
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 संपन्न हाे चुका है। गुरुवार को सीएम नितीश कुमार ने शपथ ली। वहीं, अलीनगर सीट से बीजेपी उम्मीदवार मैथिली ठाकुर (BJP Candidate) की शानदार जीत से जश्न का माहौल है। ऐसा माना जा रहा है कि ये पहली जेन-जी हैं, जिन्होंने राजनीति में कदम रखा है, लेकिन वो अकेली ऐसी नहीं हैं जो कम उम्र में विधायक बनी हैं।
ओडिशा, बिहार और उत्तर प्रदेश से भी कई युवा महिला नेता उभरकर सामने आई हैं। आज हम आपको अपने इस लेख में बताएंगे कि किसने कब राजनीति में कदम रखा और कैसे इतनी कम उम्र में जनता का भरोसा जीता। आइए जानते हैं-
लोकगायिका से नेता बनीं मैथिली ठाकुर ने बिहार की अलीनगर सीट पर शानदार जीत हासिल की है। चुनाव से ठीक पहले उन्होंने बीजेपी ज्वॉइन किया था। पार्टी ने उन्हें सीधे टिकट देकर मैदान में उतार दिया था। बिहार विधानसभा चुनाव में उन्हें 84,915 वोट मिले। उन्होंने आरजेडी के कैंडिडेट बिनोद मिश्रा को 11,730 वोटों से हराया। मैथिली लंबे समय से अपनी गायिकी और संस्कृति से जुड़े कंटेंट की वजह से लोगों के दिलों में जगह बना चुकी हैं। यही वजह है कि ये जुड़ाव उनकी चुनावी जीत में भी देखने को मिला। चुनाव जीतने के बाद उन्होंने कहा कि ये जीत जनता के भरोसे की जीत है।
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ओडिशा की ब्रह्मगिरी सीट से चुनी गई उपासना महापात्रा ने बेहद कम उम्र में राजनीति में अपनी पहचान बनाई है। उन्होंने 18 जून 2024 को विधायक पद की शपथ ली थी। वे उस समय ओडिशा विधानसभा की सबसे युवा विधायक थीं। आपको बता दें कि उपासना राजनीति में अपने पिता पूर्व विधायक लालतेंदु विद्याधर महापात्रा की मौत के बाद आई थीं। कम उम्र के बावजूद उन्होंने अपने क्षेत्र में मजबूत काम किया और लोगों का भरोसा जीता है। शपथ लेते समय उन्होंने कहा था कि ये पल उनके लिए गर्व की बात है।

श्रेयसी सिंह सिर्फ राजनीति नहीं, बल्कि खेल की दुनिया का भी बड़ा नाम हैं। वे अंतरराष्ट्रीय निशानेबाजी में भारत के लिए कॉमनवेल्थ गोल्ड मेडल जीत चुकी हैं। इसलिए उन्हें बिहार की ‘गोल्डन गर्ल’ कहा जाता है। राजनीति की बात करें तो उनका सफर 2020 में शुरू हुआ था। उस समय उन्होंने बीजेपी ज्वॉइन किया और उसी साल जमुई से चुनाव लड़ा। उन्होंने RJD उम्मीदवार विजय प्रकाश को 41,000 से ज्यादा वोटों से हराकर जीत हासिल की थी। इससे उनका राजनीतिक सफर धमाकेदार तरीके से शुरू हुआ। आपको बता दें कि श्रेयसी का परिवार भी राजनीति से जुड़ा है, लेकिन उन्होंने खुद की मेहनत के दम पर अपना अलग नाम बनाया है।

उत्तर प्रदेश की राजनीति में 2024 में एक नया रिकॉर्ड बना था, जब मछलीशहर सुरक्षित लोकसभा सीट से प्रिया सरोज ने जीत हासिल कर न सिर्फ कम उम्र की सांसद बनीं बल्कि इस सीट की पहली महिला सांसद बनकर इतिहास भी रच दिया था। इन्होंने भाजपा उम्मीदवार बीपी सरोज को हराया था। सपा के टिकट पर जीत हासिल कर उन्होंने भाजपा की लगातार तीन जीत की हैटट्रिक भी रोक दी थी। प्रिया सरोज सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता तो हैं ही, सपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व सांसद तूफानी सरोज की बेटी भी हैं। 18 साल की उम्र पार करते ही वे सपा की सदस्य बन गई थीं।

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मैथिली ठाकुर, उपासना महापात्रा, श्रेयसी सिंह और प्रिया सरोज, राज्यों में नई उम्मीद और नई शुरुआत का चेहरा हैं। कम उम्र, कम एक्यपीरियंस और बड़े चैलेंज के बावजूद इन्होंने साबित किया है कि राजनीति में आगे बढ़ने के लिए सिर्फ उम्र नहीं, ईमानदारी, जुड़ाव और मेहनत मायने रखते हैं।
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