हिंदू पंचांग के अनुसार प्रदोष व्रत का विशेष महत्व होता है। यह व्रत हर महीने में दो बार, कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव का पूजन माता पार्वती समेत करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है और आपके बिगड़े काम भी बनने लगते हैं। इस दिन भोलेनाथ की पूजा करने से सभी कष्ट दूर होते हैं और इच्छित फल की प्राप्ति होती है। भक्तजन प्रदोष व्रत के दिन उपवास करने के साथ विधि-विधान से पूजन करते हैं। यदि आप भी यह व्रत करना चाहते हैं तो मार्च 2025 में आने वाले प्रदोष व्रत की तिथियां और शुभ मुहूर्त जानना जरूरी है, जिससे सही विधि-विधान से पूजा करके शिव जी की कृपा प्राप्त की जा सके।
प्रदोष व्रत का पालन करने से विशेष रूप से स्वास्थ्य, धन और पारिवारिक सुख की प्राप्ति होती है। शिवपुराण के अनुसार, जो भक्त इस दिन उपवास रखकर संध्या समय भगवान शिव का पूजन करते हैं, उन्हें सभी पापों से मुक्ति मिल सकती है और जीवन में सफलता प्राप्त होती है। मार्च के महीने में आने वाले प्रदोष व्रत का सही तिथि और समय जानकर यदि विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की जाए, तो यह व्रत अत्यधिक फलदायी सिद्ध हो सकता है। आइए ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से जानें मार्च महीने के प्रदोष व्रत की तिथियां, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और इससे जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण बातों के बारे में।
मार्च 2025 में प्रदोष व्रत कब-कब हैं?
हिंदू पंचांग के अनुसार, मार्च महीने का पहला प्रदोष व्रत 11 मार्च, मंगलवार को रखा जाएगा। वहीं, इस माह का दूसरा प्रदोष व्रत 27 मार्च, बृहस्पतिवार को किया जाएगा। पहला प्रदोष व्रत मंगलवार को पड़ रहा है, इसलिए इसे भौम प्रदोष कहा जाएगा और दूसरा प्रदोष व्रत बृहस्पतिवार को पड़ने की वजह से इसे गुरु प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाएगा।
मार्च पहला प्रदोष व्रत 2025 तिथि और शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 11 मार्च को पड़ेगी और इसी दिन प्रदोष व्रत रखना शुभ होगा।
- त्रयोदशी तिथि आरंभ-11 मार्च, मंगलवार प्रातः 08 बजकर 13 मिनट पर
- त्रयोदशी तिथि का समापन-12 मार्च, बुधवार, प्रातः 09 बजकर 11 मिनट पर।
- उदया तिथि की मानें तो त्रयोदशी तिथि 12 मार्च को है, लेकिन प्रदोष काल 11 मार्च को शाम को प्राप्त हो रहा है, इसलिए प्रदोष व्रत इसी दिन रखना शुभ होगा। प्रदोष व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त- 11 मार्च सायं 06 बजकर 27 मिनट से रात्रि 08 बजकर 53 मिनट तक। यदि आप इसी शुभ मुहूर्त में शिव पूजन करें तो आपके लिए फलदायी होगा।
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मार्च दूसरा प्रदोष व्रत 2025 तिथि और शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि यानी मार्च महीने का दूसरा प्रदोष व्रत 27 मार्च, गुरूवार के दिन पड़ेगा।
- त्रयोदशी तिथि का आरंभ- 26 मार्च को मध्य रात्रि 01 बजकर 42 मिनट से
- त्रयोदशी तिथि का समापन- 27 मार्च रात्रि 11 बजकर 03 मिनट पर।
- प्रदोष काल 27 मार्च, गुरुवार के दिन मिल रहा है, इसलिए इसी दिन प्रदोष का व्रत करना उत्तम होगा।
- प्रदोष के दिन भगवान शिव की पूजा का शुभ मुहूर्त 27 मार्च, शाम को 06 बजकर 36 मिनट से 08 बजकर 56 मिनट तक है। इसी मुहूर्त में भगवान शिव का पूजन करना शुभ होगा।
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प्रदोष व्रत पूजा विधि क्या है?
प्रदोष व्रत का पालन मुख्य रूप से भगवान शिव की कृपा पाने के लिए किया जाता है। इस दिन विशेष रूप से संध्या काल के समय शिव पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। सही विधि से पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है और कष्टों से मुक्ति मिलती है। इस दिन आपको एक विशेष विधि से भगवान शिव का पूजन करना चाहिए।
- प्रदोष व्रत के दिन प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें। प्रातः काल से ही मन में भगवान शिव का ध्यान करें और व्रत का उद्देश्य निर्धारित करें।
- प्रदोष व्रत के दिन पूरे दिन उपवास रखना श्रेष्ठ माना जाता है और इस दिन यदि आप उपवास करते हैं तो आपके लिए फलाहार का सेवन करना श्रेष्ठ माना जाता है। आप इस दिन उपवास के समय फलाहार कर सकते हैं या केवल जल ग्रहण कर सकते हैं, लेकिन पूर्ण उपवास अधिक शुभ होता है।
- प्रदोष व्रत की पूजा सूर्यास्त के बाद और रात्रि के प्रथम प्रहर में करनी शुभ मानी जाती है, इस अवधि में आप शिवलिंग को गंगाजल, दूध, शहद, दही और पंचामृत से स्नान कराएं। शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा, भांग, अक्षत, चंदन, फल और फूल अर्पित करें और धूप, दीप, नैवेद्य और भस्म से शिवजी की आराधना करें।
- पूजा के समय ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप 108 बार करें। इस दौरान आप महा मृत्युंजय मंत्र या रुद्राष्टकम का पाठ भी करें।
- इस दिन प्रदोष व्रत की कथा सुनना या पढ़ना अत्यंत शुभ माना जाता है। इसलिए पूजन के समय आप यदि प्रदोष की कथा पढ़ें तो इसके बहुत शुभ फल मिल सकते हैं। कथा के बाद भगवान शिव की आरती करें और सभी लोगों को प्रसाद वितरण करें।
- पूरे दिन उपवास करने के बाद और प्रदोष काल में शिव पूजन करने के पश्चात अगले दिन प्रातः काल व्रत का पारण करें और जरूरतमंदों को दान दें। गरीबों को अन्न, वस्त्र या दक्षिणा देकर व्रत का समापन करें।
इस विधि से यदि आप प्रदोष व्रत की पूजा करते हैं तो भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति हो सकती है।
यदि आप भी प्रदोष का व्रत करते हैं तो यहां बताई बातों का ध्यान रखना जरूरी है, जिससे आपके जीवन में खुशहाली बनी रहती है। आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह और भी आर्टिकल पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से। अपने विचार हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
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