
बिहार चुनाव से इस बार महिलाओं को सबसे ज्यादा उम्मीद है। इस बार वह सोच समझकर वोट देना चाहती हैं, ताकि उन्हें हर बार की तरह इस बार भी परेशान न होना पड़े। महिला वोटर शमा शादाब की उम्मीदें भी इस बार सरकार से अलग हैं। वह इस बार उम्मीद लगा रही हैं कि शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा जैसे मुद्दों पर सरकार गंभीरता से काम करेगी। घर संभालने वाली महिलाएं अब राजनीति की बारीकियों को समझ रही हैं। शमा भी समझती हैं कि जितना जरूरी राशन या गैस सिलेंडर है, उतना ही जरूरी रोजगार के अवसर, बच्चों की पढ़ाई और सुरक्षित माहौल भी है। बिहार में चुनावी माहौल को देखते हुए हमने भी महिलाओं से उनकी राय जानी। आज के इस आर्टिकल में बिहार के गया में रहने वाली शमा शदाब से इस बार चुनाव से उनकी क्या उम्मीदें हैं, इसके बारे में जानेंगे।
शमा शदाब कहती हैं कि कोई भी सरकार बने, हमें फर्क नहीं पड़ता, बस बिहार में शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए खास ध्यान दिया जाए। इस बार सिर्फ नेता नहीं, नीतियां बदलनी चाहिए। बिहार हमेशा से प्रतिभाशाली बच्चों से भरा रहा है, लेकिन शिक्षा की कमी की वजह से लाखों बच्चे पीछे रह जाते हैं। सरकारी स्कूलों की बदहाल स्थिति, शिक्षकों की कमी और सरकारी स्कूलों का बुरा हाल बच्चों को आगे बढ़ने नहीं देता। हमारा पूरा परिवार यह चाहता है कि इस बार कि सरकार शिक्षा पर खास ध्यान दे।
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बिहार चुनाव 2025 का माहौल कितना गर्म है, इस बार महिलाओं का राय से साफ समझा जा सकता है। शमा शदाब कहती हैं कि महिलाओं की सुरक्षा और रोजगार पर ठोस कदम उठाया जाना चाहिए। सरकार बदलती है, लेकिन इसपर कुछ खास बदलाव देखने को नहीं मिलता। बिहार की महिलाओं के सामने आज भी दो बड़ी चुनौतियां हैं - सुरक्षित माहौल और आत्मनिर्भरता। आत्मनिर्भरता के लिए बिहार में सरकार को महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर लाने चाहिए और गांवों से लेकर शहरों तक, महिलाएं यह चाहती हैं कि वे बिना डर के घर से निकल सकें। मैं भी सरकार से यह उम्मीद लगाती हूं कि जो भी सरकार बनेगी, वह महिलाओं की सुरक्षा और रोजगार पर खास ध्यान देगी।

हर बार चुनाव में वोट पाने के लिए राजनीतिक बहसें चरम पर होती है, लेकिन इसका असर हमारे इलाके में दिखा नहीं देता। शमा शादाब कहती हैं कि हमारे क्षेत्र में स्वास्थ्य तो एकदम बदहाल हालात में है। महिलाओं और बच्चों के लिए स्वास्थ्य सेवाएं बहुत कमजोर हैं। गर्भवती महिलाओं को जांच या सुरक्षित प्रसव की खास सुविधा देखने को नहीं मिलती। उनका कहना है कि सरकार शिक्षा और विकास की बात तो करती हैं, लेकिन बिहार में स्वास्थ्य हमेशा पीछे छूट जाता है।
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शमा का मानना है कि लोकतंत्र की असली ताकत तब देखने को मिलेगी, जब जब उसमें महिलाओं की समान भागीदारी हो। महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी बढ़ाना बेहद जरूरी है। आज महिलाएं शिक्षा, प्रशासन, समाजसेवा और उद्यमिता में आगे बढ़ रही हैं, लेकिन बिहार की राजनीति में उनकी उपस्थिति अब भी सीमित है। सबसे पहले, राजनीतिक दलों को खुद आगे बढ़कर महिलाओं को टिकट देने में हिचकिचाना नहीं चाहिए। अगर महिला राजनीतिक भागीदारी दिखाएंगी, तो बिहार की महिलाओं को भी आगे बढ़ने की उम्मीद जागेगी।
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