हिंदू धर्म में सभी एकादशी का एक विशेष महत्व है। जिसमें साल में कुल 24 एकादशी व्रत रखी जाती है, लेकिन अधिकमास की वजह से 2 एकादशी व्रत बढ़ जाती है। अब ऐसे में अगस्त माह में दो एकादशी की व्रत रखी जाएगी। पहला परमा एकदाशी और दूसरा पुत्रदा एकदाशी है।
तो ऐसे में आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से परमा और पुत्रदा दोनों एकादशी की शुभ तिथि और महत्व क्या है। इसके बारे में विस्तार से जानेंगे।
जानें परमा एकादशी की शुभ तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार, अधिकमास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि दिनांक 11 अगस्त दिन शुक्रवार को सुबह 05:06 मिनट से लेकर इसका समपान दिनांक 12 अगस्त को सुबह 06:31 मिनट पर होगा।
परमा एकादशी शुभ पूजा मुहूर्त
दिनांक 12 अगस्त को परमा एकादशी की पूजा के लिए सबसे शुभ समय सुबह 07:28 मिनट से लेकर सुबह 09:07 मिनट तक रहेगा।
परमा एकादशी व्रत का समय क्या है?
परमा एकादशी के व्रत का पारण समय दिनांक 13 अगस्त दिन रविवार को किया जाएगा। इस दिन पारण का शुभ समय सुबह 05:49 से लेकर सुबह 08:19 तक रहेगा।
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परमा एकादशी का महत्व
शास्त्रों के अनुसार, अधकिमास में पड़ने वाली एकादशी का व्रत करने से भगवान विष्णु (भगवान विष्णु मंत्र) के आशीर्वाद की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। यह व्रत निर्जला रखा जाता है।
जानें सावन माह पुत्रदा एकादशी की शुभ तिथि
सावन माह के एकादशी का व्रत दिनांक 27 अगस्त को रखा जाएगा। यह व्रत रक्षाबंधन (रक्षाबंधन उपाय) से चार दिन पहले रखा जाता है। ऐसी मान्यता है कि जिन भी दांपत्तियों को अगर कोई पुत्र नहीं है, तो उन्हें पुत्रदा एकदाशी के दिन व्रत अवश्य रखना चाहिए।
सावन माह की पुत्रदा एकादशी शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग में सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत दिनांक 27 अगस्त को आधी रात 12:08 मिनट पर होगी और इसी दिन रात 09:32 पर इसका समापन होगा।
भगवान विष्णु की पूजा का समय सुबह 07 बजकर 33 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 46 मिनट पर होगा।
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पुत्रदा एकादशी व्रत का पारण समय
व्रत का पारण दिनांक 28 अगस्त को सुबह 05:57 मिनट से लेकर सुबह 08:31 पर इसका समापन होगा।
पुत्रदा एकादशी का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जिन भी दांपत्यों की अगर कोई संतान नही है, तो उन्हें इस दिन व्रत अवश्य रखना चाहिए और भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। इससे व्यक्ति के सभी पाप भी नष्ट हो जाते हैं और पूर्वजों के आशीर्वाद की भी प्राप्ति होती है। इस दिन निर्जला व्रत रखें और रात्रि में जागरण करें। फिर अगले दिन सुबह व्रत का पारण कर लें।
अगर आप भी परमा और पुत्रदा एकादशी के दिन व्रत रख रहें हैं, तो यहां बताई गई बातों पर विशेष ध्यान दें और अगर आपको हमारी स्टोरीज पसंद आए, तो वो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
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