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Depression Astro Remedy: डिप्रेशन दूर करने के लिए जरूर पढ़ें भगवत गीता के ये श्लोक

भगवद्गीता में जीवन की हर समस्या का हल बताया गया है। इसी कड़ी में आज हम जानेंगे कि गीता के वो कौन से श्लोक हैं जो डिप्रेशन जैसी परिस्थिति से व्यक्ति को बचाने का काम करते हैं। 
Editorial
Updated:- 2023-07-31, 16:33 IST

Depression Door Karne Ke Liye Bhagavad Gita Ke Shlok: भगवद्गीता में जीवन की हर समस्या का हल श्री कृष्ण ने बताया है। 

श्री कृष्ण और अर्जुन के संवादों के आधार पर बनी भगवद्गीता कई महत्वपूर्ण लाइफ लेसंस व्यक्ति को सिखाने का जरूरी काम करती है। 

भगवद्गीता के अध्यायों या श्लोकों को पढ़ा जाए तो इससे कई समस्याओं के हल मिलेंगे और खुश रहने का तरीका भी समझ आने लगेगा।

इसी कड़ी में आज हम ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से जानेंगे कि भगवद्गीता के किन श्लोकों को पढ़कर डिप्रेशन से बचा जा सकता है। 

भगवद्गीता का पहल श्लोक (Bhagavad Gita First Shlok For Depression) 

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  • श्लोक: र्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥
  • अर्थ: इस श्लोक में भगवान श्री कृष्ण (श्री कृष्ण के जिंदा सबूत) यह सीख दे रहे हैं कि कर्म को फल की इच्छा से नहीं करना चाहिए। 
  • सार: कर्म के अनुसार फल न मिले तो इससे दुख होता है और तनाव, अवसाद आदि चीजें घेर लेती हैं।  

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भगवद्गीता का दूसरा श्लोक (Bhagavad Gita Second Shlok For Depression)  

  • श्लोक: ध्यायतो विषयान्पुंसः सङ्गस्तेषूपजायते। सङ्गात्संजायते कामः कामात्क्रोधोऽभिजायते॥
  • अर्थ: किसी भी चीज के बारे में ज्यादा सोचने से उस वस्तु से लगाव होता है और उससे जुड़ी इच्छा पैदा होती है।
  • सार: किसी भी वस्तु से लगाव के कारण जन्मीं इच्छा जब पूरी न हो तो क्रोध और अवसाद पैदा होता है।  

भगवद्गीता का तीसरा श्लोक (Bhagavad Gita Third Shlok For Depression)  

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  • श्लोक: श्रद्धावान्ल्लभते ज्ञानं तत्पर: संयतेन्द्रिय:। ज्ञानं लब्ध्वा परां शान्तिमचिरेणाधिगच्छति॥
  • अर्थ: जो व्यक्ति अपनी श्रद्धा-भक्ति का सहारा लेते हैं और संयम रखते हैं उन्हें ज्ञान प्राप्त होता है।  
  • सार: हर परिस्थिति में संयम रखना जरूरी है। कैसी भी स्थिति हो भगवान (भगवान को भोग क्यों चढ़ाते हैं) का ध्यान न छोड़ें।    

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भगवद्गीता का चौथा श्लोक (Bhagavad Gita Fourth Shlok For Depression) 

  • श्लोक: चिन्तया जायते दुःखं नान्यथेहेति निश्चयी। तया हीनः सुखी शान्तः सर्वत्र गलितस्पृहः॥
  • अर्थ: श्री कृष्ण का कहना है कि चिंता से ही व्यक्ति को दुख मिलता है।
  • सार: चिंता करने के बजाय व्यक्ति को हल निकालना चाहिए और हल न हो तो शांत रहना चाहिए।  

 

आप भी भगवद्गीता के इन श्लोकों को रोजाना पढ़ कर डिप्रेशन जैसी गंभीर समस्या से आ जीवन के लिए छुटकारा पा सकते हैं। अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

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