगेगा। इसी को देखते हुए मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर काफी सतर्कता बरती जा रही है।

मुख्यमंत्री विजयन ने दोनों महिलाओं के मंदिर में प्रवेश करने की पुष्टि की है। मंदिर में प्रवेश करने वाली बिंदु ने इस बारे में बताया, 'हमने मंदिर में जाने के लिए पुलिस से संपर्क साधा था और पुलिस ने हमें मदद का आश्वासन भी दिया।' वहीं, कनकदुर्गा अपने घर से बहाना बनाकर मंदिर में भगवान अयप्पा के दर्शन करने आईं थीं। उनके भाई भरतन ने बताया कि उनकी बहन पिछले हफ्ते ही काम का बहाना बताकर तिरुवनंतपुरम से निकली थी।

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महिलाओं ने बनाई थी 620 किमी लंबी श्रृंखला

सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को सामाजिक मान्यता दिलाने और बराबरी का हक पाने के लिए यहां महिलाएं लगातार प्रयास कर रही हैं। इसी के मद्देनजर महिलाओं के प्रवेश का विरोध करने वालों के खिलाफ 620 किमी लंबी श्रृंखला बनाई थी। यह श्रृंखला कासरगोड से तिरुवनंतपुरम तक बनाई गई और यह 14 जिलों से होकर गुजरी। अच्छी बात ये रही कि करीब 150 से अधिक सामाजिक संगठन भी इसमें शामिल हुए। उम्मीद है कि महिलाओं का इतना बड़ी तादाद में इसमें शामिल होना यहां के जनमानस की सोच को जरूर प्रभावित करेगा और उनमें महिलाओं के मंदिर जाने की स्वीकार्यता बढ़ेगी।

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सुप्रीम कोर्ट ने हटा दी थी पाबंदी

28 सितंबर, 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर में हर उम्र की महिला को प्रवेश देने की इजाजत दे दी थी। इस फैसले का विरोध करते हुए केरल के राजपरिवार और मंदिर के मुख्य पुजारियों समेत कई हिंदू संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की थी। लेकिन अदालत ने इस पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। इससे पहले यहां 10 से 50 साल उम्र की महिलाओं के जाने पर पाबंदी थी। यह प्रथा 800 साल से चली आ रही थी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले का राज्यभर में व्यापक विरोध हुआ। आदेश के बाद 16 नवंबर, 2018 को तीसरी बार मंदिर खोला गया। इस बार मंदिर 62 दिनों की पूजा के लिए खुला, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी विरोध के चलते 1 जनवरी, 2019 तक कोई महिला मंदिर में प्रवेश नहीं कर पाई थी।

जाहिर है बदलाव को स्वीकार करना लोगों के लिए आसान नहीं होता। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यहां बदलाव की बयार देखी जा सकती है। कानूनी तौर पर मंदिर में प्रवेश की इजाजत मिलने के बाद यहां की महिलाओं का आत्मविश्वास बढ़ा है।

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सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में ये कहा था

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट रूप से कहा कि हर उम्र वर्ग की महिलाएं अब मंदिर में प्रवेश कर सकेंगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, 'हमारी संस्कृति में महिलाओं को आदर दिया जाता है। यहां महिलाओं को देवी की तरह पूजा जाता है। यहां मंदिर में महिलाओं को प्रवेश से रोका जा रहा है, यह स्वीकार्य नहीं है।'

बिंदु और कनकदुर्गा के सबरीमाला मंदिर में प्रवेश करने के बाद और महिलाओं भी यहां आने के प्रयास करेंगी। ऐसे में प्रशासन को महिलाओं को सुरक्षा देने के लिए पर्याप्त इंतजाम करने चाहिए ताकि किसी भी तरह की अप्रिय घटना को रोका जा सके।

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